कल तक दोस्ताना था, अचानक हिंदू-मुसलमान हो गए प्रिंस और हमजा
गली नंबर 3 से आए मोहम्मद ख़ालिद अपनी बच्ची को लेकर स्कूल आए थे. मीडिया को देखते ही रुक गए और बोले, ''मैडम यहां क्या हो रहा है. क्या सच में बच्चों के सेक्शन बदल रहे हैं. हमने तो ऐसा कहीं नहीं देखा. सेक्शन बदलकर ये लोग क्या करेंगे.''
उनके चेहरे पर ये चिंता साफ़ दिख रही थी कि अब आगे क्या होने वाला है. आख़िर अलग करने का मकसद क्या है.
प्रिंस और मोहम्मद हमजा, तब से साथ पढ़ रहे हैं जब वो धर्म का मतलब भी नहीं जानते थे. लेकिन आज वो एक-दूसरे के लिए हिंदू-मुस्लिम हो गए हैं.
दूसरी क्लास से ही साथ पढ़ने और खेलने-कूदने वाले प्रिंस और हमजा अचानक ही पांचवीं क्लास में अलग कर दिए गए. उन्हें बताया गया कि अब हिंदू-मुस्लिम अलग-अलग बैठेंगे.
लेकिन ऐसा क्यों किया जा रहा है, ये उन्हें पता नहीं था. वो तो बस अलग हो रहे थे. जो अभी तक सिर्फ़ बच्चे थे वो हिंदू-मुस्लिम हो गए थे.
लेकिन, प्रिंस और मोहम्मद हमजा अकेले नहीं हैं. दिल्ली के वज़ीराबाद गांव की गली नंबर 9 के निगम प्राथमिक बाल/बालिका विद्यालय में कई बच्चों का इस पहचान से सामना कराया गया. यहां स्कूल इंचार्ज के आदेश पर धर्म के आधार पर बच्चों के सेक्शन बदल दिए गए.
हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई को मज़बूती देती क्लास हिंदू और मुस्लिम क्लास में तब्दील हो गई.
5वीं के सेक्शन B में पढ़ने वाले प्रिंस बताते हैं, ''एक दिन मैडम ने हमसे कहा कि तुम्हारे सेक्शन बदलेंगे. हिंदू बच्चे अलग क्लास में पढ़ेंगे और मुसलमान अलग. इसके बाद से हमजा अलग हो गया. उसे दूसरे मुस्लिम बच्चों के साथ 5वीं क्लास के 'डी' सेक्शन में भेज दिया गया.''
''पहले हम दिनभर एक साथ रहते थे, लेकिन अब लंच में ही साथ खेल पाते हैं. हमारे घर भी दूर हैं इसलिए वहां भी नहीं मिलते.''
मोहम्मद हमजा ने भी क्लास बदलने पर कोई खुशी ज़ाहिर नहीं की. उन्होंने कहा, ''क्लास बदल गई थी तो थोड़ा अजीब लगता था. पुरानी क्लास में मज़ा आता था. अब यहां कुछ दोस्त बने हैं.''
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शिक्षकों ने किया था विरोध
पांचवीं कक्षा तक के इस स्कूल में कुल 625 बच्चे हैं और हर क्लास में चार सेक्शन हैं.
स्कूल इंचार्ज चंद्रभान सिंह सेहरावत ने सेक्शन बदलने का आदेश दिया था. इसके बाद शाम की शिफ्ट में आने वाले छात्रों को धर्म के अनुसार अलग-अलग सेक्शन में डाल दिया गया.
फ़िलहाल उत्तरी दिल्ली के मेयर ने चंद्रभान सिंह को स्कूल इंचार्ज के पद से निलंबित कर दिया है. जुलाई में प्रिंसिपल के जाने के बाद उन्होंने ये पद संभाला था और गर्मियों की छुट्टियों के बाद से सेक्शन बदले हैं.
स्कूल के शिक्षकों ने भी इस आदेश का विरोध किया था, लेकिन स्कूल इंचार्ज अपने फ़ैसले से पीछे नहीं हटे.
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हालांकि, चंद्रभान सिंह धर्म के आधार पर सेक्शन बांटने के आरोप से इनकार करते हैं. उन्होंने कहा, ''स्कूल में पहले तीन सेक्शन थे और उनमें बहुत ज्यादा बच्चे थे. एक क्लास में 60-65 बच्चे भी थे इसलिए हमने नए सेक्शन बनाए. अगर मेरा हिंदू-मुस्लिम बच्चे अलग करने का कोई मक़सद होता तो हम मिक्स सेक्शन क्यों रखते.''
लेकिन, स्कूल में मिक्स सेक्शन पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि उनमें एक धर्म की तुलना में दूसरे धर्म के बच्चों की संख्या दो या तीन ही है.
इस बात को ख़ुद प्रिंसिपल चंद्रभान ने स्वीकार किया.
उन्होंने बताया, ''पांचवी क्लास के सेक्शन A में 55 हिंदू, B में 59 हिंदू, C में 41 मुस्ल्मि व 2-3 हिंदू और D में 47 मुस्लिम बच्चे हैं. वहीं, पहली क्लास के सेक्शन A में 36 हिंदू और B में 36 हिंदू और 1 मुस्लिम बच्चा है. कुल 17 सेक्शन में से 9 ऐसे हैं जिसमें हिंदू-मुस्लिम दोनों बच्चे हैं.''
लेकिन, स्कूल के शिक्षक इस बारे में अलग ही कहानी बताते हैं.
तीसरी क्लास को पढ़ाने वाले एक वरिष्ठ शिक्षक सत्येंद्र पांडे कहते हैं, ''2 जुलाई से सेहरावत जी ने प्रिंसिपल इंचार्ज का पद संभाला था. उसके बाद ही उन्होंने ये आदेश दे दिया. कई शिक्षकों ने उनसे शिकायत की थी, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि आप पढ़ाइए, सेक्शन देखना उनका अधिकार है.''
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''इस स्कूल में हिंदू-मुस्लिम को लेकर कोई झगड़ा नहीं होता. सभी प्यार से रहते हैं. फिर पता नहीं क्यों उन्होंने ये फ़ैसला लिया.''
तीन-चार साल से यहां काम कर रहीं शिक्षिका तन्वी भाटिया कहती हैं, ''पेरेंट्स की बहुत शिकायत आती थी कि हिंदू ने मुस्लिम को या मुस्ल्मि ने हिंदू बच्चे को क्यों पीटा. घरवाले इसे बच्चों की लड़ाई की तरह नहीं ले पाते थे. इसलिए ये फ़ैसला लिया गया ताकि झगड़े न हों और बच्चों की पढ़ाई पर असर न पड़े.''
''लेकिन मैंने भी सेक्शन बदलने पर शिकायत की थी क्योंकि मेरी क्लास के होशियार मुस्लिम बच्चे दूसरी क्लास में चले गए थे. बच्चों को भी अजीब लगता है कि अचानक क्लास बदल गई.''
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पहले जैसे होंगे सेक्शन
मामले के तूल पकड़ने पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रिंसिपल चंद्रभान सिंह सेहरावत को निलंबित कर दिया और जांच शुरू कर दी है.
उत्तरी दिल्ली से मेयर आदेश गुप्ता ने प्रेस रिलीज़ जारी कर इस बात की जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में जाति, समुदाय या धर्म के आधार पर किसी भी सामाजिक विभाजन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ऐसी किसी भी कोशिश का पता चलने पर तुंरत कार्रवाई की जाएगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों से कहा है, ''हमें अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन हमने मीडिया में ऐसी ख़बरें पढ़ी हैं. मैंने इस पर रिपोर्ट मांगी है.''
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी ट्वीट करके इस मामले को संविधान के ख़िलाफ़ साज़िश बताया है. साथ ही शिक्षा निदेशक को जांच के आदेश दिए हैं.
https://twitter.com/msisodia/status/1050006090220544002
वहीं, दिल्ली बाल संरक्षण आयोग ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित स्कूल के प्रभारी को नोटिस जारी कर छात्रों को धर्म के आधार पर अलग- अलग बैठाने का कारण पूछा है.
आयोग ने दो दिन में फिर से सेक्शन बदलने के आदेश भी दिए हैं. साथ ही कहा है कि इस तरह से अलग-अलग बैठाने का प्रभाव बच्चों की समग्र शिक्षा और विकास पर पड़ सकता है.
'नफ़रत पैदा कर रहे हैं'
वज़ीराबाद गांव कुछ समय पहले हिंदू बहुल इलाक़ा था, लेकिन पुरानी दिल्ली से पलायन के बाद यहां मुस्लिम आबादी की संख्या भी बढ़ गई. इससे स्कूल में भी दोनों धर्मों के बच्चे पढ़ने आने लगे.
लेकिन, स्कूल के सामने ही टीवी की दुकान पर बैठे कुछ लोग किसी भी तरह के टकराव से मना करते हैं. उन्हें इस बात पर बड़ी हैरानी हो रही थी.
दुकान के मालिक राम कुमार कहते हैं, ''हमारे बच्चे भी यहां पढ़े हैं, लेकिन कभी ऐसा नहीं देखा. आज मुझे 47 साल हो गए हैं. अगर ऐसा किया गया है तो बहुत ग़लत है. इससे बच्चों के बीच नफ़रत पैदा होगी और झगड़ा बढ़ेगा. दोनों ही धर्मों के बच्चे मिलकर रहना कैसे सीखेंगे.''
दुकान पर ही बैठे आमिर तपाक से बोलते हैं कि ''अब इस मामले पर राजनीति होनी शुरू हो जाएगी. कांग्रेस-बीजेपी वाले आना शुरू कर देंगे, तोड़-फोड़ होगी और राजनीतिक रोटियां सेकी जाएंगी. हमारा तो एक साथ उठना-बैठना है तो बच्चे क्यों धर्म के नाम पर लड़ेंगे.'
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गली नंबर 3 से आए मोहम्मद ख़ालिद अपनी बच्ची को लेकर स्कूल आए थे. मीडिया को देखते ही रुक गए और बोले, ''मैडम यहां क्या हो रहा है. क्या सच में बच्चों के सेक्शन बदल रहे हैं. हमने तो ऐसा कहीं नहीं देखा. सेक्शन बदलकर ये लोग क्या करेंगे.''
उनके चेहरे पर ये चिंता साफ़ दिख रही थी कि अब आगे क्या होने वाला है. आख़िर अलग करने का मकसद क्या है.
अपने बेटे को लंच देने आई अमीना से जब बात की तो स्कूल में पढ़ाई न होने, इमारत ख़राब होने और बच्चों पर ध्यान न देने की उनकी शिकायतों में अब एक और परेशानी जुड़ गई है.
बच्चों से हिंदू-मुस्लिम सवाल
जब मैं स्कूल पहुंची तो मीडिया का जमावड़ा लगा था. कोई बच्चों को तो कोई उनके माता-पिता को रोककर सवाल पूछ रहा था.
पहली से लेकर पांचवी क्लास तक के सभी बच्चे वहां मौजूद थे. कुछ तो इतने मासूम कि कैमरा और माइक देखकर ही खुश थे.
इन सभी बच्चों से सवाल पूछे जा रहे थे. तुम्हारे सेक्शन बदल दिए गए हैं क्या? हिंदू बच्चों को अलग और मुस्लिम को अलग कर दिया है क्या? ऐसा क्यों किया गया है? क्या हिंदू-मुस्लिम बच्चे लड़ते थे?
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