70 छात्रों पर एक शिक्षक, बिहार के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी
बिहार के हायर सेकेंडरी स्कूलों में साल 2020-21 में 70 प्रतिशत शिक्षकों के पद खाली थे.
बिहार में छात्र-शिक्षक अनुपात देश में सबसे खराब है. 2019-20 की एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात 50 और 60 से ज़्यादा है.
इसका सीधा सा मतलब है कि राज्य में छात्रों के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं. सरकारी स्कूलों में तो स्थिति और भी ख़राब है.
शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात 30:1 और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 35:1 होना चाहिए.
हालांकि, बिहार में प्राथमिक स्कूलों में 60 छात्रों और सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में 70 छात्रों पर सिर्फ़ एक शिक्षक उपलब्ध है.
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कहां हैं शिक्षक?
केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षा के विभिन्न स्तरों के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार सही छात्र-शिक्षक अनुपात बनाए रखने के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को सहायता देने के लिए 2018-19 से में 'समग्र शिक्षा' योजना शुरू की थी.
लोकसभा में दिए गए एक प्रश्न के जवाब के अनुसार, राज्य और समग्र शिक्षा योजना के तहत 2020-21 में बिहार में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की 5.92 लाख रिक्तियां स्वीकृत की गईं. 5.92 लाख रिक्तियों में से 2.23 लाख पद अभी भी खाली थे.
सरकार ने उसी साल उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों की 43,000 रिक्तियों को भी मंज़ूरी दी, लेकिन केवल 11,000 से कुछ ज़्यादा पदों को ही भरा गया. 32 हजार पद अभी भी खाली हैं. बिहार के कई ज़िलों में प्रधानाध्यापकों के कई पद अभी भी खाली हैं.
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समग्र शिक्षा योजना के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (PAB) 2020-21 के मुताबिक, "प्रधान शिक्षक स्तर पर बड़ी संख्या में रिक्तियां चिंता की बात है." ये भी कहा गया है कि राज्य को उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के स्कूलों के लिए प्रधान शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने को प्राथमिकता देनी चाहिए.
दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में सबसे ज़्यादा निरक्षर लोग हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार में साक्षरता के स्तर में 2001 की तुलना में 14.8% की वृद्धि हुई है, लेकिन 2020-21 में माध्यमिक विद्यालय से पढ़ाई छोड़ देने वालों की संख्या यानी ड्रॉप आउट रेट भी बहुत अधिक है.
हालांकि ड्रॉपआउट रेट में काफी सुधार हुआ है. 2019-20 ये 21.4 फ़ीसदी था जो कि 2020-21 में 17.6 फ़ीसदी हो गया है. सभी स्कूलों में शिक्षकों की कमी एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि माध्यमिक से उच्च माध्यमिक विद्यालय में जाने वाले छात्रों की संख्या कम है.
UDISE 2019-20 के अनुसार, बिहार के माध्यमिक विद्यालयों से 10 में से केवल 6 छात्र ही उच्च माध्यमिक में पहुँच पाते हैं.
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