मिलिए मोदी, सचिन और ऐश्वर्या के नाम पर आम उगाने वाले "मैंगो मैन" से
नई दिल्ली, 22 जुलाई। 80 साल से अधिक उम्र के कलीमुल्लाह खान हर सुबह जल्दी उठते हैं, नमाज अदा करते हैं, फिर लगभग एक मील चलकर अपने 120 साल पुराने आम के पेड़ के पास जाते हैं. इस पेड़ से उन्होंने कई वर्षों की देखभाल और खेती के बाद आम की 300 से अधिक किस्मों को तैयार किया है. पेड़ की ओर बढ़ते हुए कलीमुल्लाह जैसे-जैसे करीब जाते हैं, उनकी आंखों में एक खास चमक दिखाई देती है. अपने चश्मे को ऊपर-नीचे करके, पेड़ की शाखाओं और टहनियों से झांककर, पत्तों को छूकर और फलों तक पहुँचकर, वे उन्हें सूंघते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि वे पके हैं या नहीं.
मेहनत का फल मीठा
उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद में आम के बगीचे में खड़े होकर फलों के पेड़ों को देखते हुए 82 वर्षीय कलीमुल्लाह कहते हैं, "इस चिलचिलाती धूप में दशकों की कड़ी मेहनत का यह मेरा इनाम है." कलीमुल्लाह कहते हैं, "नंगी आंखों में तो यह सिर्फ एक पेड़ है, लेकिन अगर आप अपने दिमाग से देखें, तो यह एक पेड़, एक बाग और दुनिया का सबसे बड़ा आम कॉलेज है."
स्कूल छोड़ने के बाद किशोरावस्था में कलीमुल्लाह ने पहली बार आम की एक नई किस्म के साथ प्रयोग करना शुरू किया. उन्होंने एक पेड़ से सात तरह के फल उगाने की कोशिश की. उन्होंने 'क्रॉस-ब्रीड' के तरीके से आम की कई प्रजाति उगाई.
1987 से उनका गौरव और आनंद 120 साल पुराना आम का पेड़ रहा है, जो आम की 300 से अधिक विभिन्न किस्मों का स्रोत है, जिनमें से हर आम का अपना स्वाद, बनावट, रंग और आकार है.
सितारों के नाम आम की किस्में
बॉलीवुड स्टार और 1994 में चुनी गई मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय बच्चन के नाम पर उन्होंने सबसे शुरुआती किस्मों में से एक है और सबसे सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से है. कलीमुल्लाह कहते हैं, "आम एक अभिनेत्री की तरह खूबसूरत है. एक आम का वजन एक किलोग्राम से अधिक होता है, बाहरी त्वचा पर लाल रंग होता है और इसका स्वाद बहुत मीठा होता है."
उन्होंने अन्य आमों के नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के सम्मान में रखे हैं. एक और 'अनारकली' या अनार का फूल है और इसमें त्वचा की दो परतें और दो अलग-अलग गूदे होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में एक अलग खुशबू होती है.
आठ बच्चों के पिता कलीमुल्लाह कहते हैं, "लोग आएंगे और जाएंगे, लेकिन आम हमेशा रहेगा और सालों बाद जब भी ये सचिन आम खाए जाएंगे, लोग क्रिकेट के हीरो को याद करेंगे."
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खास है आम का यह पेड़
नौ मीटर या तीस फीट ऊंचे इस पेड़ में एक मजबूत तना है जो बहुत फैला हुआ है. पेड़ की छाया भी आराम देने वाली है. इस पेड़ की पत्तियां विभिन्न प्रकार की होती हैं और इनमें 'पैचवर्क' पैटर्न होता है. खान कहते हैं, "जैसे कोई भी दो उंगलियों के निशान एक जैसे नहीं होते, वैसे ही आम की कोई भी दो किस्में एक जैसी नहीं होती हैं. कुछ चमकीले पीले रंग के होते हैं जबकि और हल्के हरे रंग के होते हैं. प्रकृति ने आमों को इंसा जैसे गुणों से नवाजा है."
पेड़ों की ग्राफ्टिंग की उनकी विधि जटिल है और इस प्रक्रिया में एक खास तरह की एक शाखा को एक विशिष्ट बिंदु पर इस तरह से बहुत बारीक काट दिया जाता है कि वह एक खुला घाव छोड़ देता है, फिर दूसरी प्रकार की शाखा लगा दी जाती है. दो शाखाओं को घाव स्थल पर एक साथ चिपका दिया जाता है और टेप से सील कर दिया जाता है. कलीमुल्लाह समझाते हैं, "जब जोड़ मजबूत होगा तो मैं टेप हटा दूंगा और उम्मीद है कि यह नई शाखा अगले सीजन तक तैयार हो जाएगी. दो साल बाद एक नई किस्म मिल जाएगी."
कलीमुल्लाह के कौशल ने उन्हें कई सम्मान दिलाए हैं, उनमें से एक 2008 में पद्मश्री सम्मान भी है. साथ ही ईरान और संयुक्त अरब अमीरात के निमंत्रण भी शामिल हैं. वो कहते हैं, "मैं रेगिस्तान में भी आम उगा सकता हूं." भारत आमों का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो दुनिया के आमों के आधे उत्पादन का उत्पादन करता है. मलिहाबाद में 30,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में आम के बाग हैं और यहां राष्ट्रीय फसल का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा है.
एए/सीके (एएफपी)
Source: DW