विवियन रिचर्ड्स को भी है अफसोस कि वे सफल वैवाहिक जीवन नहीं जी पाये
नई दिल्ली, 20 जून। नीना गुप्ता अपनी जीवनी को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने सिंगल मदर होने की मानसिक यंत्रणा का विस्तार से जिक्र किया है। विश्वविख्यात क्रिकेट खिलाड़ी विवियन रिचर्ड्स के बच्चे की वे मां बनी। लेकिन उनसे शादी नहीं हो पायी। इस बात ने उन्हें मानसिक रूप से विचलित कर दिया था। वे चिंता और तनाव के दौर से गुजर रहीं थीं लेकिन मीडिया ने उनकी छवि एक मजबूत महिला की बना दी। नीना गुप्ता और विव रिचर्ड्स की बेटी मसाबा का जन्म 1989 में हुआ था। नीना गुप्ता से संबंध और मसाबा के जन्म का रिचर्ड्स की जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ा ? रिचर्ड्स पहले से शादीशुदा थे और उनके दो बच्चे भी थे। रिचर्ड्स बेशक महान खिलाड़ी थे लेकिन उन्हें भी अपने वैवाहिक जीवन में उथल पुथल का हमेशा अफसोस रहा। नीना गुप्ता से उनके रिश्ते को लेकर उनकी मां ग्रेटेल रिचर्ड्स को बहुत झटका लगा था।
1987-88 का वो क्रिकेट दौरा
1987-88 में विवियन रिचर्ड्स की कप्तानी में वेस्टइंडीज की टीम भारत के दौर पर आयी थी। पहला टेस्ट दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेल गया था। पहले ही टेस्ट में रिचर्ड्स ने 111 गेंदों में 109 रनों की विस्फोटक पारी खेल कर भारत को पांच विकेट से हरा दिया था। एक विध्वंसक बल्लेबाज के रूप में पहले से ही उनका दुनिया भर में नाम था। इस पारी से भारत में उनकी धूम मच गयी। इसके बाद दूसरा टेस्ट मैच मुम्बई में खेला गया। कहा जाता है मुम्बई में मैच के दौरान ही फिल्म अभिनेत्री नीना गुप्ता का रिचर्ड्स से परिचय हुआ था। ये संयोग की बात है कि रिचर्ड्स के टेस्ट जीवन की शुरुआत भी भारत में हुई थी। 1974 में उन्होंने पहला टेस्ट मैच बेंगलुरू में खेला था। जब (1987-88) नीना गुप्ता से रिचर्ड्स का परिचय हुआ वे पहले से शादीशुदा थे। उनकी पुत्री मतारा और बेटे माली रिचर्ड्स क जन्म हो चुका था।
रिचर्ड्स का कैसा था बचपन ?
विवियन रिचर्ड्स का जन्म वेस्ट इंडीज के एंटीगुआ एंड बारबुडा देश में हुआ। उनके पिता मैलकम रिचर्ड्स जेल अधिकारी थे। उन्होंने एंटीगुआ के लिए क्रिकेट खेला था। जेल अधिकरी होने के कारण मैलकम बहुत सख्त और अनुशासनप्रिय थे। वे धर्मिक व्यक्ति थे और नियमित रूप से चर्च जाते थे। रिचर्ड्स को भी हर रविवार को अनिवार्य रूप से चर्च जाना पड़ता था। बचपन में उन्हें चर्च जाना उबाऊ काम लगता था लेकिन वे पिता के डर से कुछ बोलते नहीं थे। उनकी मां ग्रेटेल बच्चों और घर का बहुत ख्याल रखती थीं। उनके माता-पिता का आपस में बहुत प्रेम था। रिचर्ड्स के दो भाइयों मार्विन और डोनाल्ड ने भी एंटीगुआ के लिए क्रिकेट खेला था। लेकिन बाद का सफर इससे आगे नहीं बढ़ा। मैलकम ने विवियन रिचर्ड्स को क्रिकेट खेलने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया। हाई स्कूल के बाद विव रिचर्ड्स ने पढ़ाई छोड़ दी। एक बार में काम करने लगे और सारा ध्यान क्रिकेट में लगा दिया। तब उनकी उम्र 18 साल थी। 1974 में उनका अंतररष्ट्रीय क्रिकेट जीवन शुरू हुआ जो अब एक गौरवपूर्ण इतिहास है।
रिचर्ड्स क्या सोचते हैं अपने परिवार के बारे में ?
2016 में रिचर्ड्स की मां ग्रेटल का निधन हुआ था। उन्होंने 'द गार्जियन' अखबार से 2017 में कहा था, मेरे माता-पिता ने 50 साल से अधिक सुखद वैवाहिक जीवन व्यतीत किया, लेकिन अफसोस कि मैं ऐसा नहीं कर सका। मेरे विवाह का असफल होना मेरे माता-पिता के लिए बहुत पीड़ादायक था। मेरे माता-पिता की सोच विवाह और परिवार को लेकर बहुत आदर्शवादी थी। मैं अपने क्रिकेट को लेकर लगातार व्यस्त रहा। इंग्लैंड के काउंटी मैच और वेस्ट इंडीज के विदेशी दौरों की वजह से अक्सर मुझे घर-परिवार को छोड़ कर बाहर रहना पड़ता था। इसक असर मेरे वैवाहिक जीवन पर पड़ा। मेरी बेटी मतारा (2017 में 34 साल की थी) एंटीगुआ एंड बारबुडा के विदेश विभाग में काम करती है और टोरंटो (कनाडा) में पदास्थापित है। आज वह जिस पद पर है उसको देख कर मुझे बहुत गर्व महसूस होता है। मेरे पुत्र माली ने क्रिकेट में आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उनकी तुलना हमेशा मुझसे की गयी जिसके दबाव में उनका खेल जीवन बिखर गया। अब वे एंटीगुआ में एक आर्ट गैलरी के सहमालिक हैं और अपनी मौजूदा जिंदगी से खुश हैं। रिचर्ड्स ने इस इंटरन्यू में आगे कहा, मेरी एक तीसरी बेटी भी है, मशाबा। मुझे मशाबा (नीना गुप्ता की पुत्री) पर भी बहुत गर्व है। वह भारतीय फिल्म उद्योग की मसङूर ड्रेस डिजाइनर हैं।
जब नीना गुप्ता से नाराज हुए थे रिचर्ड्स
मशाबा के जन्म के बाद नीना गुप्ता एक बड़े विवाद में घिर गयीं थीं। बिना शादी किये मां बनना तब भारत में किसी धमाका से कम न था। नीना गुप्ता को तीखे सवालों से जुझना पड़ा। जब मसाबा पढ़ने लायक हुईं तो मुम्बई के एक बड़े स्कूल में उनको एडमिशन मिल गया। नीना गुप्ता को लगा था कि अभी एडमिशन मिलने में देर है इसलिए उन्होंने बेटी के साथ विव रिचर्ड्स के पास जाने का प्रोग्राम बना लिया था। लेकिन स्कूल में नामांकन के कारण नीना गुप्ता को रिचर्ड्स के पास जाने का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। उन्होंने विव से टेलीफोन पर बात की और बताया कि वे अभी नहीं मिल सकतीं। इतने अच्छे स्कूल में मुश्किल से एडमिशन का मौका मिला है, इसे गंवाना ठीक नहीं रहेगा। हम फिर मिलेंगे। लेकिन विवियन रिचर्ड्स ने गुस्से में नीना का फोन काट दिया। इसके बाद रिचर्ड्स पांच साल तक नीना गुप्ता से बात नहीं की। आम तौर पर सफलता के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति का हम मुसकुराता हुआ चेहरा ही देख पाते हैं, उसके सीने में दफन दर्द को महसूस नहीं कर पाते। अगर व्यवसायिक जीवन कामयाब रहा और वैवाहिक जीवन की खुशी नहीं मिली, तो दिल में कसक रह ही जाती है।
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