कौन हैं करोड़ों रुपये लेकर नाइजीरिया जाने वाले गुजराती संदेसरा बंधु?
इसके अलावा बिक्री के आंकड़े भी झूठे हैं, झूठे बिल और हवाला के ज़रिए कंपनी की बिक्री ज़्यादा दिखाई गई है.
ऊंची ख़रीद और लगातार बिक्री दिखाकर कंपनी ने बैंकों से लोन लिया. लोन देने वाले बैंकों के अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप भी हैं.
बैंक लोन के पैसे को हवाला और शेल कंपनियों के ज़रिए विदेशों में भेजने का संदेसरा बंधुओं पर आरोप है.
जो लोग चाय, जिलेटिन फ़ार्मा और कच्चे तेल का व्यापार करते हों और जिनकी आय करोड़ों में हो, वडोदरा में जिनका 60 हज़ार स्क्वॉयर फ़ीट का बंगला हो, जिसका इंटीरियर बॉलीवुड की सिलेब्रिटी इंटीरियर डिज़ाइनर सुजैन ख़ान और गौरी ख़ान ने तैयार किया हो, उनकी शान ओ शौक़त का अंदाज़ा लगाना ज़्यादा मुश्किल नहीं है.
लेकिन ऐसी राजसी ज़िंदगी जीने वाले संदेसरा बंधुओं के लिए फ़िलहाल अपने देश में चैन की सांस ले पाना मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि सीबीआई और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) उनकी तलाश में है. फिलहाल ये दोनों भाई भारत से बाहर हैं.
59 साल के नितिन संदेसरा मूल रूप से वडोदरा के रहने वाले हैं लेकिन पले-बढ़े मुंबई में हैं.
नितिन चार्टड अकाउंटेड हैं. उनके भाई चेतन संदेसरा उनसे दो साल छोटे हैं.
ऊटी में टी-गार्डन ख़रीदकर स्टर्लिंग टी की शुरुआत करने वाले इन दोनों भाइयों ने उन व्यवसायों को चुना जिनका भविष्य उन्हें कामयाब नज़र आ रहा था और इसके ज़रिए उन्होंने अपने लिए सालाना कई करोड़ डॉलर की वार्षिक आय वाले व्यावसायिक समूहों की स्थापना की.
संदेसरा समूह की सफलता
एक समय था जब औषधि और अन्य तरह के जिलेटिन से जुड़े उत्पाद के मामले में स्टर्लिन समूह का देश में 60 फ़ीसदी और दुनिया में 6 फ़ीसदी हिस्सा हुआ करता था.
किसी भी मशीन के हिस्से में हाथ से चलने वाले हत्थे (लेथ) की जगह जब सीएनसी मशीन का इस्तेमाल होने लगा तो इन भाइयों ने मशीन टूल के उत्पादन में हाथ आज़माया.
भारत में कच्चे तेल के उत्पादन और बिक्री के लिए दिग्गज सरकारी और निजी कंपनियां थी तब स्टर्लिंग ने नाइजीरिया में तेल के कुएं हासिल किए.
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वहां उत्पादन शुरू करने वाली यह पहली कंपनी बनी जिसने वापस भारत को तेल बेचना शुरू किया.
ये तो कहानी थी संदेसरा समूह की सफलता की लेकिन फ़िलहाल इस परिवार को सरकारी जांच एजेंसियां खोज रही हैं.
इज़्ज़त और मुनाफ़ा
संदेसरा बंधुओं पर बैंकों का 5100 करोड़ रुपये का कर्ज़ न चुकाने का आरोप है. उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी दोनों कंपनियों के नाम पर लिए गए लोन का इस्तेमाल दूसरी चीज़ों पर किया.
साल 1985 से 2017 के बीच जिस कंपनी ने सफल और बेदाग़ व्यापार किया हो, उसके प्रमोटर अचानक क्यों ग़ायब हैं. इतने लंबे अरसे में कमाई गई इज़्ज़त और मुनाफ़े का क्या हुआ और बैंकों से लिए गए बड़े कर्ज़ का क्या हुआ?
इन सवालों के जवाब जानने से पहले इन दोनों भाइयों और इनके परिवार के बारे में जान लेना ज़रूरी है.
नवरात्रि महोत्सव का डंका
नितिन सांडेसारे को व्यापार की अच्छी समझ है और उनकी शादी नहीं हुई है. कहा जाता है कि उन्होंने अपना पूरा समय व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए ही दिया है.
नितिन किसी भी नए क्षेत्र में निवेश करने से पहले उसकी अच्छी तरह परख कर लेते हैं ताकि स्टर्लिंग समूह को कोई नुक़सान ना हो.
बैंकों से लोन लेने के लिए प्रस्ताव बनाने में भी नितिन माहिर रहे हैं.
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वडोदरा के कई लोगों का मानना है कि नितिन की सूझबूझ और इवेंट मैनेजमेंट के हुनर के कारण वडोदरा में आयोजित होने वाले नवरात्रि महोत्सव का डंका देश-विदेश में बजता है.
हर्षद मेहता कांड
नितिन संदेसरा और उनके समूह ने बड़े स्तर पर गरबा का आयोजन कर साबित किया कि नवरात्रि को एक बहुत बड़े मार्केटिंग इवेंट के तौर पर भी पेश किया जा सकता है.
हालांकि कुछ साल बाद स्टर्लिंग समूह इस आयोजन से अलग हो गया. जब हर्षद मेहता कांड सामने आया तब नितिन शेयर बाज़ार के बड़े खिलाड़ी हुआ करते थे.
हालांकि स्टॉक मार्केट में एशियाई बाज़ार में मौजूद ब्रोकर इस विषय पर कोई पुख़्ता जानकारी नहीं देते हैं.
संबंधों का इस्तेमाल
नितिन के छोटे भाई की शोहरत उनकी पेज-थ्री पार्टियों की वजह से है. वो छोटी-छोटी वजहों से पार्टी देने और उनमें ख़ुद हाज़िर रहने के लिए जाने जाते हैं.
उनमें लोगों के साथ संबंध बनाने और भविष्य में इन संबंधों का इस्तेमाल कर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने का हुनर है.
ऐसा कहा जाता है कि दूसरी कंपनियों के मुक़ाबले संदेसरा बंधुओं की कंपनी को नाइजीरिया में प्रवेश दिलाने और कच्चे तेल का उत्पादन करने के लिए सरकारी मंज़ूरी प्राप्त करने के पीछे चेतन का ही दिमाग था.
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चेतन की पत्नी दीप्ति के संपर्क देश विदेश की मशहूर डिज़ाइनर, महंगे सामान बनाने वाले डीलर और बॉलीवुड सलेब्रिटीज़ के साथ बताए जाते हैं.
दीप्ति के सलेब्रिटी कनेक्शन, चेतन की लाइजनिंग और नितिन का दिमाग़ ही स्टर्लिंग कंपनी के मज़बूत स्तंभ माने जाते हैं.
पैसा कहां गया
सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार संदेसरा समूह के वार्षिक बिक्री के आंकड़े उनकी कंपनी के हिसाब में दिखाई गई प्रॉपर्टी और व्यापार में विस्तार से मेल नहीं खाते. यह सबकुछ महज़ कागजों पर ही है.
जो प्लांट 45 करोड़ का खरीदा गया है वो 450 करोड़ का दिखाया गया है और इस दिखाई गई ऊंची क़ीमत पर लोन लिया गया है.
इसके अलावा बिक्री के आंकड़े भी झूठे हैं, झूठे बिल और हवाला के ज़रिए कंपनी की बिक्री ज़्यादा दिखाई गई है.
ऊंची ख़रीद और लगातार बिक्री दिखाकर कंपनी ने बैंकों से लोन लिया. लोन देने वाले बैंकों के अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप भी हैं.
बैंक लोन के पैसे को हवाला और शेल कंपनियों के ज़रिए विदेशों में भेजने का संदेसरा बंधुओं पर आरोप है.
सीबीआई का दावा है कि कंपनी के शेयर लिस्टेड थे. लेकिन पब्लिक के नाम पर दिखाए गए शेयर हक़ीकत में उन शेल कंपनियों (वो कंपनियां जो प्रायः क़ाग़ज़ पर ही चलती हैं) के पास थे जिनके मालिक कथित तौर पर उनके परिवारजन थे.
शुरुआती जांच के बाद सीबीआई ने आरोप लगाया था कि संदेसरा परिवार ने शेयर की क़ीमतों को कम और ज़्यादा कर करोड़ों रुपये कमाए.
अभी तक हुई जांच से वैसे तो बहुत अधिक बातें सामने नहीं आ पाई हैं क्योंकि मुख्य अभियुक्तों की गिरफ़्तारी नहीं हुई है.
लेकिन कहा जा रहा है कि नितिन और चेतन दोनों भाई नाइजीरिया में हैं.
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