इस वैलेंटाइन डे कुछ ऐसा करें जिससे बेसहारों को मिले खुशी
नई दिल्ली। कहते हैं कि प्यार से जिंदगी शुरु होती है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ कपल्स के बीच ही प्यार होता है। प्यार इससे बहुत बड़ा है। हम प्रकृति, ताकत, पेड़-पौधों, पशुओं, बच्चों और माता-पिता से भी प्यार करते हैं। प्यार एक ऐसा एहसास है जो किसी के साथ भी आपको गहराई से जोड़ देता है। प्यार और प्यार का कोई भी त्योहार सिर्फ कपल्स के बीच मनाना सही नहीं है बल्कि प्यार का जश्न तो सभी के लिए होता है।
पिछले साल वैलेंटाइन डे पर सीमा की जिंदगी अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ एक अलग ही सुनहरे मोड़ पर थी। उसके ब्वॉयफ्रेंड ने उसे डायमंड रिंग तोहफे में देकर अचानक से शादी के लिए प्रपोज किया था। उसे इस सरप्राइज की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी इसलिए ये सब देखकर वो तो जैसे हवा में ही थी।
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शाम को घर जाते समय दोनों हाथों में हाथ डाले खुशी के साथ अपनी जिंदगी के इस सुनहरे पल में खोए हुए थे। अचानक सीमा की नजर सड़क पर लगे कूड़ेदान में खाना ढूंढ रहे एक बच्चे पर पड़ी। उस बच्चे को कूड़ेदान में खाना ढूंढते हुए सीमा को ऐसा लगा कि उनकी खुशियां और प्यार तो जिंदगी की इस हकीकत के सामने बहुत छोटी है। उसके मन में ख्याल आया कि ये बच्चा ना जाने कैसे रोज अपनी भूख से लड़ता होगा।
उसका चेहरा पीला और आंखें नम थीं। हम सभी मानवता की बात करते हैं लेकिन इस बच्चे को देखकर किसी की भी इंसान की मानवता ने उसे झिंझोड़ा नहीं। उसके दिमाग में हजारों सवाल एक साथ आने लगे। उसे इस बात का एहसास हुआ कि क्या प्यार सिर्फ पाटर्नर के लिए ही होता है? क्या समाज में हमारे प्रेम के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं है। वो बच्चा जो कूड़ेदान में खाना ढूंढ रहा है उसके लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। क्या हमें उस बच्चे को खाना देने और उस पर प्यार न्यौछावर करने की जरूरत नहीं है।
उस समय उसे अपने इन सब सवालों का कोई जवाब नहीं मिला लेकिन उसने तुरंत उस बच्चे को खाना खिलाने के बारे में सोचा। उसने उस बच्चे राजू को पास के रेस्टोरेंट में खाना खिलाया। उससे बात करने के दौरान पता चला कि उसके माता-पिता ठीक नहीं हैं और वो पास की ही बस्ती में अपनी 3 बहनों और 2 भाईयों के साथ रहता है और उन सबने पिछले एक दिन से कुछ नहीं खाया है। सीमा ने तय किया कि वो राजू और उसके परिवार की मदद करेगी। उसने बच्चों का पास ही के स्कूल में दाखिला करवाया जहां पर अन्नमृता द्वारा स्कूल में बच्चों को पोषक मिड-डे मील दिया जाता था।
राजू की तरह कई बच्चों को गरीबी की वजह से दो वक्त का खाना तक नहीं मिल पाता है और अपने परिवार की मूलभूत जरूरतों को भी पूरा करने के लिए उन्हें मजदूरी करनी पड़ती है। ऐसे गरीब परिवार अपने बच्चों को सिर्फ इस वजह से स्कूल भेजना चाहते हैं ताकि उन्हें एक वक्त का तो खाना मिल सके। राष्ट्रीय बाल श्रम प्रोजेक्ट के अंतर्गत इन स्कूलों में बच्चों को खाना दिया जाता है। अन्नमृता इन बच्चों को स्कूल में पौष्टिक खाना उपलब्ध करवाती है जोकि शायद इन बच्चों के लिए पूरे दिन का आहार होता है। इस वैलेंटाइन डे पर हम बच्चों के प्रति अपने प्यार और जिम्मेदारी को पूरा करने का प्रण लेते हैं। इन सभी बच्चों को बस प्यार की जरूरत होती है। इस वैलेंटाइन डे आपको भी किसी ऐसे बच्चे की मदद करनी चाहिए जिसे सच में आपके प्यार और सहारे की जरूरत है।
हर रोज हमें सड़क पर ऐसे कई लोग मिलते हैं जो अपनी जिंदगी में दो वक्त की रोटी के लिए भी तरस जाते हैं। आप ऐसे लोगों और बच्चों को किसी समाज कल्याण संस्था को सौंपने का काम तो कर ही सकते हैं। अन्नमृता एक ऐसी ही संस्था है जो शिक्षा के लिए बच्चों को खाना उपलब्ध करवाती है और ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए वो शिक्षा के नाम पर भोजन देना चाहती है। भारत से भूख और अशिक्षा को खत्म कर अन्नमृता बच्चों को स्वस्थ और शिक्षित बनाना चाहती है।
स्वस्थ और पोषक आहार के लिए मां-बाप बच्चों को स्कूल भेजते हैं और इससे उन्हें शिक्षा मिल पाती है। अन्नमृता के इस कदम से आगे चलकर देश को एक सुनहरा भविष्य मिल सकता है। मिडडे-मील मिलने की वजह से बच्चे रोज स्कूल आते हैं और कक्षा में पढ़ाई भी करते हैं। आप भी राजू जैसे कई बच्चों की मदद के लिए अपना योगदान दे सकते हैं। इस वैलेंटाइन डे पर सीमा की तरह आप भी अपना प्यार किसी बेसहारा बच्चे को दे सकते हैं। इससे आपकी खुद की जिंदगी भी बेहतर होगी और आपके मन को भी खुशी मिलेगी।