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मां तुझे सलाम: मातृभूमि की रक्षा के लिए विंग कमांडर अभिनंदन की मां ने बेटे को ऐसे किया तैयार

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नई दिल्‍ली। देश का इंतजार शुक्रवार खत्‍म हुआ जब 56 घंटे के बाद इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के फाइटर पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान देश लौट आए। अभिनंदन का पूरा देश पलक पांवड़े बिछा कर इंतजार कर रहा था। अभिंनदन की बहादुरी और उनका हौंसला देखकर दुनिया के किसी भी हिस्‍से में बैठे फाइटर पायलट को उन पर नाज हो रहा था। वर्तमान फैमिली को करीब से जानने वाले ग्रुप कैप्‍टन (रिटायर्ड) तरुण कुमार सिंघा ने उनकी मां के बारे में जो कुछ भी अपने एक आर्टिकल में लिखा है, उसे पढ़ने के बाद आप खुद ही समझ सकते हैं कि विंग कमांडर इतने बहादुर कैसे हैं।

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दुश्‍मन का खौफ भी अभिनंदन पर बेअसर

दुश्‍मन का खौफ भी अभिनंदन पर बेअसर

27 फरवरी को अभिनंदन को मिग-21 क्रैश हुआ और वह पीओके में जा गिरे। इसके बाद पाकिस्‍तान आर्मी की कैद में उनकी कई फोटोग्राफ्स और वीडियो सामने आने लगे हैं। अभिनंदन को देखकर कोई भी समझ सकता था कि दुश्‍मन की सरजमीं पर होने के बाद भी वह एक सैनिक की ही तरह बहादुरी के साथ खड़े हैं। दुश्‍मन की खौफ भी उनकी हिम्‍मत को कम नहीं कर सका। ये हिम्‍मत उस समय भी उनकी आंखों में नजर आई जब वह वाघा बॉर्डर पर थे और बस 30 मीटर का फासला तय करके अपनी मातृभूमि पर कदम रखने की ओर बढ़ रहे थे। विंग कमांडर अभिनंदन को कहीं न कहीं अपनी उस मां की याद आई होगी जिसने बचपन से उन्‍हें मजबूत रहना सिखाया।

मां से विरासत में मिली बहादुरी

मां से विरासत में मिली बहादुरी

अभिनंदन को यह ताकत, बहादुरी और यह हौंसला विरासत में मिला है। जहां उनके पिता एयर मार्शल (रिटायर्ड) एस वर्तमान खुद एक फाइट पायलट रह चुके हैं तो उनकी मां शोभा वर्तमान डॉक्‍टर हैं। डॉक्‍टर शोभा की तैनाती उन देशों में हुई है जहां पर दशकों तक संघर्ष चला है। डॉक्‍टर शोभा वर्तमान अपने पूरे मेडिकल करियर में मेडिसिन सैंस फ्रंटियर्स यानी डॉक्‍टर्स विदआउट बॉर्डर्स के साथ रही हैं। ग्रुप कैप्‍टन सिंघा के मुताबिक डॉक्‍टर शोभा असलियत में एक ऐसी महिला का प्रतीक हैं जो सकारात्‍मकता और ताकत से भरी होती है। उन्‍होंने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में मानवता का प्रदर्शन किया है। कई घायल लोगों का इलाज किया है।

मानसिक तौर पर मजबूत डॉक्‍टर शोभा

मानसिक तौर पर मजबूत डॉक्‍टर शोभा

डॉक्‍टर शोभा की तैनाती दुनिया के सबसे ज्‍यादा हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में से एक हैती में रही। यहां पर उन्‍होंने इस बात को सुनिश्चित किया कि मां और उनके नवजात बच्‍चों पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े। ग्रुप कैप्‍टन सिंघा को जब अभिनंदन वर्तमान के बारे में पता लगा तो उन्‍होंने डॉक्‍टर शोभा को एक ई-मेल भेज कर अपनी भावनाएं व्‍यक्‍त कीं। इतने तनावपूर्ण समय के बीच भी डॉक्‍टर शोभा ने 15 मिनट के अंदर देर रात उनके ई-मेल का जवाब दिया। ग्रुप कैप्‍टन सिंघा की मानें तो इससे पता लगता है कि डॉक्‍टर शोभा मानसिक तौर पर कितनी मजबूत हैं। डॉक्‍टर शोभा स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा के क्षेत्र में एक एक्टिविस्‍ट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। दो वर्ष पहले बाल यौन शोषण में दोषियों की सजा बढ़ाने के मकसद से उन्‍होंने एक ऑन लाइन कैंपेन लॉन्‍च किया था।

एके-47 के बीच भी जारी थी सेवा

एके-47 के बीच भी जारी थी सेवा

साल 2005 में डॉक्‍टर शोभा की तैनात आइवरी कोस्‍ट में हुई और ये हिंसा से इस कदर प्रभावित था कि हर जगह एके-47 लेकर आतंकी घूमते थे। इसके बाद भी वह यूएन पीसकीपिंग मिशन के साथ यहां पर पहुंची थीं। इसके अलावा डॉक्‍टर शोभा लाइबेरिया और नाइजीरिया में भी रही हैं, इन दोनों ही देशों ने सिविल वॉर के सबसे खतरनाक दौर को देखा है। जिस जगह पर डॉक्‍टर शोभा की तैनाती थी वहां पर अक्‍सर गांववालों और तेल कंपनियों, सरकार और गांव वालों के बीच हिंसा होती रहती थी। इसके अलावा तेल और दूसरे विरोधी भी यहां पर अशांति पैदा करते रहते थे।

इराक में देखा सबसे खतरनाक दौर

इराक में देखा सबसे खतरनाक दौर

दूसरे गल्‍फ वॉर के दौरान जब इराक में डॉक्‍टर शोभा को तैनात किया गया तो यहां पर वे कई जानलेवा अनुभवों से गुजरीं। इराक में डॉक्टर शोभा इकलौती एनेस्‍थेलॉजिस्‍ट थीं। बाहर ब्‍लास्‍ट होते थे और जब लोग अंदर रहने को मजबूर होते थे डॉक्‍टर शोभा उस समय भी सुरक्षा को नजरअंदाज करके अपने काम पर ध्‍यान देती थीं। यहांत तक सर्जन भी अपने होटलों में ही रहते थे। डॉक्‍टर शोभा ने ईरान और इराक के बीच तनाव के सबसे खराब दौर को भी देखा है। साल 2009 में वह पापुआ न्‍यू गिनी में थीं जहां पर उन्‍होंने आदिवासियों का इलाज किया। हैती में भूकंप की वजह से जब 300,000 लोगों की मौत भूकंप की वजह से हो गई तो उस समय भी डॉक्‍टर शोभा यहां पर मर्सी मिशन के लिए तैनात थीं।

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English summary
Wing Commander Abhinandan Varthaman's mother, Dr Shobha Varthaman is his source of inspiration.
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