पृथ्वी पर ये तीन दिन रहेंगे भारी, 14 आसमानी आफतों का करना होगा सामना, एक से है बड़ी तबाही की आशंका!
नई दिल्ली, 27 सितंबर: ब्रह्मांड में हर वक्त कुछ ना कुछ चलता रहता है। आज जैसी दुनिया है, वैसी पहले नहीं थी और ना भविष्य में वैसी रहने वाली है, जो हम आज देख रहे हैं। पृथ्वी, आसमान, अंतरिक्ष, सूर्य, चंद्रमा या खगोल के बारे में रुचि रखने वाले लोगों को पता है कि पृथ्वी का किस क्रम में विकास हुआ और यह कैसे बदलती जा रही है। किस वजह से कुछ जीव धरती से हमेशा-हमेशा के लिए विलुप्त हो गए। कई सारी नई प्रजातियों ने जन्म लिया और यह सिलसिला हमेशा चलता रहता है। आलम ये है कि पृथ्वी पर आसमानी ताकतों का प्रभाव हम समंदर की मीलों गहराइयों में भी देखते हैं। अगले तीन दिनों में ऐसे ही कम से कम 14 आसमानी आफतें पृथ्वी से खगोलीय दृष्टिकोण से काफी करीब से गुजरने वाली हैं, लेकिन इनमें से एक को लेकर काफी चिंता भी जताई जा रही है।
पृथ्वी पर ये तीन दिन रहेंगे भारी
अगला तीन दिन पृथ्वी पर बहुत ही भारी पड़ सकता है। क्योंकि, अगले तीन दिनों में धरती की ओर एक-दो नहीं कुल 14 आसमानी आफतें बढ़ने वाली हैं। हालांकि, इनमें से एक भी पृथ्वी की कक्षा के सीध में तो नहीं है, लेकिन परिस्थितियां कब विपरीत हो जाएं, इसको लेकर वैज्ञानिकों की भी चिंता बढ़ी हुई है। किसी विनाशकारी क्षुद्र ग्रह के धरती से टकराने की संभावित आशंका को टालने के लिए ही अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन (नासा) ने अपने डार्ट मिशन को ऐक्टिवेट किया है, जो परीक्षण के तौर पर डायमॉर्फोस ऐस्टरॉइड से टकराकर उसकी दिशा बदलने की कोशिश में उतरा है।
पहले दिन तीन क्षुद्र ग्रह गुजर रहे हैं
मंगलवार (27 सितंबर) को तीन ऐस्टरॉइड या क्षुद्र ग्रह तेजी से धरती की ओर बढ़ते चले आ रहे हैं। 18 से 41 मीटर व्यास वाला एक ऐस्टरॉइड 2022 एसई6 करीब 11 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती से करीब 3.03 मिलियन किलोमीटर के पास से गुजरने जा रहा है। 2022 एसवाई2 अपेक्षाकृत बड़ा है जो 34 से 77 मीटर तक के आकार का है और यह इस समय पृथ्वी से 7.31 मिलियन किलोमीटर दूर है। यह 13 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से 7.21 मिलियन किलोमीटर की दूरी से गुजर रहा है। एक तीसरा क्षुद्र ग्रह भी मंगलवार को ही धरती के पास से गुजरने वाला है, जिसे 2022 एसई2 कहा जाता है, जो कि 33 से 66 मीटर के आकार का है। हालांकि, यह धरती के करीब से गुजर रहा है, लेकिन इसको लेकर फिलहाल खतरे की कोई आशंका नहीं जताई गई है। यह 13 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती की तरफ बढ़ रहा है।
दूसरे दिन 5 ऐस्टरॉइड गुजरेंगे
28 सितंबर यानी बुधवार को कुल पांच ऐस्टरॉइड धरती की कक्षा के पास से गुजरने वाले हैं। ये हैं- 2022 एसटी3, 2022 एसडी4, 2022 एसपी4, 2022 एसओ4 और 2022 एसपी1. ये क्षुद्र ग्रह 14 मीटर से लेकर 87 मीटर तक के आकार के हैं। इनमें से एक (2022 एसटी3) तो 18 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है। राहत की बात ये है कि एक दिन पहले तक इनमें से किसी को भी धरती के जन-जीवन के लिए संभावित तौर पर खतरनाक नहीं माना जा रहा है। क्योंकि, इनके फिलहाल धरती की कक्षा से सुरक्षित दूरी से गुजरने का अनुमान है।
तीसरे दिन गुजरेंगे 6 ऐस्टरॉइड
इसी तरह से गुरुवार (29 सितंबर ) को भी 6 ऐस्टरॉइड धरती के पास से गुजर रहे हैं। लेकिन, इनमें से एक ऐस्टरॉइड को पृथ्वी के लिए 'संभवत: खतरनाक' के तौर पर चिन्हित किया गया है। जो क्षुद्र ग्रह उस दिन हमारे पास से गुजरने वाले हैं वे हैं- 406213 (2007 एबी2), 2022 आरसी5, 2022 एसटी7, 2022 एसजेड, 2022 एसआर1, 2016 एचएफ2. ये सारे ऐस्टरॉइड 14 मीटर से लेकर 508 मीटर तक के आकार के हो सकते हैं। लेकिन, इनमें से 5 फिर भी उतने खतरनाक नहीं माने जा रहे हैं, लेकिन एक के लिए ज्यादा अंदाजा लगाना मुश्किल है।
क्या इस ऐस्टरॉइड से है बड़ी तबाही का खतरा!
पृथ्वी की ओर बढ़ रहे सभी 14 क्षुद्र ग्रहों में से 406213 (2007 एबी2) सबसे ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। इस ऐस्टरॉइड का अनुमानित आकार 227 मीटर से लेकर 508 मीटर तक है, जो कि काफी विशाल है। वैसे यह ऐस्टरॉइड फिलहाल हमसे 8.64 मिलियन किलोमीटर दूर है। यह पृथ्वी से करीब 8.35 मिलियन किलोमीटर दूर से 36,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरने वाला है। इसके आकार की वजह से इसे 'संभवत: खतरनाक' की श्रेणी में रखा गया है। जबकि, यह भी पृथ्वी से काफी सुरक्षित दूरी से गुजरता हुआ प्रतीत हो रहा है।
भविष्य में पृथ्वी की रक्षा की तैयारी
क्षुद्र ग्रहों की वजह धरती पर मंडराते इसी बार-बार के खतरे को देखते हुए नासा के एक स्पेसक्राफ्ट को एक ऐस्टरॉइड से टकराने की योजना तैयार की गई। इससे इस टेक्नोलॉजी को विकसित करने में मदद मिलेगी कि भविष्य में धरती की ओर आ रहे किसी भी क्षुद्र ग्रह या संभावित खतरे की दिशा को कैसे मोड़ा जा सकता है। नासा डबल ऐस्टरॉइड रिडायरेक्शन टेस्ट (डार्ट) ऐसा पहला मिशन है, जिसके जरिए इसे क्षुद्र ग्रह से टकराकर पृथ्वी की रक्षा करने के प्रभाव को जानने की कोशिश की जा रही है।(तस्वीरें- प्रतीकात्मक)