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कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे सबसे ज्यादा असुरक्षित क्यों? बचाव की क्या है भारत की तैयारी?

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नई दिल्ली, 21 मई। कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारत में स्वास्थ्य ढांचे को बुरी तरह से झकझोर दिया है। अभी दूसरी लहर से देश निकल भी नहीं पाया है कि विशेषज्ञ तीसरे लहर के लिए तैयार रहने को कह रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर इस साल के अंत तक आ सकती है। साथ ही यह चेतावनी दी गई है कि इस लहर में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

तीसरी लहर में बच्चों पर असर की आशंका को लेकर चिंता गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 10 प्रदेशों के जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल मीटिंग में भी नजर आई। इस मीटिंग में प्रधानमंत्री ने जिलाधिकारियों और क्षेत्र में काम कर रहे अधिकारियों से हर जिले में युवाओं और बच्चों में कोविड-19 के संक्रमण के आंकड़े इकठ्ठा करने को कहा था। पीएम ने कहा कि इस वर्ग को सुरक्षित रखने के लिए इस डेटा का जरूर विश्लेषण किया जाए।

सिंगापुर वेरिएंट, जिसे लेकर हुआ विवाद

सिंगापुर वेरिएंट, जिसे लेकर हुआ विवाद

पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमत्री अरविंद केजरीवार के सिंगापुर में बच्चों को प्रभावित करने वाले नए वेरिएंट के बारे में चिंता जताने ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया था। सिंगापुर ने दावा किया था कि वहां पर कोई नया स्ट्रेन नहीं है। सिंगापुर उच्चायोग ने स्पष्ट करते हुए कहा था कि सिंगापुर में हाल में बच्चों में जो वेरिएंट मिला है वह बी.1.617.2 वेरिएंट है जिसे सबसे पहले भारत में ही पाया गया था। फिलहाल सिंगापुर ने रविवार को कहा है कि वह स्कूलों को बंद कर रहा है क्योंकि बी.1.617 वेरिएंट भी बच्चों को प्रभावित कर रहा है।

भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के पीछे बी.1.617 वेरिएंट को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। महाराष्ट्र में फरवरी के बाद से आए केस में 60 प्रतिशत करीब बी.1.617 वेरिएंट के हैं। यह वेरिएंट अपने तीन स्वरूप बदल चुका है जिसे बी.1617.1, बी.1.617.2, बी.1.617.3 नाम दिया गया है।

पहली लहर की अपेक्षा इस बार अधिक बच्चे संक्रमित हुए हैं। इस बार देश में बेहद ही छोटे बच्चे और नवजात भी वायरस से संक्रमित हुए हैं जो कि पहली लहर में शायद ही सुनाई देता था।

बच्चों पर सबसे ज्यादा असर क्यों?

बच्चों पर सबसे ज्यादा असर क्यों?

कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी। सिंगापुर में ये मामले आने शुरू हो चुके हैं। हिंदुस्तान टाइम्स ने वायरोलॉजिस्ट डॉ वी रवि के हवाले से बताया है कि यह सामान्य बात है कि वायरस उन्हीं लोगों पर हमला करेगा जो अपनी प्रतिरक्षा को मजबूत नहीं कर रहे हैं। इस वायरस से या तो संक्रमण के जरिए या फिर टीकाकरण के माध्यम से इम्यूनिटी विकसित की जा सकती है। वरना वायरस आपको शिकार बना लेगा। वयस्क लोग, जो पहली और दूसरी लहर में सबसे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं, उन्हें टीका लगाया जा रहा है। पहली लहर में देश में केवल 4 प्रतिशत बच्चों में संक्रमण था जबकि इस बार यह 10 से 15 प्रतिशत है।

डॉ रवि बताते हैं कि देश में 60 प्रतिशत बच्चे कोरोना वायरस से असुरक्षित हैं क्योंकि बच्चों के लिए अभी तक वैक्सीन नहीं उपलब्ध हो पाई है।

भारत की क्या है तैयारी?

भारत की क्या है तैयारी?

जैसा कि पहले ही विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी कर दी है कि तीसरी लहर में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। इसके साथ ही दूसरी लहर ने ये सबक दे दिया है कि लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है, राज्य पहले से ही बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दे रहे हैं। दूसरी लहर की चपेट में आए दिल्ली, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्य पहले से ही कदम उठा रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को अधिकारियों के साथ मीटिंग की जिसमें कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स तैयार करने को कहा है।

कर्नाटक की स्वास्थ्य मंत्री ने बच्चों को कोविड से बचाने के लिए कई सारे उपाय करने का निर्देश दिए हैं। इसमें सभी जिलों में बच्चों का कोविड केयर सेंटर का निर्माण शामिल है।

महाराष्ट्र में भी इसकी तैयारी शुरू है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने मुंबई में बच्चों का कोविड अस्पताल और ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता कोविड के चलते अस्पताल में भर्ती हैं उनकी देखभाल के लिए नेटवर्क स्थापित करने की योजना बनाई है। 12 साल से कम उम्र के बच्चों का अस्पताल अगले दो महीने में बनकर तैयार हो जाएगा।

बच्चों के लिए वैक्सीन कब?

बच्चों के लिए वैक्सीन कब?

दुनिया में बहुत सारे देश बच्चों के लिए वैक्सीन की दिशा में काम कर रहे हैं वहीं कुछ देशों ने वैक्सीनेशन को मंजूरी दे दी है। बच्चों के लिए वैक्सीनेशन शुरू करने वाले देशों में सबसे पहले अमेरिका था। बाद में कनाडा ने भी बच्चों को वैक्सीन लगाने को मंजूरी दे दी। अब सिंगापुर और यूएई ने भी बच्चों को वैक्सीन की अनुमति दे दी है।

इस दौरान भारत में बच्चों के लिए वैक्सीन को लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के 2-18 साल आयु वर्ग पर फेज 2 या 3 के ट्रायल करने को मंजूरी दे दी है। इन परीक्षणों के 10-12 दिन में शुरू होने की संभावना है।

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English summary
why children so venerable in covid third wave what india planning
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