चीन ने पीओके और ताइवान को बताया एक जैसा, कहा CPEC पर विरोध बंद करे भारत
चीन की मीडिया ने कहा जिस तरह से चीन, भारत के ताइवान के साथ व्यापारिक रिश्तों का विरोध नहीं करता उसी तरह से भारत भी पीओके से गुजरने वाले चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) में सहयोग करे।
बीजिंग। चीन की मीडिया ने एक बार फिर चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) पर भारत पर निशाना साधा है। चीनी मीडिया ने इस बार पीओके और ताइवान को एक जैसा बता दिया है। चीनी मीडिया के मुताबिक जिस तरह से चीन को इस बात पर आपत्ति नहीं है कि भारत और ताइवान के बीच व्यापारिक रिश्ते हैं, उसी तरह से भारत को भी सीपीईसी में सहयोग करना चाहिए।
भारत-ताइवान संबंधों का विरोध नहीं
सोमवार को ग्लोबल टाइम्स में चाइना वेस्ट नॉर्मल यूनिवर्सिटी में भारतीय अध्ययन केंद्र के लॉन्ग शिंगचुन ने एक आर्टिकल लिखा है। इसमें उन्होंने ताइवान की स्थिति को पीओके के बराबर बताया है जबकि भारत, पीओके को अपना क्षेत्र मानता है। उन्होंने लिखा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद को लेकर चीन ने हर बार अपना रुख साफ किया है। उसी तरह से जहां ताइवान का सवाल है तो चीन ने कभी भी दूसरे देशों और ताइवान के बीच आर्थिक संबंधों को लेकर विरोध नहीं किया, जिसमें भारत भी शामिल है। आर्टिकल में चीन की मीडिया ने विवादित पीओके और ताइवान को एक बराबर बताया और इसे संप्रभुता का मुद्दा कहा है। आर्टिकल में लिखा है कि भारत को सीपीईसी को लेकर तथ्यात्मक रुख अपनाना चाहिए और साथ ही उसे 46 बिलियन डॉलर वाले इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनाना चाहिए ताकि उसे भी आर्थिक फायदे मिले सकें। चीन, ताइवान को अपना एक ऐसा हिस्सा मानता है जो उससे अलग हो गया है। सीपीईसी के बारे में भारत का कहना है कि यह प्रोजेक्ट संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है। आर्टिकल के मुताबिक जिस तरह से चीन को कभी भारत और ताइवान के संबंधों को लेकर समस्या नहीं हुई उसी तरह से भारत को भी चीन और पाक के बीच आर्थिक संबंधों को लेकर कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
सुधरेगी पाकिस्तान की हालत
ताइवान, जो कि एक स्वतंत्र लोकतंत्र है, उसे आधिकारिक तौर पर रिपब्लिक ऑफ चाइना के नाम से जानते हैं। यह एक द्वीप था तो वर्ष 1949 में सिविल वॉर के बाद क्यूमिनटांग विद्रोही के आने से बना था। उस समय से ही चीन, ताइवान खुद से अलग हुआ क्षेत्र मानता है और उसे भरोसा है कि एक दिन वह इसे चीन में मिलाकर रहेगा। दुनिया के देश जिसमें भारत भी है, चीन की 'वन चाइना पॉलिसी' को मानते हैं। यह चीन की वह पॉलिसी है जो चीन की प्रभुत्ता को स्वीकार करती है, ताइवान की नहीं। लेकिन वहीं भारत समेत कुछ देशों ने ताइवान के साथ आर्थिक और व्यापार संबंध भी बरकरार रखे हैं। भारत और ताइवान के बीच करीब पांच बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ। अगर चीन-ताइवान की बात करें तो वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 180 बिलियन डॉलर का था। शिंगचुन का मानना है कि ताइवान के साथ अगर दूसरे देशों के आर्थिक संबंध हैं तो इससे चीन की संप्रभुता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सीपीईसी, कश्मीर विवाद की वर्तमान स्थिति पर कोई असर नहीं डालेगा। यह प्रोजेक्ट चीन और पाकिस्तान को आपस में जोड़ेगा और इससे पाक की अर्थव्यवस्था सुधरेगी और यहां के लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर होगा।