तिब्बत से नेपाल तक हिमालय को चीरकर रेल चलाएगा चीन, भारत के लिए टेंशन की बात
नेपाल चीन के रेल लाइन प्रोजेक्ट से अपनी अर्थव्यवस्था ठीक करना चाहता है, जो भारत के लिए खतरे की घंटी है।
काठमांडू, जून 27: भारत को एक और बड़ा टेंशन देने की तैयारी में चीन काफी तेजी से आगे बढ़ चला है। रिपोर्ट मिल रही है कि चीन और नेपाल के बीच रेलवे लिंक हिमालय की पहाड़ियों में एक सुरक्षित क्षेत्र से होकर गुजर सकता है। इस बात की जानकारी प्रोजेक्ट से जुड़े एक सीनियर इंजीनियर ने दी है।
हिमालय में रेल चलाएगा चीन
रिपोर्ट के मुताबिक 8 अरब डॉलर के इस चीनी प्रोजेक्ट की मदद से नेपाल अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निर्माण के जरिए चीन कानूनों का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है, वहीं नेपाल तक चीन द्वारा रेल चलाना भारती की सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरनाक है।
हिमालय में सुरंग बनाएगा चीन
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच 1000 किलोमीटर की सीमा पर 6 रूट प्रस्तावित हैं। चीनी विशेषज्ञ इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं कि रूट को चुना जाए। सबसे विवादास्पद माउंट कोमोलंगमा राष्ट्रीय उद्यान है जहां माउंट एवरेस्ट स्थित है। यह एक सुरक्षित क्षेत्र है। लेकिन, इस मार्ग से 30 किमी की सुरंग के माध्यम से रेलवे को पार करने का फैसला चीन ने लिया है, जो कानून के खिलाफ है। चाइनीज रेलवे फर्स्ट सर्वे एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ग्रुप के लीड इंजीनियर के मुताबिक, एक तिहाई से ज्यादा टनल नेशनल पार्क के प्रोटेक्शन जोन में आएगी, और यह पूरी तरह से अंडरग्राउंड होगी। यह चीनी क्षेत्र के अंतर्गत आएगा और हिमालय से गुजरने वाली पहली सुरंग होगी जो तिब्बत और नेपाल की राजधानी काठमांडू को जोड़ेगी।
भारत ने जताया विरोध
भारत सरकार ने चीन की इस परियोजना का विरोध किया है। भारत ज्यादातर व्यापार नेपाल के साथ करता है लेकिन चीन हाल के वर्षों में भारत से आगे निकल गया है और नेपाल के नेता चीन के काफी करीब आ चुके हैं। नेपाल चीन और भारत के बीच बफर जोन के रूप में भी कार्य करता है और भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव भी लगातार जारी है। पिछले साल गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच में हिंसक संघर्ष भी हुआ था, जिसमें कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जबकि, कई चीनी सैनिक मारे भी गये थे। वहीं, चीन ने नेपाल के साथ काफी नजदीकियां बढ़ा ली हैं। जानकारों का कहना है कि इसके जरिए चीन भी भारत को चुनौती देना चाहता है और नेपाल के संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहता है।
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