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West Bengal elections:क्या नंदीग्राम की सभा टालकर ममता बनर्जी ने Suvendu Adhikari से मान ली है हार ?

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West Bengal assembly elections 2021:पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी(West Bengal chief minister Mamata Banerjee) ने 7 जनवरी को होने वाली अपनी बहुप्रतिक्षित नंदीग्राम (Nandigram) यात्रा टाल दी है। आधिकारिक तौर पर इसके पीछे की वजह कोविड-19 प्रोटोकॉल को बताया गया है। नंदीग्राम वही जगह है, जहां 13 साल पहले हुए जमीन-अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन ने तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) को राज्य की राजनीति में शिखर तक पहुंचाया है। ऐसे में तृणमूल नेता का नंदीग्राम का दौरा रद्द होने के पीछे कोई मामूली वजह हो नहीं सकती। वो भी तब जब हर साल 7 जनवरी को वहां टीएमसी 'शहीद दिवस' (सहीद दिवस) मनाती आई है।

ममता बनर्जी ने क्यों टाली नंदीग्राम की रैली ?

ममता बनर्जी ने क्यों टाली नंदीग्राम की रैली ?

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) हर साल 7 जनवरी को नंदीग्राम (Nandigram)में जमीन-अधिग्रहण के खिलाफ हुए आंदोलन में मारे गए लोगों के सम्मान में 'शहीद दिवस' मनाती है। 2007 में इस दिन जो आंदोलनकारी वहां मारे गए थे, टीएमसी कार्यकर्ताओं के लिए उनका सम्मान हमेशा से अहम रहा है। क्योंकि, इसी तारीख ने तृणमूल को वहां सत्ता दिलाई है। लेकिन, पार्टी के नेता सुब्रत मुखर्जी (Subrata Mukherjee) ने सोमवार को कहा कि ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की नंदीग्राम (Nandigram ) में होने वाली सभा टाल दी गई है। उनके मुताबिक इस कार्यक्रम के संयजोक और पार्टी के विधायक अखिल गिरी (MLA Akhil Giri) कोरोना संक्रमित हो गए हैं। गिरी ने ईटी से कहा है कि उस दिन पार्टी सांसद सुब्रत बक्षी (MP Subrata Bakshi) की मौजूदगी में पार्टी केवल कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन बुलाएगी। कहने का मतलब ये कि सिर्फ टीएमसी के एक विधायक के बीमार होने की वजह से मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष को टीएमसी का इतना बड़ा कार्यक्रम टालना पड़ा है?

एक महीने में ही कम से कम 7 रैलियां कर चुकी हैं ममता

एक महीने में ही कम से कम 7 रैलियां कर चुकी हैं ममता

टीएमसी सुप्रीमो का आखिर पार्टी के इतने बड़े इवेंट को टालने के पीछे आखिर यही वजह है, जो उसके नेता बता रहे हैं या फिर कुछ और इसपर चर्चा करने से पहले आइए हम ये जान लेते हैं कि जब राज्य में अभी के मुकाबले कोरोना संक्रमण के मामले काफी ज्यादा थे और पॉजिटिवटी रेट भी अधिक था, तब ममता कहां-कहां विशाल रैलियां कर चुकी हैं। वो कोलकाता (kolkata) से लेकर बांकुरा (bankura) तक में जन-सभाएं कर चुकी हैं। इन दोनों स्थानों के अलावा बीते करीब एक महीने में ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी कूच बेहार (cooch behar), जलपाईगुरी (jlpaiguri), उत्तर 24 परगना (north 24 parganas), पश्चिम बर्धमान (paschim bardhaman) और मिदनापुर (midnapore) में भी सार्वजनिक सभाएं कर चुकी हैं। उनकी आखिरी रैली 16 दिसंबर को कूच बेहार में हुई है। ये सभाएं अलग-अलग कारणों से हुई हैं, लेकिन सारी की सारी राजनीतिक रही हैं। किसी में कृषि कानूनों का विरोध किया गया तो किसी में केंद्र सरकार के खिलाफ पार्टी को अपने गुस्से का इजहार करना था। लेकिन, फर्क ये है कि तब तक पूर्व कैबिनेट मंत्री सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari)ममता के साथ थे और उन्हें मनाने की उम्मीदें नहीं टूटी थीं।

सुवेंदु अधिकारी के ममता से सवाल

सुवेंदु अधिकारी के ममता से सवाल

अब मुद्दे की बात करते हैं। पूर्ब मेदिनीपुर (Purba Medinipur) जिला स्थित नंदीग्राम में जहां ममता बनर्जी को 7 जनवरी को पार्टी के कार्यक्रम में हिस्सा लेना था, वह उनसे बगावत करके टीएमसी छोड़ने वाले सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के गृहनगर कोंटाई (Contai)से सटा हुआ है। अधिकारी अब भाजपा में हैं और 8 जनवरी को नंदीग्राम में उनकी भी सभा होने वाली है। गौरतलब है कि नंदीग्राम के आंदोलन में सुवेंदु अधिकारी की भूमिका बहुत बड़ी थी और पार्टी को उस आंदोलन से जोड़कर उठाने में भी उनका ही रोल बहुत महत्वपूर्ण रहा है। लेकिन, पिछले दिनों एक रैली में सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने भाजपा (BJP) में जाने के बाद यह सवाल उठा दिया था कि नंदीग्राम ने ममता बनर्जी (Mamata Banerjee)को जिस तरह हाथों-हाथ उठाया, उन्होंने उसके लिए क्या किया है?

इलाके में दिखता है सुवेंदु का दबदबा

इलाके में दिखता है सुवेंदु का दबदबा

वैसे टीएमसी नेता और ममता सरकार के मंत्रियों का कहना है कि ममता का कार्यक्रम सिर्फ टला है, रद्द नहीं किया गया है। पार्टी सांसद सुब्रत बक्षी (MP Subrata Bakshi) का कहना है कि बीजेपी कैसी प्रतिक्रिया देगी इसके आधार पर टीएमसी का कार्यक्रम तय नहीं होता। उनका दावा है कि अधिकारी का पार्टी छोड़ने से मेदिनीपुर के दूसरे विधायकों के जाने से कोई लेना-देना नहीं है। कुल मिलाकर तृणमूल कांग्रेस को अभी भी भरोसा है कि अधिकारी के जाने के बाद भी इलाके में ममता का जलवा बरकरार है और आगे भी रहेगा। गौरतलब है कि अबतक यही कहा जाता रहा है कि अधिकारी परिवार का इलाके की कम से कम 40 से 45 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है और इसलिए जब तक सुवेंदु खुद छोड़ नहीं गए, मुख्यमंत्री ने उन्हें मनाने और समझाने-बुझाने की कोई भी कसर नहीं छोड़ी थी।

क्या सुवेंदु अधिकारी की लोकप्रियता से डर गईं ममता?

क्या सुवेंदु अधिकारी की लोकप्रियता से डर गईं ममता?

लेकिन, भारतीय जनता पार्टी के नेता टीएमसी के दावों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजुमदार(Jaiprakash Majumdar) का दावा है कि हाल ही में कोंटाई में टीएमसी ने एक सभा आयोजित की थी। उसके बाद वहीं पर सुवेंदु अधिकारी की रैली हुई, जिसमें कहीं ज्यादा भीड़ उमड़ पड़ी। उन्होंने कहा, 'टीएमसी नेताओं को पता है कि उन्हें नंदीग्राम में कोई समर्थन नहीं मिलेगा और वे बेनकाब हो जाएंगे।' वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष (state BJP president Dilip Ghosh) का कहना है कि तृणमूल का कार्यक्रम, बीजेपी की प्रस्तावित रैली के चलते रद्द हुई है, क्योंकि उसे फजीहत का डर है।

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English summary
West Bengal assembly elections 2021:Has Mamata Banerjee accepted defeat from Suvendu Adhikari by avoiding the gathering of Nandigram?
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