जलवायु परिवर्तन: नकली केला जो साबित हो सकता है असली 'सुपरफ़ूड': क्या ख़ास है 'एनसेट' में?
इथियोपिया के बाहर इस पौधे के बारे में लोग ज़्यादा नहीं जानते. वहां इसके तने का उपयोग दलिया और रोटी बनाने में होता है. हालांकि पौधे का केले जैसा फल खाने योग्य नहीं होता.
वैज्ञानिकों का दावा है कि इथियोपिया में पाए जाने वाला 'एनसेट' नाम का एक फल जलवायु परिवर्तन के इस दौर में नया सुपरफूड और जीवन रक्षक साबित हो सकता है.
हाल में 'इन्वॉयरमेंटल रिसर्च लेटर्स' नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, केले से मिलती-जुलती यह प्रजाति गर्म हो रही इस दुनिया के 10 करोड़ से अधिक लोगों का पेट भर सकती है.
इथियोपिया के बाहर इस पौधे के बारे में लोग ज़्यादा नहीं जानते. वहां इसके तने का उपयोग दलिया और रोटी बनाने के लिए होता है. हालांकि पौधे का केले जैसा फल खाने योग्य नहीं होता.
इस शोध से पता चला है कि अफ्रीका में इस फ़सल को बहुत बड़े पैमाने पर उगाया जा सकता है. इथियोपिया में अवासा के हवासा यूनिवर्सिटी के डॉ. वेंडावेक अबेबे इस प्रजाति को खाद्य सुरक्षा और सतत विकास के लिए काफ़ी अहम क़रार देते हैं.
डॉ. अबेबे कहते हैं, "यह ऐसी फ़सल है जो खाद्य सुरक्षा और सतत विकास की समस्या को हल करने में वाक़ई अहम भूमिका निभा सकती है."
एनसेट को "नकली केला" भी कहा जाता है. इसके बारे में बताया गया है कि यह केले से मिलती जुलती प्रजाति है. अभी तक इसका उपयोग इथियोपिया के कुछ हिस्सों में ही होता है.
इसके तनों और जड़ों में भरपूर स्टार्च पाया जाता है. इसलिए पौधों के उन हिस्सों को उबालने के बाद प्राप्त तत्त्वों को दलिया और रोटी बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है.
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एनसेट का महत्व
एनसेट इथियोपिया की प्रमुख खाद्य पदार्थों में शामिल है. यहां के लगभग 2 करोड़ लोग भोजन के लिए इस पौधे पर निर्भर हैं.
हालांकि वहां के दूसरी जगहों पर इसे नहीं उगाया जाता, लेकिन दक्षिण अफ्रीका की ओर दक्षिण दिशा में जैसे-जैसे बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे इस पौधे का फल बड़ा होता जाता है. इस लक्षण को देखकर लोगों का मानना है कि इस पौधे को दूसरे इलाक़ों में उगाना संभव है.
कृषि सर्वेक्षण और मॉडल के सहारे, वैज्ञानिकों ने अगले चार दशकों में एनसेट में छिपी संभावनाओं का अनुमान लगाया है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह फसल अफ्रीका के क़रीब 10 करोड़ लोगों की भोजन की ज़रूरतों को पूरा कर सकती है. इसके चलते इथियोपिया, केन्या, युगांडा और रवांडा सहित अन्य अफ्रीकी देशों तक खाद्य सुरक्षा का विस्तार हो सकता है.
रॉयल बॉटेनिक गार्डन, कीव के रिसर्चर डॉ. जेम्स बोरेल कहते हैं कि उन दिनों जब खेत खाली रहते हैं, तब बफ़र फसल के रूप में एनसेट को लगाने से खाद्य सुरक्षा बढ़ सकती है.
डॉ. बोरेल कहते हैं, "इस पौधे में वाक़ई कई ऐसे गुण हैं, जिससे यह बिल्कुल अनोखी फसल हो जाती है. जैसे कि इसे किसी भी मौसम में लगाया और काटा जा सकता है. यह बारहमासी फसल है. इसलिए लोग इसे 'भूख से बचाने वाला पेड़' कहते हैं."
नई खाद्य फसलें खोजने की ज़रूरत
इथियोपिया अफ्रीका का ऐसा देश है, जहां कई उपयोगी पौधों का विकास हुआ है, जैसे कि कॉफ़ी.
जलवायु परिवर्तन के चलते पूरे अफ्रीका में और उसके बाहर भी, प्रमुख खाद्य फसलों की पैदावार और उसके विस्तार पर गंभीर असर पड़ने का अनुमान जताया गया है.
कुछ ही फसलों पर इंसानों की निर्भरता को देखते हुए, भूख से दुनिया को बचाने के लिए नए-नए पौधों की तलाश अब तेज़ हो रही है. हम रोज़ जितनी कैलोरी खाते हैं, उसका लगभग आधा हिस्सा केवल तीन प्रजातियों- चावल, गेहूं और मक्का से पूरा होता है.
इस बारे में डॉ. बोरेल कहते है, "पूरी दुनिया में अभी जिन प्रजातियों का उपयोग होता है, हमें उनमें विविधता लाने की ज़रूरत है. वो इसलिए कि अभी हमारे सारे अंडे एक बहुत छोटी सी टोकरी में पड़े हैं."
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