भारत से टकराव के बीच चीन ने सीमा पर बुनियादी ढांचा कैसे मजबूत किया, पेंटागन की रिपोर्ट में खुलासा
वाशिंगटन डीसी। भारत का सबसे बड़ा पड़ोसी देश चीन सीमा पर हमारी मुश्किलें बढ़ाते जा रहा है। पिछले साल लद्दाख में हुए सैन्य-टकराव के समय से ही चीनी सेना ने बुनियादी ढांचे पर तेजी से काम किया। वह दोनों देशों के बीच से गुजरती एलएसी पर आक्रामक तरीके से सैन्य-निर्माण कर रहा है। हमारी जमीन पर अपने दावों को बल देने के लिए उसने कई दौर की वार्ता के बावजूद अपने "निर्माण कार्य और सामरिक कार्रवाई" को जारी रखा है। अमेरिका के पेंटागन की रिपोर्ट में इस बारे में एक ताजा जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि, 2020 में चीन ने हजारों फीट उूंचाई पर भारत के साथ सीमा-संघर्ष के समय पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के दूर-दराज के इलाकों में फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क स्थापित किया था। वहीं, चीन की सेना द्वारा महत्वपूर्ण इलाकों के नजदीक सैन्य ढांचे तैयार किए गए। जिसे भारतीय सेना ने भांपा और विरोध करने पर, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों सेनओं के बीच आमना-सामना हो गया।
भारत-चीन तनाव के बीच पेंटागन की ताजा रिपोर्ट
पेंटागन
की
एक
रिपोर्ट
में
यह
भी
कहा
गया
है
कि
चीन
अपने
पड़ोसियों,
विशेष
रूप
से
भारत
के
साथ
आक्रामक
और
जबरदस्ती
का
व्यवहार
कर
रहा
है।
उसने
एलएसी
पर
अपने
दावों
को
सच्चा
बताने
के
लिए
"भूमि
हड़पने
की
मंशा
और
सामरिक
कार्रवाई
करना"
जारी
रखा
है।
पेंटागन
की
बुधवार
को
जारी
रिपोर्ट
में
आगे
कहा
गया
है
कि,
"2020
में
चीन
और
भारत
के
बीच
सीमा
गतिरोध
की
ऊंचाई
पर,
पीपुल्स
लिबरेशन
आर्मी
(पीएलए)
ने
पश्चिमी
हिमालय
के
दूरदराज
के
इलाकों
में
एक
फाइबर
ऑप्टिक
नेटवर्क
स्थापित
किया,
ताकि
तेजी
से
संचार
प्रदान
किया
जा
सके
और
वहां
बाहरी
ताकत
से
खतरे
की
स्थिति
में
सुरक्षा
बढ़ाई
जा
सके।"
सीमावर्ती इलाकों में फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क बिछाया
पेंटागन की "मिलिट्री डिफेंस, डेवल्मेंट आॅफ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना-2021" रिपोर्ट में बताया गया कि, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा हिमालय के दूरदराज के इलाकों में तैयार किए गए फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क के सेट-अप ने उन्हें निकट-वास्तविक समय के आईएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और प्रतिक्रिया समयरेखा को सीमित करने के लिए स्थितिजन्य डेटा तक पहुंच प्रदान की। पेंटागन ने कहा कि, सीमा पर तनाव कम करने के लिए चल रहे राजनयिक और सैन्य संवादों के बावजूद, चीन ने एलएसी पर अपने दावों को सच्चा बताने के लिए "सामरिक कार्रवाई करना" जारी रखा है।
गलवान के टकराव के बाद स्थिति बिगड़ी
बता दें कि, पेंटागन नियमित रूप से अमेरिकी कांग्रेस को विभिन्न मुद्दों के बारे में रिपोर्ट करता है, जिसमें पूर्वी लद्दाख में हुआ भारत-चीन सीमा गतिरोध भी शामिल है, जो पिछले साल जून में दोनों सेनाओं के बीच झड़प के साथ शुरू हुआ था। उस घटना में दोनों पक्षों को नुकसान पहुंचा। भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए, वहीं चीन के भी कुछ सैनिक मारे गए। गलवान के टकराव के बाद दोनों देशों के मुद्दों को सुलझाने के लिए कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन भारत को कोई महत्वपूर्ण सफलता हासिल नहीं हुई।
2020 में चीन ने सैन्य उपकरणों में भारी बढ़ोतरी की
पेंटागन की रिपोर्ट में अब उल्लेख किया गया है कि भारत जब कोरोनावायरस महामारी से जूझ रहा था, तब सीमा पर संघर्ष और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का भी सामना करना पड़ा। उधर, 2020 में चीनी सेना ने सीमा पर हथियारों व अन्य सैन्य उपकरणों में भारी बढ़ोतरी की।
ड्रैगन ने अमेरिका की भी चिंता बढ़ाई
चीन की परमाणु शक्ति को लेकर पेंटागन ने बताया कि, चीन सिर्फ भारत के लिए खतरा नहीं है, अपितु चीन एक साल पहले अमेरिकी अधिकारियों की भविष्यवाणी की तुलना में परमाणु-हथियारों पर बहुत तेजी से काम कर रहा है। चीनी सरकार का मानना है कि, वे बीजिंग को सदी के मध्य तक अमेरिकी वैश्विक शक्ति से मेल खाने या उससे आगे निकलने में सक्षम बना सकते हैं।