केजरीवाल सरकार में आतिशी मार्लेना को क्यों नहीं मिला मंत्री पद?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं के अपार समर्थन और महिला नेताओं के बेहतरीन प्रदर्शन के चलते आम आदमी पार्टी 70 में से 62 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल हुई है. अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक़, इस चुनाव में आम आदमी पार्टी की धमाकेदार जीत की सबसे बड़ी वजह महिला मतदाताओं
दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं के अपार समर्थन और महिला नेताओं के बेहतरीन प्रदर्शन के चलते आम आदमी पार्टी 70 में से 62 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल हुई है.
अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक़, इस चुनाव में आम आदमी पार्टी की धमाकेदार जीत की सबसे बड़ी वजह महिला मतदाताओं का अभूतपूर्व समर्थन है. इस चुनाव में महिलाओं का समर्थन पिछले चुनाव की अपेक्षा कहीं ज़्यादा था.
मतदान से पहले शाम को हुए सर्वे के मुताबिक़, 49 फीसदी पुरुषों के मुक़ाबले 60 फीसदी महिलाओं ने आम आदमी पार्टी को वोट देने की ओर अपना रुझान जताया था.
इसके साथ ही साल 2015 के चुनाव की तुलना में आम आदमी पार्टी के विधायकों की संख्या में कमी आई है.
जबकि महिला विधायकों की संख्या में इज़ाफा हुआ है.
साल 2015 के चुनाव में कुल 67 विधायकों में से छह विधायक महिलाएं थीं.
जबकि 2020 के चुनाव में 62 विधायकों में से 8 विधायक महिलाएं हैं.
लेकिन इसके बाद भी अरविंद केजरीवाल ने अपनी कैबिनेट में एक भी महिला नेता को जगह नहीं दी है.
मनीष सिसोदिया जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेता इसे अरविंद केजरीवाल का फ़ैसला बताकर इस सवाल से पल्ला झाड़ते हुए दिख रहे हैं.
मगर सोशल मीडिया में कई लोगों ने केजरीवाल सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल उठाया है.
केजरीवाल के फ़ैसले का विरोध
कई लोगों ने आतिशी मार्लेना को नज़रअंदाज किए जाने पर अफ़सोस जताया है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी की शिक्षिका डॉ. चयनिका उनियाल ने लिखा है, "अरविंद केजरीवाल जी दावा करते थे कि मंत्रालयों का वितरण योग्यता के आधार पर होता है. क्या आम आदमी पार्टी में कोई योग्य महिला नहीं है या फिर वे ये मानते हैं कि महिलाओं में योग्यता नहीं होती है?"
As @ArvindKejriwal ji used to claim- distribution of ministries on merits. Don't they have any meritorious #women or they don't believe #women do have merits. @AamAadmiParty @FeminismInIndia @IndiaMeToo @MahilaCongress https://t.co/B1JRZe11rx
— Dr.Chayanika Uniyal (@dr_chayanika) February 14, 2020
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने ट्विटर पर लिखा है, "अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया, ये बेहद निराशाजनक है. विशेषत: तब जबकि आतिशी मार्लेना और उन जैसी दूसरी नेता उपलब्ध हैं."
This is disappointing, @ArvindKejriwal @msisodia. Especially with @AtishiAAP and others like her available. https://t.co/9idhBnRGoP
— Karuna Nundy (@karunanundy) February 14, 2020
इनके साथ-साथ फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप, लेखक राना सफवी और कॉमेडियन अमित टंडन समेत तमाम ट्विटर यूज़र्स ने आतिशी को कैबिनेट में शामिल नहीं होने पर हैरानगी जताई है.
ऐसे में सवाल उठता है कि अरविंद केजरीवाल ने कथित रूप से दिल्ली के स्कूलों की दशा सुधारने वालीं आतिशी मार्लेना या उनके जैसी किसी दूसरी महिला नेता को अपनी कैबिनेट में शामिल क्यों नहीं किया.
आम आदमी पार्टी की विवशता?
दिल्ली सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले मनीष सिसोदिया ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है.
सिसौदिया ने कहा है, "दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन बनेगा, ये बात जनता तय करती है. लेकिन मुख्यमंत्री के साथ कैबिनेट में कौन काम करेगा, ये बात मुख्यमंत्री जी तय करते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री जी ने तय किया है कि जनता जिस मंत्रीमंडल के काम से खुश है, उसी को आगे लेकर आया जाए, और पिछले पांच साल जैसे सरकार चली है, उसे उस तरह से ही चलाया जाए. ऐसे में अगर मुख्यमंत्री जी ये मानते हैं कि कैबिनेट को रिपीट किया जाए तो हमें नहीं लगता है कि इसमें कुछ भी ग़लत है."
आम आदमी पार्टी के नेता अंकित लाल ने भी कैबिनेट में महिलाओं को शामिल नहीं किये जाने पर अपना पक्ष रखा है.
अंकित लाल कहते हैं, "पार्टी में मंत्रियों के स्तर पर ही नहीं, बल्कि हर स्तर पर महिलाओं की ज़्यादा सहभागिता की ज़रूरत है. इस बात पर सभी सहमत हैं. चुनाव में जीतने वाली सभी महिला विधायकों को आने वाले दिनों में बड़े रोल दिए जाएंगे. लेकिन सिर्फ मंत्री बनना ही संगठन और सरकार में एक मात्र रोल नहीं होता है."
"लेकिन जब हम लोग अपने काम के आधार पर चुनाव जीते हैं तो स्वाभाविक रूप से उन लोगों के साथ ही दोबारा शुरुआत की जाएगी जिन्होंने अच्छा काम किया है."
"इस मुद्दे पर काफ़ी विचारविमर्श के बाद ये तय किया गया है कि फ़िलहाल इस तरह का बदलाव करना उचित नहीं होगा."
लेकिन कई वरिष्ठ पत्रकारों ने आतिशी मार्लेना को नज़रअंदाज किए जाने पर कड़ा विरोध जताया है.
वरिष्ठ पत्रकार फे डिसूज़ा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछते हुए लिखा है कि नई कैबिनेट में महिलाओं के प्रतिनिधि कहां हैं?
Where are the women representatives @ArvindKejriwal ? https://t.co/mt8QaOmGOi
— Faye DSouza (@fayedsouza) February 15, 2020
एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार प्रेम पेनिकर लिखते हैं, "आतिशी को कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाना एक बहुत बड़ी ग़लती है. वह एक ऐसी राजनेता हैं जिन्हें नापसंद करना उनके विरोधियों के लिए भी मुश्किल है. और वह योग्य और सक्षम भी हैं."
Not putting Atishi in the Cabinet is a huge mistake. The one AAP leader even opponents found hard to dislike - AND she is wualified AND competent. https://t.co/LMtBAVeNWr
— Prem Panicker (@prempanicker) February 14, 2020
आतिशी को क्यों नहीं मिला मंत्री पद?
वरिष्ठ पत्रकार अपर्णा द्विवेदी अरविंद केजरीवाल के इस फ़ैसले के लिए राजनीतिक कारणों को ज़िम्मेदार मानती हैं.
वे कहती हैं, "आम आदमी पार्टी महिला सुरक्षा से लेकर महिला भागीदारी की बात पुरजोर तरीके से करते आ रहे हैं. ऐसे में इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि इस बार वे अपनी कैबिनेट में एक महिला चेहरा ज़रूर डालेंगे. और आतिशी का नाम बार बार लाया जा रहा था. क्योंकि आतिशी के काम की बदौलत ही वह शिक्षा के क्षेत्र में इतना काम करने का दावा करते हैं."
"लेकिन उनके कैबिनेट में शामिल न होने की एक वजह ये हो सकती है कि आतिशी एक नया चेहरा हैं और वो उन्हें कैबिनेट में शामिल करने से हिचक रहे थे. दूसरी बात ये है कि वे ऐसा करके अपने पुराने सहयोगियों को नाराज़ नहीं करना चाह रहे थे. लेकिन अब ये उम्मीद लगाई जा सकती है कि मंत्रीमंडल विस्तार के मौके पर वे किसी महिला नेता को कैबिनेट में शामिल करें."
राजनीतिक मजबूरी?
वैसे, सोशल मीडिया पर आम आदमी पार्टी के इस फ़ैसले की निंदा जारी है.
कुछ लोगों का कहना है कि आम आदमी पार्टी नयी तरह की राजनीति करने का दावा करती थी लेकिन वह भी बीजेपी और कांग्रेस जैसी दूसरी पार्टियों की तरह व्यवहार कर रही है.
आम आदमी पार्टी की राजनीति पर शुरुआत से निगाह रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी मानते हैं कि इस तरह की अपेक्षाएं करना बेमानी है.
वे कहते हैं, "कुछ समय पहले तय ये चर्चाएं काफ़ी आम थीं कि आम आदमी पार्टी एक नयी तरह की राजनीति करने का दावा करने के बाद भी पुराने घिसे-पिटे राजनीतिक फॉर्मूलों का सहारा क्यों लेती है. लेकिन अब इस बात का कोई औचित्य नहीं है. क्योंकि दूसरी राजनीतिक पार्टियों की तरह आम आदमी पार्टी भी एक राजनीतिक दल है. और यह भी दूसरे दलों की तरह तय राजनीतिक नियमों और सीमाओं में रहकर ही काम करेगी."
वहीं, आतिशी को कैबिनेट में शामिल न किए जाने की बात की जाए तो आम आदमी पार्टी का ये फ़ैसला उचित नहीं है. आतिशी और राघव चड्ढा जैसे उभरते हुए नेताओं को कैबिनेट में जगह दी जानी चाहिए थी. क्योंकि इन दोनों नेताओं ने वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ पार्टी की जीत में अपनी भूमिका अदा की है."
"लेकिन पुरानी कैबिनेट को दोहराए जाने की एक वजह ये हो सकती है कि जब भी पुराने नेताओं को मंत्रीमंडल से हटाया जाता है तो एक टकराव की स्थिति पैदा होती है. कुछ नेता बागी तेवर अपना लेते हैं. और अरविंद केजरीवाल फ़िलहाल इस तरह के झगड़ों से बचना चाहते हैं."
दिल्ली सरकार में आने वाले दिनों में उभरती हुई महिला नेताओं को किसी न किसी तरह की ज़िम्मेदारी मिलने की संभावना है.
लेकिन बेहतरीन प्रदर्शन, चुनाव जिताऊ काम और साफ-सुथरी छवि के बाद भी आतिशी मार्लेना जैसी महिला नेता कैबिनेट में जगह कब बना पाएंगी, ये वक़्त ही बताएगा.