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चीन के उभार का असर कहीं ज्यादा होगाः भारतीय विदेश मंत्री

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नई दिल्ली, 08 सितंबर। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कैनबरा स्थित ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में एक विशेष संबोधन में कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिल जुलकर काम करना होगा न कि एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में फैसले लिए जाएं.

Provided by Deutsche Welle

डॉ. जयशंकर को ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के सालाना 'जेजी क्रॉफर्ड ओरेशन 2021' संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया था. सोमवार शाम डॉ. जयशंकर ने दिल्ली स्थित अपने दफ्तर से ऑनलाइन ही अपना भाषण दिया.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से अफगानिस्तान की स्थिति के संकेत मिलने लगे थे. डॉ. जयशंकर ने कहा, "कुछ साल से हम सबको दिखाई दे रहा था कि अमेरिका और उसके सहयोगियों का अफगानिस्तान में अभियान अब सिमटने वाला है. ओबामा प्रशासन के समय से ही दबाव बढ़ने लगता था लेकिन सच यह है कि तमाम बहसों और विमर्शों के बावजूद, यह कहना सही होगा कि अभियान जिस तरह खत्म हुआ, उसको किसी ने आते नहीं देखा था. यह कोई ऐसा परिदृश्य नहीं था, जिसके लिए कोई तैयार था.

भारत की भूमिका

तालिबान के काबुल में सत्ता में आने के बाद भारतीय विदेश मंत्री ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर कोई बात कही है. अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास में लोग उस दिन तक भी मौजूद थे जब 15 अगस्त को तालिबान काबुल में घुस आए थे. उनके नियंत्रण के बाद ही भारत ने अपने लोगों को निकालना शुरू किया. अब तक वहां से लगभग 500 लोग भारत आए हैं जिनमें 200 अफगान भी हैं. हालांकि ये हिंदू और सिख समुदाय से हैं.

अपने भाषण में जयशंकर ने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका की अहमियत का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, "मैं जोर देना चाहूंगा कि हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुछ अहम कदम भी उठाए हैं. इस महीने पर अध्यक्ष थे और एक प्रस्ताव पास किया गया, जिस में अफगानिस्तान की जमीन को आतंकवाद के लिए प्रयोग न करने देने की मांग की गई. इस प्रस्ताव में तालिबान से उम्मीद की जाती है कि वे समावेशी सरकार और महिलाओं, बच्चों व अल्पसंख्यकों के प्रति व्यवहार के अपने वादों पर खरे उतरेंगे."

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है और अगस्त में अध्यक्ष था. इस दौरान अफगानिस्तान की स्थिति पर परिषद की बैठक हुई थी जिसमें पारित प्रस्ताव को 13 सदस्यों का समर्थन मिला. चीन और रूस ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया.

अपने भाषण में विदेश मंत्री ने विभिन्न सरकारों को एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ से बचने के प्रति भी चेताया. उन्होंने कहा, "इस वक्त अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ आकर सबके साझे हित के लिए काम करना चाहिए क्योंकि मुझे लगता है कि संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव बहुत बहुत संतुलित है और अफगानिस्तान के लिए एक समझादरी भरा रास्ता दिखाता है."

अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी और तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद कई हलकों में सवाल उठे हैं कि अमेरिका की ताकत और छवि को इस पूरे घटनाक्रम से नुकसान पहुंचा है. डॉ. जयशंकर इससे इत्तेफाक नहीं रखते. उन्होंने कहा कि अमेरिका ताकतवर और प्रासंगिक है. उन्होंने कहा कि अमेरिका अमेरिका है, उसकी ताकत गही है और उसके अंदर अपने आपको दोबारा खोजने और दोबारा ऊर्जा से भरने की असाधारण क्षमता है.

भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध

डॉ. जयशंकर के भाषण का बड़ा हिस्सा भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इन संबंधों की अहमियत पर केंद्रित था. उन्होंने कहा कि हाल के सालों में भारत और ऑस्ट्रेलिया बेहद करीब आए हैं और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंध मजबूत करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं.

विदेश मंत्री ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर क्वॉड के रूप में भारत की भूमिका बढ़ाने को भी जरूरी बताया. उन्होंने कहा, "सच्चाई तो ये है कि अब एकपक्षीयता का जमाना गुजर चुका है. द्विपक्षीयता की अपनी सीमाएं हैं और कोविड ने हमें याद दिलाया कि बहुपक्षीयता पूरी तरह काम नहीं कर रही है. और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सुधार को लेकर हो रहा विरोध हमें ज्यादा व्यवहारिक और फौरी हल खोजने को मजबूर करता है. और यही क्वॉड की अहमियत भी है."

देखेंः ये हैं सबसे सुरक्षित देश

चार देशों के संगठन क्वॉड को 2007 में स्थापित किया गया था लेकिन बीते कुछ सालों में इसकी सक्रियता बढ़ी है. चीन के भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों के ही साथ संबंध खराब हुए हैं, जिसके बाद अमेरिका भी क्वॉड में इन दोनों देशों की भूमिका बढ़ाने को लेकर गंभीर दिख रहा है.

डॉ. जयशंकर ने कहा कि चीन का उभार सिर्फ एक अन्य क्षेत्रीय ताकत का उभार नहीं है. उन्होंने कहा, "इस बारे में स्पष्ट हो जाना चाहिए कि यह सिर्फ एक क्षेत्रीय ताकत का उभार नहीं है. हम अंतरराष्ट्रीय संबंधों के एक नए युग में प्रवेश कर गए हैं और चीन के उभार का असर अन्य बड़ी शक्तियों के उभार से ज्यादा होगा."

Source: DW

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English summary
dr jai shankar on china afghanistan and new world order
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