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अब अंत नजदीक है! मानव इतिहास में पहली बार कार्बन डाइऑक्साइड इतने खतरनाक स्तर पर पहुंची

वैज्ञानिकों का कहना है कि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। मई महीने में वायुमंडल में CO2 की मात्रा ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं।

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वाशिंगटन, 04 जूनः वैज्ञानिकों का कहना है कि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। मई महीने में वायुमंडल में CO2 की मात्रा ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। यह 19 वीं शताबंदी के अंत से 50 फीसदी अधिक है। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों ने कहा कि कम से कम 40 लाख वर्षों में किसी भी समय की तुलना में अब वातावरण में सबसे अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड है।

उच्चतम बिंदु पर CO2 का स्तर

उच्चतम बिंदु पर CO2 का स्तर


कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर अपने उच्चतम बिंदु 421 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) पर पहुंच गया है। यह पहली बार है, जब ऑब्जर्वेटरी ने कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर इतना अधिक पाया है। गौरतलब है कि पिछली बार पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में इतनी वृद्धि 40 लाख वर्ष पहले हुई थी । जब समुद्र का जलस्तर कई मीटर ऊंचा था और अंटार्कटिका के कई हिस्सों में जंगल पसरा हुआ था।

2021 में सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन

2021 में सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन


वैज्ञानिकों के मुताबिक 2021 में कुल 36.3 बिलियन टन उत्सर्जन हुआ है जो इतिहास का अच्चतम स्तर है। जैसे-जैसे वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जाती है ग्रह गर्म होता रहता है। कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन लगातार बढ़ता जा रहा है और यह वर्ष दर वर्ष अधिक हो रहा है। जीवाश्म ईंधन के बेतहाशा बढ़ते उपयोग के चलते वायुमंडल में इसकी मात्रा दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

कोरोनाकाल में पर्यावरण हुआ बेहतर

कोरोनाकाल में पर्यावरण हुआ बेहतर


गौरतलब है कि कोरोनावायरस महामारी के कारण आर्थिक मंदी के दौरान कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर 2020 के आसपास कम हो गया था। लेकिन दीर्घकालिक प्रवृत्ति पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। 2015 के पेरिस समझौते के अनुसार यह जरुरी है कि तापमान में होने वाली वृद्धि को औद्योगिक क्रांति से पूर्व के स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है और संभव हो तो 1.5 डिग्री सेल्सियस के लिए प्रयास करना है।

बर्बाद हो रही पृथ्वी

बर्बाद हो रही पृथ्वी


लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी कार्बन डाई ऑक्साइड का बढ़ता स्तर यह प्रमाण दे रहा है कि हमने पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में कोई खास प्रगति नहीं की है। कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसों में हो रही बेतहाशा बढ़ोत्तरी ने हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी को और अधिक खतरनाक बना दिया है। जिस तेजी से हम अपने गृह को बर्बादी की और धकेल रहे हैं, उससे मुमकिन है कि हमें जल्द ही अपने लिए नए विकल्प तलाशने पड़ेंगे।

भारत के लिए चिंता की बात

भारत के लिए चिंता की बात


गौरतलब है कि भारत कार्बन उत्सर्जन के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है। कार्बन डाई ऑक्साइड का लगातार बढ़ रहा स्तर भारत के लिए भी चिंता की बात हैं। हालांकि सीधे तौर पर कार्बन डाईऑक्साइड के बढ़ते स्तर का भारत पर क्या असर होगा, इसका कोई आकलन मौजूद नहीं है। फिर भी कई रिपोर्ट दर्शाते हैं कि 20 वीं सदी की शुरुआत के बाद से भारत के वार्षिक औसत तापमान में लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो चुकी है।

भविष्य को चुकानी पड़ेगी कीमत

भविष्य को चुकानी पड़ेगी कीमत


भारत के औसत तापमान में वृद्धि के कारण देश में बाढ़, सूखा, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि में वृद्धि होती जा रही है। इससे न सिर्फ हमारा दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है बल्कि, हमारी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यदि हम आज नहीं सतर्क होते हैं, तो भविष्य में हमारी आने वाली नस्लों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, और इसका जिम्मेदार दुनिया का हर नागरिक होगा।

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English summary
Carbon dioxide levels are highest in human history, highest in 40 million years
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