अयोध्या विवाद: हिंदू पक्ष ने केस को संविधान पीठ में भेजने का किया विरोध
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अयोध्या जमीन विवाद को लेकर सुनवाई हुई। सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पैरवी कर रहे वकील राजू रामचंद्रन ने इस मामले को 5 जजों की संविधान पीठ में भेजने की मांग की। तो वहीं हिन्दू पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि मामला भूमि विवाद का है और इसकी संविधान पीठ में सुनवाई की जरूरत नहीं है।
इस मामले को बेवजह राजनीतिक और धार्मिक रंग दिया जा रहा है
हरीश साल्वे ने कहा कि , कोर्ट में बार-बार 1992 का हवाला दिया जा रहा है। देश उस घटना से काफी आगे जा चुका है। इस मामले को बेवजह राजनीतिक और धार्मिक रंग दिया जा रहा है। उन्होंने अपील की तीन जजों की बेंच इसे जमीन के विवाद की तरह सुने। तो वहीं दूसरे पक्ष के वकील राजू रामचंद्रन ने कोर्ट से मांग करते हुए कहा, 'यह मामला बेहद महत्वपूर्ण है और इस एक वृहद परिपेक्ष्य में देखने की जरूरत है, क्योंकि यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है, इसलिए इसे संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाना चाहिए।'
मुस्लिम पक्ष ने इस्माइल फारुखी फैसले को आधार बनाया है
इस मामले में सबसे अहम बात यह है कि मुस्लिम पक्ष ने मामले को संविधान पीठ के पास भेजने के लिए 1994 में आए इस्माइल फारुखी फैसले को आधार बनाया है। आपको बता दें कि इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने माना था कि मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। इसी को आधार बनाकर मुस्लिम पक्ष मामले के लिए संविधान पीठ की मांग कर रहा है।
इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 15 मई को होगी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 15 मई तय की है। इससे पहले इस मामले में 6 अप्रैल को सुनवाई हो चुकी है। बता दें कि सितंबर 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंदिर विवाद पर अपनी सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुनाया कि विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटा जाए। इस फैसले के खिलाफ पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। तभी से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।