बिहार में कन्हैया, तेजस्वी और चिराग के बीच ‘यात्रा प्रतियोगिता’, कौन जीतेगा वोट की रेस
पटना। बिहार के तीन यंग लीडर। तीन अलग-अलग दल। तीन यात्राएं। इस यात्रा प्रतियोगिता के आधार पर ही यह तय होगा कि बिहार के चुनावी मौसम में कौन कितनी वोट की फसल काट पाएगा।
1.भाकपा नेता कन्हैया कुमार- जन-गण -मन यात्रा जारी- 30 जनवरी से शुरू है। 27 फऱवरी को पटना पहुंच कर यह यात्रा एक रैली में तब्दील होगी।
2.राजद नेता तेजस्वी यादव- बेरोजगारी हटाओ यात्रा 23 फरवरी से पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड से शुरु होगी। पांच सप्ताह चलेगी।
3.लोजपा नेता चिराग पासवान - बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट यात्रा 21 फरवरी से शुरु होगी और 7 मार्च को खत्म होगी। 14 अप्रैल (अम्बेदडकर जयंती) को पटना के गांधी मैदान में लोजपा की बड़ी रैली है। चिराग ने पूरे बिहार के लोगों को न्योता देने के लिए यह यात्रा आयोजित की है।
क्या कन्हैया राजद के वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं ?
जेएनयू कांड से चमके कन्हैया कुमार अभी तक बिहार में अपनी चुनावी हैसियत नहीं बना पाये हैं। अपनी और भाकपा की राजनीति चमकाने के लिए वे अभी जन-गण-मन यात्रा पर हैं। यह यात्रा सीएए, एनआरसी,एनपीआर के विरोध में हो रही है। कन्हैया 2019 के लोकसभा चुनाव में देश भर के सेलिब्रिटी और बुद्धिजीवियों के पुरजोर समर्थन के बाद भी बेगूसराय में हार गये थे। बिहार में भाकपा अब मृतप्राय हो गयी है। कन्हैया के राजनीति में उतरने के बाद बेजान भाकपा में कुछ हरकत हुई है। भाकपा नेता कन्हैया के माध्यम से बिहार में अपनी खोयी जमीन प्राप्त करना चाहते हैं। इस यात्रा के दौरान कन्हैया को गैरभाजपा वोटरों का समर्थन मिल रहा है। तेजस्वी भी इन्ही वोटरों पर नजर गड़ाये बैठे हैं। लोकसभा चुनाव में राजद ने कन्हैया का समर्थन नहीं किया था। इस लिए अब कन्हैया ने अपनी ताकत दिखाने के लिए ये यात्रा शुरू की है। कन्हैया जितने ताकतवर होंगे तेजस्वी को उतना ही नुकसान होगा।
चिराग पासवान की अग्निपरीक्षा
बिहार विधानसभा चुनाव चिराग पासवान के लिए सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा है। लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार चिराग को अपनी क्षमता साबित करनी है। हालांकि पार्टी की कमान संभालने के बाद उन्होंने झारखंड और दिल्ली में अपनी किस्मत आजमायी थी। लेकिन इन दोनों राज्यों में चूंकि पार्टी का कोई जनाधार नहीं था इसलिए तयशुदा हार मिली। परंतु लोजपा बिहार की चौथी सबसे मजबूत पार्टी है। रामविलास पासवान बिहार ही नहीं देश के बड़े दलित नेता में शुमार हैं। ऐसा पहली बार होगा रामविलास पासवान बिहार के किसी चुनाव में केवल मार्गदर्शक की भूमिका में होंगे। उन्होंने बड़े अरमान से पार्टी की बागडोर चिराग को सौंपी है। बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पर पिता रामविलास की तरह ही कामयाबी दिलाने का दबाव है। रामविलास ने संघर्ष कर राजनीति में जगह बनायी थी जब कि चिराग विरासत की राजनीति कर रहे हैं। ऐसे में चिराग ने भी जनता से जुड़ने के लिए यात्र पर निकलने का एलान किया है। उनकी ‘बिहार फर्स्ट' यात्रा जनसंवाद स्थापित करने के लिए है। चिराग ने कांग्रेस-राजद की 119 सीटों पर तैयारी का एलान कर अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं। बिहार विधानसभा से ही चिराग का राजनीति भविष्य तय होगा। फऱवरी 2005 के बिहार चुनाव में लोजपा ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था जब उसके 29 विधायक जीते थे। इसके बाद उसके प्रदर्शन में गिरावट आती गयी। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान ने पार्टी को बड़ी कामयाबी दिलायी लेकिन विधानसभा चुनावों में कोई खास प्रदर्शन नहीं रहा। अब चिराग पर जिम्मेवारी है कि वे कैसे बिहार में पार्टी विधायकों की संख्या बढ़ाते हैं?
तेजस्वी की यात्रा राजनीति
लोकसभा चुनाव के बाद तेजस्वी पर निष्क्रिय होने के आरोप लगता रहा था। लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव के पहले वे सक्रिय हो गये हैं। 18 फरवरी को ही उनकी परिवर्तन यात्रा खत्म हुई है। 23 से से बेरोजगारी हटाओ यात्रा पर निकलने वाले हैं। लेकिन इस यात्रा के पहले ही रथ ( हाइटेक बस) विवाद से तेजस्वी के अभियान को झटका लगा है। तेजस्वी पर फर्जीवाड़ा कर बस हासिल करने का आरोप लगा है। चूंकि राजद तेजस्वी को नीतीश कुमार का विकल्प बता कर चुनावी मैदान में उतरने वाला है इसलिए यह विवाद नुकसानदेह साबित हो सकता है। कन्हैया की सभा में हो रही भीड़ से राजद की चिंता बढ़ गयी है। कन्हैया की ब्रांडिंग अगर बिहार के मोस्ट पोपुलर यंग लीडर के रूप में हो गयी तो तेजस्वी की राह मुश्किल हो जाएगी। गैरभाजपा समर्थक कन्हैया और तेजस्वी में तुलना करेंगे जो कि राजद को मंजूर नहीं होगा। तेजस्वी पर लालू यादव की विरासत को बचाने की जिम्म्वारी है। पिछले विधानसभा चुनाव में लालू ने नीतीश के सहयोग से 80 सीटें जीती थीं। इस बार के चुनाव में नीतीश के बिना तेजस्वी कितनी सीटें जीत पाएंगे ? इसी सवाल के जवाब के लिए तेजस्वी यात्रा की राजनीति कर रहे हैं।
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