सुहाग की रक्षा के लिए दो महिलाएं आईं एक साथ, एक-दूसरे के पति को किडनी देकर बचाई जान
दिल्ली का रहने वाला 45 वर्षीय अविनाश यादव 2020 से डायलिसिस पर थे। उन्हें सप्ताह में तीन बार डायलिसिस करवाना पड़ता था। वह एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) से पीड़ित थे।
नई दिल्ली, 27 सितंबर: नारी तो शक्ति का रूप होती है। पत्नी चाहें तो अपने पति के प्राण तक यमराज से लेकर आ जाएं। सावित्री ने पति सत्यवान की मौत होने के बाद भी यमराज से प्राण वापस ले आईं। इस युग में भी पत्नी हर कदम, हर मोड़ पर पति का साथ देती है। ऐसा ही एक मामला दिल्ली से आया है। बीमार पति की जान बचाने के लिए पत्नी ने अपनी किडनी दे दी। ये सफर इतना आसान नहीं रहा। पूरा मामला जानकर आंखें नम हो जाएंगी।
किडनी की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे पति
दिल्ली का रहने वाला 45 वर्षीय अविनाश यादव 2020 से डायलिसिस पर थे। उन्हें सप्ताह में तीन बार डायलिसिस करवाना पड़ता था। वह एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) से पीड़ित थे। उनकी पत्नी ममता यादव पति की जान बचाने के लिए अपनी किडनी डोनेट करने के लिए तैयार थीं लेकिन ब्लड ग्रुप नहीं मिलने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।
अपने पति को किडनी नहीं दे पा रही थी पत्नी
वह अपनी सारी उम्मीद खोकर बैठ गई। लेकिन इसे सौभाग्य कहें तो जिस अस्पताल में अविनाश यादव का इलाज चल रहा था, उसी अस्पताल में एक और मरीज को भर्ती कराया गया था। यह किस्मत का खेल था क्योंकि दोनों मरीजों की पत्नियां अपने पति को किडनी दान करने में सक्षम नहीं थीं। हालांकि, उनकी किडनी एक दूसरे के पतियों के लिए मैच पाए गए।
फिर ऐसे मिला सेम ब्लड ग्रुप
अविनाश का ब्लड ग्रुप जगजीत कौर (संजीव की पत्नी) से मेल हो गया। जबकि संजीव का ब्लड ग्रुप ममता यादव (अविनाश की पत्नी) से मेल खा गया। अविनाश यादव ने कहा कि अवसर एक से अधिक बार आए लेकिन पहले डोनर को मेरे परिवार ने रिजेक्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं निराश होकर बैठ गया। फिर पता चला कि मेरी पत्नी से एक व्यक्ति का ब्लड ग्रुप मैच कर रहा है और वो भी किडनी की गंभीर बीमार से जूझ रहा है।
दोनों मरीज एक दूसरे को जानते थे
अस्पताल पहुंचने पर यादव ने बताया कि वह उस मरीज को जानता है। वे एक दूसरे को लंबे समय से जानते थे। संजीव और मैं कई बार एक साथ डायलिसिस के लिए गए थे। आकाश हेल्थकेयर में नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन के अतिरिक्त निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार डॉ विक्रम कालरा, जिन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट किया।
किस्मत का खेल
यह किस्मत का खेल था क्योंकि दोनों मरीजों की पत्नियां अपने पति को किडनी दान करने में सक्षम नहीं थीं। लेकिन अविनाश की पत्नी ने संजीव को अपनी किडनी दी, वहीं संजीव की पत्नी ने अविनाश को अपनी किडनी दी। डॉ. कालरा ने बताया कि हमने रोगियों और डोनर दोनों के नैदानिक स्वास्थ्य को देखा। तब सरकार द्वारा स्वीकृत किडनी ट्रांसप्लांटेशन के लिए एक प्रस्ताव दिया। आपसी सहमति के बाद किडनी ट्रांसप्लांट किया।
यह भी पढ़ें- Kidney Case Update: महिला को ज़िंदा रखने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट ज़रूरी, डायलिसिस से गुज़ारा मुश्किल