तीन राज्यों में करारी हार के बाद यूपी से भी आई बीजेपी के लिए बुरी खबर
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के तकरीबन डेढ़ साल के भीतर ही योगी आदित्यनाथ की सरकार के खिलाफ लोगों के भीतर असंतोष देखने को मिल रहा है। द पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों इस बात को दर्शाते हैं कि पिछले तीन महीनों में योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता में भारी गिरावट हुई है। रिपोर्ट के अनुसार योगी की लोकप्रियता में शिवराज सिंह और रमन सिंह की लोकप्रियता के मुकाबले 6 फीसदी कम हुई है।
तीन महीने में गिरी लोकप्रियता
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ लोगों में भारी असंतोष है। चुनाव से पहले सामने आई इस रिपोर्ट ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की चिंता को बढ़ा दिया है। इससे पहले सितंबर में जब यह सर्वे किया गया था तो योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता में बढ़ोतरी देखने को मिली थी और उनकी रेटिंग 43 फीसदी पहुंच गई थी। लेकिन हाल में किए गए सर्वे के अनुसार पिछले तीन महीने में योगी की लोकप्रियता में गिरावट हुई है। दिसंबर माह के तीसरे हफ्ते में सिर्फ 38 फीसदी ही लोगों ने योगी आदित्यनाथ के पक्ष में वोट दिया। सिर्फ 43 फीसदी लोगों ने प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर पसंद किया है।
अखिलेश की लोकप्रियता में इजाफा
इस सर्वे में अखिलेश यादव की लोकप्रियता में इजाफा हुआ। इससे पहले अखिलेश को सिर्फ 29 फीसदी लोगों ने अगले मुख्यमंत्री के तौर पर पसंद किया था, लेकिन दिसंबर में हुए सर्वे में उनकी लोकप्रियता में 9 फीसदी का इजाफा हुआ और उन्हें 37 फीसदी वोट मिले। ऐसे में अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता में सिर्फ एक फीसदी का ही अंतर है। वहीं मायावती को एक बार फिर से लोगों ने नकार दिया है। पिछले सर्वे में उन्हें जहां 18 फीसदी लोगों ने मत दिया था, तो इस बार उन्हें सिर्फ 15 फीसदी ही मत मिला, ऐसे में उनकी लोकप्रियता में 3 फीसदी की गिरावट हुई है।
क्या हैं 2019 के अहम मुद्दे
सर्वे में लोगों के लिए बेरोजगारी का मुद्दा सबसे अहम रहा। लोगों ने 2019 में वोट देने के लिए रोजगार को सबसे बड़ा मुद्दा माना है। 32 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को आगामी चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बताया है। वहीं बढ़ती कीमतों को 21 फीसदी लोगों ने दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा माना है, जबकि 17 फीसदी लोगों ने कृषि को अहम मुद्दा माना है। हिंदू-मुस्लिम विवाद को 9 फीसदी लोगों ने आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव में मुद्दा माना है। पिछले तीन महीने में जिस तरह से योगी की लोकप्रियता में गिरावट हुई है, उसके बाद लोगों का आरोप है कि योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव के दौरान ध्रुवीकरण करने की कोशिश की।
इसे भी पढ़ें- तीन राज्यों में भाजपा की हार के अगले दिन चिराग पासवान ने वित्त मंत्रालय से पूछा नोटबंदी से क्या फायदा हुआ?