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E20 पेट्रोल क्या है ? वाहनों की क्षमता पर किस तरह का प्रभाव पड़ सकता है

E20 ईंधन के इस्तेमाल से पर्यावरण को काफी फायदा मिलने की संभावना है। इसके माध्यम से किसानों की आय भी बढ़ सकती है और इसपर हुई ज्यादातर रिसर्च काफी सकारात्मक रही है।

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सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में E20 ईंधन या 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल का पायलट लॉन्च किया है। 'इंडिया एनर्जी वीक' के मौके पर उठाया गया ये कदम स्वच्छ ईंधन की दिशा में वर्षों की पहल की वजह से संभव हुआ है। भारत में जो पेट्रोल बिकते हैं, उसमें पहले से ही 10 फीसदी अल्कोहल मिला होता है। अब इसे और बढ़ाया जाना है। उम्मीद है कि E20 पेट्रोल की मदद से देश को आने आने वाले समय में जीवाश्म ईंधन पर से निर्भरता को और कम करने में मदद मिलेगी और इसकी मदद से विदेशी मुद्रा की भी बचत करने में सहायता मिलेगी। यही नहीं, जहां यह स्वच्छ ईंधन पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है, वहीं इसे किसानों की आय बढ़ाने वाला भी माना जाता है।

इथेनॉल ब्लेंडिंग क्या है ?

इथेनॉल ब्लेंडिंग क्या है ?

इथाइल अल्कोहल या इथेनॉल एक जैव ईंधन है। इसे गन्ने या किसी भी कार्बनिक पदार्थ जैसे अनाजों का खमीर (fermenting) बनाकर तैयार किया जा सकता है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के अपने वैश्विक जिम्मेदारियों के तहत भारत ने इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत पेट्रोल की खपत घटाने के लिए उसमें इस जैव ईंधन को मिलाया जाता है। भारत अपने E10 लक्ष्य को पहले ही प्राप्त कर चुका है। यानि देश में जो अभी पेट्रोल इस्तेमाल होता है, उसमें पहले से ही 10% इथेनॉल की मात्रा शामिल की गई है। E20 पायलयट के तहत देश के कम से कम 15 शहरों को कवर किया जाना है, जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना है।

इथेनॉल मिश्रण बढ़ाया क्यों जा रहा है ?

इथेनॉल मिश्रण बढ़ाया क्यों जा रहा है ?

2020-21 में भारत ने 551 बिलियन डॉलर की लागत से 185 मिलियन टन पेट्रोलियम पदार्थों का आयात किया था। देश में जितना भी पेट्रोलियम पदार्थ उपलब्ध होता है, उनमें से अधिकतर वाहनों में ही इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह से E20 कार्यक्रम अगर सफल रहा तो देश का सालाना करीब 4 बिलियन डॉलर या 30,000 करोड़ रुपए बचेगा। केंद्र सरकार की ओर से गठित एक विशेष समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, 'कम प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के अलावा इथेनॉल, पेट्रोल से कम दाम पर उतना ही प्रभावी भी है।' रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 'देश में बड़े स्तर पर कृषि योग्य भूमि उपलब्ध है, अनाजों और गन्ने का सरप्लस उत्पादन हो रहा है, इथेनॉल उत्पादन की तकनीक आसानी से उपलब्ध है, वाहनों को इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग लायक बनाने की व्यवस्था भी है, जिससे E20 ना सिर्फ देश के लिए उपयुक्त है, बल्कि यह महत्वपूर्ण रणनीतिक आवश्यकता भी बना चुका है।'

पहले की रिसर्च क्या कहती है ?

पहले की रिसर्च क्या कहती है ?

भारत में इसकी उपयुक्तता पर हुई एक रिसर्च में पाया गया कि वाहनों में 'E20 से मेटल और मेटल कोटिंग को कोई दिक्कत नहीं हुई। इलस्टोमर्स ने साफ गैसोलीन के मुकाबले E20 के साथ खराब प्रदर्शन किया। E20 के साथ उपयोग करने से प्लास्टिक PA 66 की तन्य शक्ति (tensile strength) में गिरावट आई।' 2014-15 में ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने एक रिसर्च किया था, जिसमें पाया गया कि औसत वाहनों (वाहनों के प्रकार पर निर्भर) में इसकी वजह से फ्यूल इकोनॉमी 6% तक घटी। हालांकि, शुद्ध पेट्रोल और E20 वाले टेस्ट फ्यूल के साथ टेस्ट में शामिल किए गए वाहन ठंडे और गर्म परिस्थितियों में भी स्टार्टिंग और ड्राइविंग वाले परीक्षण पास कर गए। वाहन चलाते वक्त किसी भी मामले में कोई गंभीर गड़बड़ी नहीं पाई गई। जब सड़क पर माइलेज का परीक्षण किया जा रहा था, तो इंजन के उपकरणों में किसी तरह का घिसाव या इंजन ऑयल में असामान्य कमी नहीं दर्ज की गई।

ऐसे रिसर्च के परिणाम बहुत ही ज्यादा सकारात्मक रहे

ऐसे रिसर्च के परिणाम बहुत ही ज्यादा सकारात्मक रहे

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) और होंडा रिसर्च एंड डेवलपमेंट के शोध से पता चलता है कि अगर इंजन को बेहतर तरीके से ट्यून किया जाए तो E20 से सामान्य पेट्रोल के मुकाबले 20% तक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। वहीं फोर्ड मोटर कंपनी का निष्कर्ष है कि सामान्य पेट्रोल की तुलना में अगर E20 के इस्तेमाल के लिए वाहन को बेहतर तरीके से तैयार किया जाए तो यह माइलेज भी बढ़ाएगा और 5% तक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम कर सकता है।

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पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

केंद्रीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक वाहनों से होने वाले उत्सर्जन जैसे कि कार्बन मोनोऑक्साईड (CO),हाइड्रोकार्बन (HC) नाइट्रोजन की ऑक्साइड्स (NOx) भारत में अभी रेग्यूलेशन के अधीन हैं। इसमें कहा गया है कि पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से इस तरह के उत्सर्जन कम होते हैं। 'E20 ईंधन की वजह से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन में भारी कमी देखी गई- टूव्हीलर्स में 50% कम और चार पहिए वाले वानों में 30% कम। सामान्य गैसोलीन के मुकाबले इथेनॉल मिलाने से हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन में 20% तक कमी आई। नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में कोई खास कमी नहीं देखी गई, क्योंकि यह वाहनों या इंजन के प्रकार और इंजन की स्थिति पर निर्भर करता है।' कुछ परीक्षणों में E10 और E20 की वजह से कार्बोनिल उत्सर्जन बढ़ा भी, जैसे कि acetaldehyde लेकिन, यह बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं है। इस तरह से रिपोर्ट कहता है कि 'कुल मिलाकर दोपहिया और चार पहिया दोनों तरह के वाहनों में इथेनॉल मिलाने से उत्सर्जन कम करने में मदद मिल सकती है।' (दूसरी और तीसरी तस्वीर सौजन्य-PIB India)

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English summary
E20 petrol or fuel is a better choice for the protection of environment and economy of India. This is also expected to increase the income of the farmers.
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