पाकिस्तान के नये आर्मी चीफ आसिम मुनीर का कैसा है चाल, चरित्र और चेहरा... रॉ अधिकारियों से समझिए
लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर, जिन्होंने 1986 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल मंगला से ग्रेजुएशन किया था, वो पाकिस्तान के फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट से संबंधित हैं, और उन्हें पाकिस्तान का मुल्ला जनरल कहा जाता है।
Pakistan new army chief: पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब देश के नये सेनाध्यक्ष को 'मुल्ला जनरल' कहकर संबोधित किया जा रहा है और 29 नवंबर को जनरल आसिम मुनीर पाकिस्तानी सेना के मुखिया के तौर पर कार्यभार संभाल लेंगे। पिछले कुछ दशक के बाद ये पहला मौका था, जब पाकिस्तान में सेना प्रमुख की नियुक्ति इतनी ज्यादा विवादास्पद हो गई थी और माना जा रहा था, कि राष्ट्रपति भी नये सेनाध्यक्ष की राह में रोड़ा बन सकते हैं। लेकिन, पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने शहबाज शरीफ सरकार की के फैसले को मंजूरी दे दी और इसी के साथ पाकिस्तान में सेनाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर तमाम अनिश्चितताएं खत्म हो गईं। लेकिन, आइये समझते हैं, कि आखिर पाकिस्तान के नये जनरल को 'मुल्ला जनरल' क्यों कहा जा रहा है?
आसिम मुनीर, हाफिज-ए-कुरान
लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर, जिन्होंने 1986 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल मंगला से ग्रेजुएशन किया था, वो पाकिस्तान के फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट से संबंधित हैं, जो पाकिस्तान सेना की छह पैदल सेना रेजिमेंटों में से एक है। वर्तमान में वह जीएचक्यू रावलपिंडी में क्वार्टर मास्टर जनरल हैं और वरीयता क्रम में मौजूदा सेना प्रमुख जनरल बाजवा के ठीक नीचे हैं। पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स का कहना है, कि शहबाज शरीफ का आसिम मुनीर को नया सेना प्रमुख बनाने का फैसला अविवादित है और उसकी आलोचना किसी भी लिहाज से नहीं की जा सकती है, क्योकि बाकी के सभी अधिकारी उनसे जूनियर हैं। हालांकि, आसिम मुनीर को बाजवा का करीबी बताया जाता है, जिनके साथ उन्होंने दिसंबर 2016 से अक्टूबर 2018 तक डायरेक्टर-जनरल मिलिट्री इंटेलिजेंस और बाद में अक्टूबर 2018 से जून 2019 तक डायरेक्टर-जनरल इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के रूप में काम किया।
सेना के सबसे वरिष्ठ जनरल
इससे पहले अपने करियर में आसिम मुनीर ने एक्स कॉर्प्स के एक घटक फोर्स कमांड नॉर्दर्न एरियाज की एक ब्रिगेड की कमान संभाली थी, उस समय जनरल बाजवा कोर कमांडर हुआ करते थे और दोनों में काफी दोस्ती भी थी। पिछले दिनों जनरल बाजवा और उनके परिवार और संबंधियों पर अरबों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और माना जा रहा है, कि नये सैन्य प्रमुख आसिम मुनीर किसी भी सूरत में बाजवा के खिलाफ जांच की इजाजत नहीं देंगे, लिहाजा जनरल बाजवा भी आसिम मुनीर को ही सेना प्रमुख के तौर पर देखना चाहते थे। बाजवा ने आसिम मुनीक को एक "उत्कृष्ट अधिकारी" बताया है। वहीं, हाल ही में पाकिस्तानी लेखक शुजा नवाज (क्रॉस्ड स्वॉर्ड्स: पाकिस्तान, इट्स आर्मी एंड द वॉर्स विदिन) ने उन्हें "एक सीधा तीर" के रूप में वर्णित किया गया था। मुनीर तीन सितारा अधिकारियों की मौजूदा कतार में सबसे वरिष्ठ जनरल हैं।
आसिम मुनीर कैसे बने सेना प्रमुख?
आसिम मुनीर को पहले सैन्य प्रमुख की दौड़ में नहीं माना जा रहा था, क्योंकि लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उनका चार साल का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त हो रहा था और बाजवा का कार्यकाल समाप्त होने से दो दिन पहले ही, यानि 27 नवंबर को ही उन्हें रिटायर्ड हो जाना था। लेकिन, सैन्य प्रमुख के तौर पर नियुक्ति होने के सरकारी आदेश के बाद यह मामूली बाधा अप्रासंगिक हो गई, क्योंकि प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति के साथ ही उन्हें तीन साल का अतिरिक्त कार्यकाल मिल गया है। वहीं, पाकिस्तान में एक आईएसआई प्रमुख के लिए सैन्य प्रमुख बनना भी दुर्लभ माना जाता है और आसिम मुनीर से पहले जनरल अशफाक परवेज कयानी ही थे, जो आर्मी चीफ बनने से पहले आईएसआई प्रमुख भी रह चुके थे। वहीं, मुनीर भी केवल तीन अन्य अधिकारियों में से एक हैं, जिन्होंने मिलिट्री इंटेलिंजेंस और आईएसआई दोनों का नेतृत्व किया है, अन्य दो लेफ्टिनेंट जनरल असद दुर्रानी और लेफ्टिनेंट जनरल हामिद गुल हैं।
मुनीर को हाफिज-ए-कुरान की उपाधि
पाकिस्तान के नये जनरल आमिस मुनीर, सऊदी अरब में पाकिस्तान की तरह से डिफेंस अताशे रह चुके हैं और सऊदी अरब में अपनी सेवा दे चुके हैं। हालांकि, पाकिस्तान की सेना में ऐसा भी पहली बार ही हुआ है, कि उस अधिकारी को आर्मी चीफ बनाया गया है, जिसे आज तक अमेरिका या ब्रिटेन में ट्रेनिंग नहीं मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना में कर्नल थे, उस वक्त मुनीर को हाफिज-ए-कुरान की उपाधि दी गई थी, यानी उन्होंने पूरा कुरान कंठस्थ कर लिया था और बिना कुरान देखे पवित्र किताब का पूरा पाठ कर सकते हैं। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के अधिकारी रामनाथन कुमार, जिन्होंने साल 2015 से 2020 के बीच पाकिस्तान डेस्क पर काम किया, उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि, "जिया उल हक ने पाकिस्तानी सेना में जो मजहबी लहर चलाई थी, जनरल मुनीर उस परिवर्तन की पराकाष्ठा हैं।" वहीं, इस सवाल पर, कि क्या आसिम मुनीर कट्टरपंथी भी हैं? रॉ के एक और वरिष्ठ अधिकारी राणा बनर्जी, जिन्होंने पहले रॉ में पाकिस्तान डेस्क का नेतृत्व भी किया है, उन्होंने कहा कि, आसिम मुनीर की धार्मिक मानसिकता के बावजूद उसके कट्टरपंथी होने की संभावना कम है।
क्या कहते हैं डिफेंस एक्सपर्ट्स?
हालांकि, कई डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है, कि मुल्ला जनरल के नाम से कुख्यात आमिस मुनीर के कार्यकाल में पाकिस्तान सेना में मजहबी कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल सकता है और ये भारत से ज्यादा पाकिस्तान के लिए ही खतरनाक साबित हो सकता है। पाकिस्तान की सेना पहले से ही मजहबी उन्माद के लिए कुख्यात रही है और आसिम मुनीर के साथ एक दिक्कत ये भी है, कि वो अपने विरोधियों पर कुछ ज्यादा ही सख्त रहते हैं। हालांकि, इससे भारत को तो फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन खामियाजा पाकिस्तान को ही भुगतना पड़ सकता है। किसी बात से नाराज होकर एक बार आसिम मुनीर के निर्देश पर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जज शौखक अजीज को बर्खास्त कर दिया था। रॉ अधिकारी रामनाथन ने कहा कि, 'पाकिस्तान में पहले भी कुछ ऐसे सैन्य अधिकारी हो चुके हैं, जो हाफिज-ए-कुरान रह चुके हैं, लेकिन पहली बार कोई ऐसा अधिकारी सैन्य प्रमुख बना है।' उन्होंने कहा कि, ' हो सकता है, कि जनरल मुनीर सीधे तौर पर कट्टरपंथियों को उत्साहित ना करें, लेकिन इस बात की प्रबल संभावना है, कि उनके कार्यकाल में इस्लामिक कट्टरता एक नये बेंचमार्क स्थापित कर सकता है, लिहाजा भारत को अलर्ट रहने की जरूरत है।'
भारत को क्यों है अलर्ट रहने की जरूरत?
पाकिस्तान के सैन्य अधिकार अपने ही देश में कट्टरपंथियों को जन्म देने, उन्हें पालने पोसने और अपनी जरूरत के हिसाब से उनका इस्तेमाल करने के लिए कुख्यात रहे हैं। ऐसा ही एक संगठन है तहरीक-ए-लब्बैक, जिसने पिछले साल इमरान खान की नाक में दम कर दिया था और ऐसा कहा जाता है, कि तहरीक-ए-लब्बैक ने जनरल बाजवा के ही इशारे पर पूरे पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन किया था। वहीं, पाकिस्तानी सेना के दर्जनों ऐसे बड़े अधिकारी हैं, जिनका सीधा संबंध तहरीक-ए-लब्बैक से है और यहां से उन्हें मजहबी आदेश मिलता है। वहीं, भारत से अलग होने के बाद से ही पाकिस्तानी सेना ने अपनी जनता को यही संदेश दिया, कि वो सिर्फ पाकिस्तान की सेना नहीं है, बल्कि वो इस्लाम की सेना है और पाकिस्तानी सेना के वेबसाइट के मुताबिक, पाक फौज ने खुद को अल्लाह के लिए जंग लड़ने वाली सेना बताया है, ऐसे में भारत को सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि, सीधे तौर पर आसिम मुनीर निश्चित तौर पर भारत से लड़ने की हिम्मत नहीं करेंगे, लेकिन वो छद्म युद्ध को जरूर बढ़ावा दे सकते हैं।
भारत को लेकर क्या हो सकता है रूख?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व वरिष्ठ अधिकरी बनर्जी ने कहा कि, आंतरिक माहौल को देखते हुए, "मुनीर को भारत पर नरम होते हुए नहीं देखा जा सकता, लिहाजा वो भारत के खिलाफ कट्टर विचारधारा रखने वाले सैन्य प्रमुख होंगे।" साथ ही उन्होंने कहा कि, "2003 का एलओसी युद्धविराम, जिसे फरवरी 2021 में फिर से लागू कर दिया गया था, उसके खत्म होने का खतरा नहीं के बराबर है, क्योंकि भारत के साथ सीमा पर युद्धविराम होना भारत से ज्यादा पाकिस्तान की जरूरत है, क्योंकि अफगानिस्तान और ईरान से लगती हुई उसकी सीमा पर काफी तनाव है और अफगान सीमा पर पिछले एक साल में 300 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक मारे गये हैं, लिहाजा पाकिस्तान यही चाहेगा, कि फिलहाल उसे भारतीय मोर्चे पर भी चुनौती का सामना नहीं करना पड़े।"