योगी आदित्यनाथ का नेपाल और यहां के शाही परिवार से क्या है कनेक्शन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी का नेपाल के शाही परिवार से है एक गहरा ताल्लुक। नेपाल में आयोजित 'विराट हिंदू महासम्मेलन' में पूर्व महाराजा ज्ञानेंद्र के बुलावे पर नेपाल गए योगी आदित्यनाथ।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके गोरखनाथ मठ का न सिर्फ उत्तर प्रदेश और गोरखपुर से खास नाता है, बल्कि दोनों नेपाल और यहां के शाही परिवार के साथ भी काफी करीब से जुड़े हुए हैं। यह बात न सिर्फ पिछले साल साबित हुई है बल्कि उससे पहले भी कई मौकों पर साबित हो चुकी है।
योगी पहुंचे हिंदू महासम्मेलन में
पिछले वर्ष अक्टूबर में हिंदू बाहुल्य देश नेपाल में पूर्व महाराजा ज्ञानेंद्र ने 'विराट हिंदू महासम्मेलन' का आयोजन किया था। इस सम्मेलन के लिए योगी आदित्यनाथ को खासतौर पर इनवाइट भेजा गया था। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित होने की वजह से गोरखनाथ या गोरक्षनाथ मठ का नेपाल के साथ कई वर्ष पुराना रिश्ता रहा है।
नेपाल सरकार के एक फैसले से हुए परेशान
वर्ष 2015 में जब नेपाल की सरकार इस देश को एक धर्मनिरपेक्ष देश घोषित करना चाहती थी तो योगी इस कदम से काफी परेशान थे। उन्होंने सरकार से मांग की थी इस फैसले को वापस ले लिया जाए। लेकिन केंद्र सरकार ने उनके सुर में सुर मिलाने से इनकार कर दिया और उनकी मांग कमजोर पड़ गई। नेपाल में रहे भारत के पूर्व राजदूत ने एक इंग्लिश डेली को बताया है कि अब जबकि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं तो यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या केंद्र सरकार उन्हें साथ न देने का अपना फैसला बदलती है या नहीं।
गोरखनाथ मठ और शाही परिवार
नेपाल का पहला शाही परिवार गोरखा था और इस परिवार की जड़ें गुरु गोरखनाथ से जुड़ी हुई हैं। गुरु गोरखनाथ नेपाल में नाथ मठ आंदोलन के संस्थापक थे। नेपान के महराजा बीरेंद्र जिनकी वर्ष 2001 में उनके पूरे परिवार समेत हत्या कर दी थी, वह गोरखनाथ मठ की परंपराओं को कई वर्षों तक आगे बढ़ाते रहे। इस मठ के दर्शन करने के बाद कई वर्षों तक उन्होंने नेपाल में मकर संक्रांति उत्सव की शुरुआत की।
योगी के गुरु की सलाह पर बदला संविधान
महाराजा बीरेंद्र महंत अवैद्यनाथ, जो आदित्यनाथ के गुरु थे, उनके काफी करीब थे। महंत अवैद्यनाथ गोरखनाथ मठ के पूर्व धार्मिक और अस्थायी प्रमुख थे। वर्ष 1992 में महाराजा बीरेंद्र खुद नेपाल से कार चलाकर गोरखपुर तक आए थे। कहा जाता है कि महाराजी बीरेंद्र ने फैसला किया था वह हिंदू देश, हिंदू महाराजा और गौहत्या पर बैन जारी रखेंगे। वर्ष 1990 में महंत अवैद्यनाथ की सलाह पर नेपाल के संविधान में बदलाव किया गया था और फिर महाराजा बीरेंद्र ने यह फैसला किया था।
जब योगी आदित्यनाथ बने मठ के मुखिया
महंत अवैद्यनाथ ने शाही परिवार के कई सदस्यों की काउंसलिंग की थी। वह कभी भी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं थे कि महाराजा बीरेंद्र और पूरे परिवार की हत्या उनके बेटे ने ही कर दी थी। वर्ष 2014 में योगी आदित्यनाथ को अवैद्यनाथ का उत्तराधिकारी बनाया गया और वह इस मठ के मुखिया बन गए।
योगी ने बनवाए मंदिर
वर्ष 2015 में जब नेपाल में भूकंप आया तो मठ ने राहत और बचाव कार्य में एक बड़ी भूमिका अदा की थी। मठ की ओर से नेपाल के कई हिस्सों गिर चुके मंदिरों को पुर्ननिर्माण कराया गया। आदित्यनाथ जो गोरखपुर से पांच बार सांसद रहे हैं, उन्होंने सीमा के आसपास के इलाकों में होने वाले इस कार्य को देखा था। गोरखनाथ मंदिर की ओर से भेजी गई टीम की ओर से काठमांडू में राहत और पुर्नवास काम को अंजाम दिया गया और साथ ही गोरखा जिले में भी राहत कार्य चलाया गया। गोरखा अप्रैल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप का केंद्र था।