दुनिया की सबसे शक्तिशाली मिलिट्री बनाने में जुटा चीन, वेस्टर्न टेक्नॉलोजी के लिए विदेशों में चीनी स्टूडेंट्स कर रहे जासूसी
नई दिल्ली। शी जिनपिंग ने जब इस साल आजीवन चीन के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था, तब उन्होंने 2030 तक चीन को दुनिया की सबसे शक्तिशाली मिलिट्री बनाने की वादा किया था। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को दुनिया की सबसे ताकतवर मिलिट्री और अपने हथियारों को एडवांस टेक्नॉलोजी में बदलने के लिए चीन तेजी से कोशिश में लगा हुआ है। इस बीच इसी सप्ताह बुधवार को ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटजिक पॉलिसी इंस्टिट्यूट (एएसपीआई) ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि पीएलए की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए चीन अपने सैन्य वैज्ञानिकों को वेस्टर्न यूनिवर्सिटीज भेज रहा है, जहां से एडवांस टेक्नॉलोजी प्राप्त हो सके।
चीन में शहद के लिए विदेश से फूल उठाओ
'पिकिंग फ्लॉअर्स, मैकिंग हनी' नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएलए ने रिसर्च के लिए 2,500 से अधिक वैज्ञानिकों को स्पॉन्सर किया है ताकि वे ऑस्ट्रेलिया जैसे टेक्नॉलोजिकल एडवांस देशों की यूनिवर्सिटीज का दौरा कर वहां से एडवांस टेक्नॉलोजी हासिल कर सके। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अपने साइंटिस्ट स्टूडेंट्स को वेस्टर्न यूनिवर्सिटीज भेज रहा है, लेकिन वहां की सरकारों और यूनिवर्सिटीज को शायद इसके बारे में पता नहीं है।
अपनी सेना के लिए रिसर्च कर रहे चीनी स्टूडेंट्स
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के पीएचडी और पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स वेस्टर्न युनिवर्सिटीज में रणनीतिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं, जिसमें क्वांटम फिजिक्स, सिग्नल प्रोसेसिंग, क्रिप्टोग्राफी, नेविगेशन टेक्नॉलोजी और ऑटोनोमस व्हिकल्स शामिल है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि इसमें चीन को दो तरह के फायदे है- एक तो विदेशी यूनिवर्सिटीज से उन्हें काफी चीजों का पता चल रहा है और दूसरा वे अपनी सेना के लिए रिसर्च भी कर रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि सब कुछ विदेशी टैक्सपेयर्स पर हो रहा है।
5 आई नेशन्स में घुसपैठ
ऑस्ट्रेलियाई रिपोर्ट की मुख्य चिंता यूनिवर्सिटीज में चीनी घुसपैठ उन 'फाइव आई नेशन्स' देशों की यूनिवर्सिटीज पर हो रही है, जिसमें अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड के साथ गठबंधन शामिल हैं। ये सभी देश यूकेयूएसए समझौते वाले देश हैं, जो अपने एक-दूसरे को खुफिया जानकारी शेयर करते हैं। हालांकि, इस रिपोर्ट से पहले अमेरिका कई बार आरोप लगा चुका है कि उनके बाजारों से लेकर विश्वविद्यालयों तक चीन घुसपैठ कर संवेदनशील डेटा की चोरी कर सकता है। रिपब्लिकल सीनेटर ने इस साल अपने एक ट्वीट में कहा था, 'अमेरिका इन दिनों चीन के सबसे खतरनाक और बड़े स्तर पर जासूसों की चुनौतियों का सामना कर रहा है। मेडिकल रिसर्च से टेक्नॉलोजी, मिलिट्री से अकेडमी, संभवत: अमेरिकी जिंदगी के हर स्तर पर चीन की सरकारी जासूस निशाना बना रहे हैं।'
ये भी पढ़ें: आर्थिक मदद के लिए देश-दर-देश भटकता पाकिस्तान, सऊदी के बाद चीन पहुंचे इमरान