तमिलनाडु: शोषण और शर्मिंदगी से तंग आकर ट्रांसजेंडर ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में शानवी ने दावा किया है कि न तो एयर इंडिया और न ही नागर विमानन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट का जवाब दिया है
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स को तीसरे जेंडर के तौर पर पहचान तो दे दी है लेकिन हमारा समाज अभी भी उन्हे स्वीकार नहीं कर रहा है। शोषण और शर्मिंदगी से परेशान होकर तमिलनाडु की एक ट्रांसजेंडर ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर अपने लिए इच्छामृत्यु मांगी है। इच्छामृत्यु की मांग करने वाली इस ट्रांसजेंडर महिला का जन्म पुरुष के रूप में हुआ था। साल 2010 में इंजीनियरिंग की डिग्री पाने के बाद उसने कस्टमर सपोर्ट एग्जीक्यूटिव के तौर पर एयर इंडिया ज्वॉइन कर ली थी।
एयर इंडिया में नौकरी न मिलने पर ट्रांसजेंडर ने इच्छा मृत्यु की मांग की है
सुप्रीम कोर्ट से तीसरे लिंग को पहचान देने के निर्देश के बाद एयर इंडिया में नौकरी न मिलने पर ट्रांसजेंडर ने इच्छा मृत्यु की मांग की है। विमानन कंपनी एयर इंडिया के नौकरी देने से मना करने के बाद उसने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु दिए जाने की गुजारिश की है। शानवी पोन्नुस्वामी ने एयर इंडिया में केबिन क्रू के सदस्य के तौर पर नौकरी के लिए आवेदन किया था। कंपनी के नौकरी देने से मना करने के बाद शानवी ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में कंपनी को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एयर इंडिया और नागर विमानन मंत्रालय से चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा कहा था।
एयर इंडिया में केबिन क्रू के लिए आवेदन दिया था
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में शानवी ने दावा किया है कि न तो एयर इंडिया और न ही नागर विमानन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट का जवाब दिया है। उसने कहा है कि बिना नौकरी के वह अपना गुजारा करने में सक्षम नहीं है और इसलिए उसे इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए। इंडिया टुडे के मुताबिक राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग करने वाली इस ट्रांसजेंडर महिला का जन्म पुरुष के रूप में हुआ था। साल 2010 में इंजीनियरिंग की डिग्री पाने के बाद उसने कस्टमर सपोर्ट एग्जीक्यूटिव के तौर पर एयर इंडिया ज्वॉइन कर ली। एक साल तक एयर इंडिया में काम करने के बाद उसने सर्जरी करवाई और तमिलनाडु के राजपत्र में अपना नाम और जेंडर बदलवा दिया। सर्जरी करवाने के तुरंत बाद से ही उसकी परीक्षा शुरू हो गई। उसने एयर इंडिया में केबिन क्रू के लिए आवेदन दिया। पद के लिए योग्य होने के बाद भी उसका आवेदन खारिज कर दिया गया। इसका कारण था कि वह एक महिला ट्रांसजेंडर थी। उसे आवेदन खारिज किए जाने का कारण भी एयर इंडिया ने आसानी से नहीं बताया। एयर इंडिया से जवाब मांगने के लिए उसे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
फेसबुक पर शानवी का पत्र
ट्रांस राइट्स नाऊ कलेक्टिव नामक फेसबुक पेज ने शानवी के पत्र के हवाले से लिखा है, 'यह स्पष्ट है कि भारत सरकार मेरे जीवन के मुद्दे और रोजगार के प्रश्न पर जवाब देने को तैयार नहीं है। और, मैं अपने रोजाना के खान-पान पर खर्च करने की भी स्थिति में नहीं हूं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई के लिए वकीलों को पैसा देना भी संभव नहीं है। उसने लिखा कि लिंग के कारण उसे उसके मूल अधिकार से वंचित किया गया है। शानवी ने लिखा कि उसने ग्राहक सहायक कार्यकारी के तौर पर एक साल तक एयर इंडिया में नौकरी की और उसके बाद उसने लिंग परिवर्तन कराने की सर्जरी करा ली। इसके बाद उसने दो साल की अवधि में चार बार नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन उसे नौकरी नहीं दी गई'।
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