वर्ल्ड योगा डे: सूनी पड़ी योग की जन्मस्थली, रामदेव, पीएम मोदी भी भूले
वर्ल्ड योगा डे: सूनी पड़ी योग की जन्मस्थली, रामदेव, पीएम मोदी भी भूले
नई दिल्ली। 21 जून को वर्ल्ड योगा डे है। पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयासों से विश्व योग दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा है। भारत में भी जबरदस्त इंतजाम किए गए हैं, लेकिन हमें योग की विरासत देने वाले पतंजलि की जन्मभूमि के लिए सरकार की ओर से भी कोई प्रयास नहीं किए गए।
विश्व धरोहर लेकिन कोई पूछने वाला नहीं
उत्तर प्रदेश में गोंडा जिले के कोंडर ग्राम में पतंजलि की जन्मभूमि है। योग ऋषि की जन्मभूमि को संरक्षित करके विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिये करीब दो दशक से पतंजलि जन्मभूमि न्यास संघर्ष कर रहा है। न्यास की ओर से केंद्र और राज्य सरकार के साथ यूनेस्को को भी कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
खुद महर्षि पतंजलि ने किया था अपने जन्मस्थान का जिक्र
न्यास के अध्यक्ष भगवदाचार्य का कहना है कि 2200 साल पहले जन्मे महर्षि पतंजलि ने स्वयं ‘व्याकरण महाभाष्य' में अपनी जन्मस्थली का जिक्र किया है। पतंजलि ने स्वयं को बार-बार गोनर्दीय कहा है। प्राचीन अयोध्या तथा श्रावस्ती के बीच स्थित भू-भाग को गोनर्द क्षेत्र माना जाता है।
पानी, बिजली तक की सुविधा नहीं
भगवदाचार्य के मुताबिक, लखनऊ से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थिति पतंजलि की जन्मभूमि पर दूरदराज से आने वालों के लिये न कोई आश्रम या धर्मशाला है और ना ही पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं।
वर्ल्ड योगा डे पर योग की जन्मभूमि में कोई आयोजन नहीं
उन्होंने बताया कि निवर्तमान जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने पतंजलि की जन्मस्थली के विकास के लिए अपर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया था, जिसे तीन माह में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन समिति अब रिपोर्ट नहीं दी थी। भगवदाचार्य ने बताया कि पूरी दुनिया में योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन कोंडर ग्राम में इस बार भी कोई सरकारी आयोजन नहीं हो रहा है।
रामदेव ने भी नहीं ली सुध
पतंजलि ने वित्त वर्ष 2017-18 में 20,000 करोड़ की बिक्री का लक्ष्य रखा है। यह बात किसी और ने नहीं बल्कि खुद बाबा रामदेव ने कही है। पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के नाम से बाबा रामदेव तेल, साबुन, क्रीम से लेकर आटा, दाल, चावल तक क्या नहीं बेच रहे हैं, लेकिन आपको यह जानकर दुख होगा जिन महर्षि पतंजलि के नाम पर इतना बड़ा कारोबार चल रहा है, उनकी बदहाल जन्मभूमि की सुध लेने वाला भी आज कोई नहीं हैं।