क्या मोदी सरकार नागरिकता संशोधित एक्ट में बदलाव करेगी ?
संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में देश भर में बवाल मचा हुआ है।उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सीएए में कुछ बदलाव भी हो सकते हैं ये संकेत दिए हैं।There has been a nationwide uproar against the revised citizenship law. Vice President Venkaiah Naidu has indicated that there may be some changes in the
बेंगलुरु। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में बवाल मचा हुआ हैं। नागरिकता संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों में पास होते ही विपक्षी दलों के द्वारा लगातार सड़को पर आंदोलन किया जा रहा है। विपक्ष और समाजसेवी संगठनों द्वारा किए जा रहे इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान देश भर में कई शहरों में सैंकड़ो वाहन समेत करोड़ो की संपत्ति को आग में स्वाहा कर दिया गया। इतना ही नहीं इस विरोध-प्रदर्शन में देश भर में अब तक लगभग 35 लोगों की जान तक जा चुकी हैं। पूर्वोत्तर में लोगों को लग रहा है कि शरणार्थियों को नागरिकता मिलने से उनकी अपनी संस्कृति और पहचान खत्म हो जाएगी। वहीं मुस्लिमों का कहना है कि सीएए में मुस्लिम शरणार्थियों को न जोड़ना भेदभाव है। मुस्लिम इसे एनआरसी से जोड़कर देख रहे हैं। भय है कि एनआरसी हुई तो गैर-मुस्लिमों को नागरिकता मिलेगी। इन्हें परेशानी होगी।
वहीं इस कानून को लेकर विपक्षी दलों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का असर एनडीए गठबंधन की राजनीति पर भी पड़ रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर राय को शामिल करने के लिए विभिन्न मंचों पर नए सिरे से मंथन होगा? क्या सरकार विभिन्न समूहों के बीच विचार मंथन से बनी राय मानेगी? ऐसे सवाल इसलिए उठ रहे है क्योंकि उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय स्तर पर उथल-पुथल मचाने वाले सीएए या एनपीआर जैसे नियमों एवं कार्यक्रमों के विरोध में हिंसा-तोड़फोड़ का रास्ता छोड़ विचार-विमर्श का विकल्प अपनाने की सलाह दी है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि संशोधित कानून में सरकार क्या कोई बदलाव करने जा रही ?
उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दिए ये संकेत
मोदी सरकार तो नहीं लेकिन उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कुछ ऐसे संकेत दिए है जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि भविष्य में सीएए में बदलाव किया जा सकता है। विगत रविवार को आंध्र प्रदेश में संयुक्त आंध्र प्रदेश के दिवंगत सीएम एम चन्ना रेड्डी के जयंती कार्यक्रमों का उद्घाटन करते हुए नायडू ने कहा कि केंद्र को भी लोगों की आशंकाओं को दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएए और एनपीआर जैसे मुद्दों पर विचारपूर्ण और सकारात्मक बहस जरूरी है। लेकिन इसके विरोध प्रदर्शन में हिंसा नहीं होनी चाहिए।
इस पर सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए
उन्होंने कहा, 'सीएए हो या फिर एनपीआर, देशवासियों को इन पर संवैधानिक संस्थाओं, सभाओं और मीडिया में विचारपूर्ण, सार्थक तथा सकारात्मक चर्चा में हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पर लोगों को यह जानना चाहिए कि यह कानून कब आया, क्यों आया, इसका क्या प्रभाव होगा और क्या इसमें किसी बदलाव की जरूरत है? इतना ही नही नायडू ने कहा कि इस पर चर्चा होने से लोगों को इस कानून के बारे में जानकारी बढ़ेगी और हमारा तंत्र मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सहमति, असहमति आधारभूत सिद्धांत है। इसलिए अच्छी है या बुरी इन सभी बातों पर दोनों पक्षों को सुना जाना चाहिए बाद में उसी हिसाब से कार्रवाई होनी चाहिए।
हिंसा न करने की दी सलाह
नायडू ने इस अवसर पर महात्मा गांधी का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने मुश्किल चुनौतियों के समय भी हिंसा नही होने दी थी। उन्होंने हिंसा का सदा विरोध किया था।अब ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस कानून पर बदलाव करने पर विचार किया जा सकता है।
सीएए पर जनता का मूड भांप रही राजनीतिक पार्टियां
एक बात तो सबसे खास है, वो ये कि भाजपा को छोड़कर सभी विपक्षी दल सीएए के खिलाफत में एक प्लेटफॉर्म पर नजर आ रहे हैं। चाहे एनडीए के प्रमुख घटक जदयू हो या फिर महागठबंधन के कांग्रेस-राजद। इसके अलावा पहले दिन से सीएए व एनआरसी को लेकर सड़क पर उतरी एआइएमआइएम भी आंदोलन को धार देने में जुटी है। विधानसभा चुनाव की आहट को देखते ही सभी दल इसी बहाने आवाम की नब्ज टटोलने में जुट गए हैं।
भाजपा के साथी ही कर रहे विरोध
इसी कड़ी में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एक तरफ जदूय सदन में भाजपा सरकार के साथ कदमताल कर रही थी तो अब सड़क पर आवाम के साथ किशनगंज के दोनों जदयू विधायक दिख रहे हैं। वहीं बिहार सरकार का कहना है कि सीएए कानून में कई त्रुटियां हैं। इन त्रुटियों को सुधार किए बिना इसे लागू करना जनहित में नहीं है। सीएम नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सूबे में एनआरसी को किसी भी हालत लागू नहीं होने देंगे।
दिल्ली-बिहार चुनाव से पहले भाजपा उठा सकती है ये कदम
राजनीति विशेषज्ञ का मानना है कि बिहार और दिल्ली में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे है ऐसे में सीएए से नाराज जनता को साधने के लिए भाजपा इस कानून में कुछ बदलाव पर विचार कर सकती हैं। पिछले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवा चुकी भाजपा अब आगामी चुनावों में को लेकर कोई रिस्क नहीं उठा सकती इसलिए संभव है कि इस कानून को लेकर लोगों में फैली भ्रान्तियों को दूर करने के साथ ही भाजपा इसमें शीघ्र ही कोई बदलाव भी कर सकती हैं!
सीएए के समर्थन में भाजपा कर रही जागरुकता रैली
गौरतलब है कि भाजपा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में रैली होने जा रही है। इस कार्यक्रम की पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने तैयार की है लेकिन आयोजन सीएए समर्थक मंच के बैनर तले होगा। इस रैली में भाजपा समेत सभी संगठन की तैयारी को देखकर साफ पता चल रहा है कि सीएए को लेकर गलतफहमी दूर करने के साथ यह संदेश भी दिया जाएगा कि विरोध से कहीं ज्यादा संख्या इसका समर्थन करने वालों की है। लोगों को बताया जाए कि विपक्षी दल भ्रम फैलाकर लोगों को बहकाने में लगे हैं। यह जागरूकता अभियान चार जनवरी तक चलेगा। यस रैली के दौरान लोगों को बताया जा रहा है कि विपक्षी दल भ्रम फैलाकर लोगों को बहकाने में लगे हैं। युवा, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिला, अनुसूचित जाति और किसान मोर्चा की जिम्मेदारी दी गयी है कि वे समाज के सभी वर्गो को जागरूक करें। जागरूकता अभियान चार जनवरी तक चलेगा। शरणार्थी सम्मेलन का आयोजन भी किया जाएगा। जिन लोगों की नागरिकता अभी नही हुई है उनको नागरिकता दिलाने का काम किया जाएगा। भाजपा जनता के बीच जाकर हस्ताक्षर अभियान चलाने का काम भी करेगी।
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