क्या बात से पलट जाना ही अब प्रशांत किशोर की नयी पहचान है?
नई दिल्ली, 26 मार्च। क्या बात से पलट जाना ही अब प्रशांत किशोर की नयी पहचान है ? एक साल पहले पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद उन्होंने कहा था, अब आगे किसी दल के लिए चुनावी रणनीति नहीं बनाऊंगा। कोई और काम करूंगा। राजनीति में आउंगा। लेकिन कब ? अभी ये तय नहीं है। इसके बावजूद उन्होंने गोवा में तृणमूल के लिए चुनावी रणनीति बनायी।
ग्रैंड ओल्ड पार्टी कह कर जिस कांग्रेस का उन्होंने मजाक उड़ाया था अब उसके साथ काम करने के लिए ललायित हैं। नीतीश कुमार ने उन्हें जदयू से निकाल दिया था। लेकिन कुछ दिन पहले उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। वे बार-बार पलटते क्यों हैं ? अब खबर है कि उन्होंने गुजरात चुनाव को लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की है। गुजरात विधानसभा चुनाव नवम्बर-दिसम्बर 2022 में होना है। पिछली बार कांग्रेस जीत के नजदीक पहुंच कर सत्ता पाने से चूक गयी थी। इस बार गुजरात से ही कांग्रेस अपनी वापसी का सपना बुन रही है।
राहुल-प्रियंका से फिर मिले प्रशांत किशोर !
क्या प्रशांत किशोर क्या हैं ? नेता या चुनावी रणनीतिकार ? उन्होंने सक्रिय राजनीति में आने का दावा तो किया था। लेकिन अभी तक नेता नहीं बन पाये हैं। फिलहाल चुनावी रणनीति ही बना रहे हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि राहुल और प्रियंका गांधी ने गुजरात चुनाव को लेकर दो प्रमुख रणनीतिकारों से मुलाकात की है। एक हैं सुनील कानुगोलू और दूसरे हैं प्रशांत किशोर। बहुत पहले ये दोनों सहयोगी रहे हैं और 2014 में नरेन्द्र मोदी के लिए चुनावी रणनीति बनायी थी। सुनील कनुगोलू हाल ही में कांग्रेस से जुड़े हैं। वे कांग्रेस का सदस्य बन कर चुनाव प्रबंधन की जिम्मेवारी संभालेंगे। जबकि प्रशांत किशोर के बारे में अभी कांग्रेस ने कुछ तय नहीं किया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक गांधी परिवार ने पहले सुनील कनुगोलू से गुजरात पर चर्चा की फिर एक दिन बाद प्रशांत किशोर उनसे मिले। हालांकि आधिकारिक तौर पर कांग्रेस ने इस संबंध में कुछ कहा नहीं है।
कांग्रेस को लेकर प्रशांत किशोर का आंकलन ढुलमुल
जुलाई सितम्बर 2021 में इस बात की पुरजोर चर्चा थी कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं। लेकिन अंत में बात पटरी से उतर गयी। प्रशांत किशोर फ्री हैंड जिम्मेदारी चाहते थे और कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं थी। इसके बाद प्रशांत किशोर कांग्रेस के आलोचक बन गये। लखीमपुर खीरी घटना के बाद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बहुत सक्रिय हो गयी थी। तब अक्टूबर 2021 में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पर कटाक्ष किया था, जो लोग या पार्टियां यह सोच रही हैं कि 'ग्रैंड ओल्ड पार्टी' के सहारे विपक्ष की तुरंत वापसी होगी, वे गलतफहमी में हैं। दुर्भाग्य से इस पार्टी की जड़ों में बहुत खामियां हैं। फिलहाल इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। इस राजनीतिक हमले से कांग्रेस तिलमिला गयी थी। इसके पहले प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में स्थायी अध्यक्ष नहीं होने पर गांधी परिवार को निशाना बनाया था। उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी का नाम लिये बिना कहा था, जब पार्टी पिछले 10 साल में 90 फीसदी चुनाव हार रही हो तब कांग्रेस का नेतृत्व, किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं है। जब आप नतीजे नहीं दे सकते तो पीछे हट जाएं। किसी और को मौका दें। लेकिन अब ऐसा क्या हो गया कि प्रशांत किशोर राहुल-प्रियंका के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार हैं ? उनका पहले का आंकलन गलत है या अब का ?
गुजरात विधानसभा चुनाव नवम्बर दिसम्बर में
गुजरात विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 18 फरवरी 2023 को खत्म हो रहा है। इसलिए 2022 के नवम्बर- दिसम्बर के बीच चुनाव कराये जाने की संभावना है। नरेन्द्र मोदी के गृहराज्य होने के कारण इस चुनाव पर सबकी निगाहें हैं। गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं। बहुमत का आंकड़ा 92 है। दिसम्बर 2017 के चुनाव में कांग्रेस को 79 सीटें मिलीं थीं। 99 सीटों के साथ भाजपा मुश्किल से बहुमत का आंकड़ा पार कर पायी थी। कांग्रेस ने भाजपा को जोरदार टक्कर दी थी। कांग्रेस को लगता है कि अगर 2022 में यहां जोर लगाया जाय तो अरसे बाद उसकी जीत का खाता खुल सकता है। इसलिए वह चुनावी रणनीतिकारों से सलाह मशवरा कर रही है। कांग्रेस की मौजूदा चिंता गुजरात में घटते जनाधार को लेकर है। एक तरफ उसके विधायकों की संख्या घटती चली गयी और दूसरी तरफ स्थानीय निकाय चुनाव में उसका प्रदर्शन फीका रहा। 2017 में कांग्रेस के 79 विधायक थे। लेकिन मई 2021 आते आते कांग्रेस के पास केवल 65 विधायक रह गये थे। जब कि 99 सीटों वाली भाजपा 112 पर पहुंच गयी। वैसे कांग्रेस ने अभी तक प्रशांत किशोर की सेवाओं को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
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