5 राज्यों के चुनाव बीजेपी ही नहीं कांग्रेस के लिए भी सबक, ये है वजह
नई दिल्ली। 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव भाजपा ही नहीं बल्कि हिंदी बेल्ट के तीन राज्यों में वापसी करने वाली कांग्रेस के लिए भी एक सबक कहा जा सकता है। कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में प्रभावशाली प्रदर्शन करने में नाकाम रही। इन चुनावों में कांग्रेस उत्तर-पूर्व का अपना आखिरी किला भी नहीं बचा पाई और तेलंगाना में टीडीपी के साथ गठबंधन के बावजूद पार्टी को बड़ी हार झेलनी पड़ी है।
तेलंगाना में सोनिया गांधी की भावुक अपील और राहुल का रैली काम न आई
यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तेलंगाना में केवल एक रैली की थी और लोगों से भावुक अपील कर कांग्रेस के नजदीक लाने की कोशिश की थी। तेलंगाना में राहुल गांधी ने 17 रैलियां की जबकि राजस्थान में कांग्रेस अध्यक्ष ने 19 रैलियां की थी। मिजोरम में पार्टी के पुराने वफादार साथ छोड़ रहे थे और पूरी जिम्मेदारी तब लल थनवाला के कंधों पर थी खुद ही जो दोनों सीटों पर चुनाव हार गए। हालांकि लगातार हार के बावजूद बीजेपी इस चुनाव में मिजोरम में अपना खाता खोलने में कामयाब रही।
सत्ता-विरोधी लहर के बावजूद एमपी-राजस्थान में बहुमत से दूर कांग्रेस
राजस्थान और मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के करीब पहुंच चुकी कांग्रेस के लिए यहां भी सीखने के लिए बहुत कुछ है। सत्ता-विरोधी लहर और सीएम के खिलाफ नाराजगी के बावजूद कांग्रेस बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर सकी। वसुंधरा राजे के खिलाफ नाराजगी के कारण राजस्थान में चुनाव परिणामों को लेकर पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस कम से कम 140 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। लेकिन बीजेपी ने 73 सीटों पर जीत हासिल कर काफी हद तक डैमेज कंट्रोल किया। ये कांग्रेस के लिए सबक से कम नहीं कहा जा सकता है।
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मिजोरम के रूप में नॉर्थ-ईस्ट का आखिरी किला भी ढहा
राज्य में चार सचिवों के किरदार को लेकर भी संशय की स्थिति थी। एक महिला सचिव ने तो राज्य का दौरा किए बगैर रिपोर्ट भी सौंप दी थी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सपा, बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से हाथ न मिलाने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। जबकि कांग्रेस को कम से कम 25 सीटों का नुकसान उस बयान के कारण होता दिखाई दिया जब पार्टी ने कहा था कि RSS से जुड़े सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
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