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Lockdown में बीवी-बच्चों का पेट पालने के लिए वकील बना टोकरी बुनकर, छत्तीसगढ़ HC के चीफ जस्टिस ने ऐसे की मदद

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन में कारखानों, कार्यालयों और न्यायालयों के बंद होने के दौरान बहुत से लोगों की आय गंभीर रूप से प्रभावित हुई। पिछले महीने टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में तमिलनाडु के एक ऐसे वकील की मजबूरी पर प्रकाश डाला था जिसे लॉकडाउन में अपनी आजीविका चलाने के लिए वकालत छोड़ टोकरी बुनकर बनना पड़ा । तमिलनाडु के उस युवा अधिवक्ता की मदद के लिए अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीआर रामचंद्र मेनन आगे आए हैं।

वकालत छोड़ टोकरी बुनकर बनना पड़ा

वकालत छोड़ टोकरी बुनकर बनना पड़ा

दरअसल, तमिलनाडु के 34 वर्षीय के उथमाकुमारन को लॉकडाउन में अपनी आजीविका चलाने के लिए टोकरी बुनकर बनने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह तंजावुर के पट्टुकोट्टई अदालत में प्रैक्टिस कर रहे थे और एक वकील के रूप में प्रति माह 25,000 रुपये कमा रहे थे। लॉकडाउन में लेकिन 2 महीने से अधिक समय तक काम ना मिलने की वजह से उन्हें अपनी पत्नी और बेटे का पेट पालने के लिए अपने पारंपरिक काम को फिर से अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। बता दें कि के उथमाकुमारन आदिवासी मलाई कुरुवर समुदाय से हैं।

परिवार में वकालत की पढ़ाई करने वाले पहले व्यक्ति

परिवार में वकालत की पढ़ाई करने वाले पहले व्यक्ति

के उथमाकुमारन ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में बताया था कि मुझे अपने परिवार के लिए जीवित रहना था इसलिए मैं कोई भी काम करने के लिए तैयार था। लेकिन वकालत के अलावा उन्हें सिर्फ जंगली खजूर के फलों से बुनाई की टोकरी बनाना आता है जो उनका पैतृक व्यवसाय था। के उथमाकुमारन ने बताया कि वह अपने परिवार में वकालत की पढ़ाई करने वाले पहले व्यक्ति हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने भेजे 10,000 रुपए

मुख्य न्यायाधीश ने भेजे 10,000 रुपए

उथमाकुमारन ने बताया आम तौर पर एक टोकरी 100 रुपये से 120 रुपये में बेची जाती है। अगर दो लोग इसमें लगे हुए हैं तो हम एक हफ्ते में 12 टोकरी बना सकते हैं और 1,200 से 1,500 रुपये कमा सकते हैं। इस मुश्किल घड़ी में जब के उथमाकुमारन के बारे में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीआर रामचंद्र मेनन को पता चला तो वह उनकी मदद के लिए आगे आए। न्यायमूर्ति रामचंद्र मेनन ने एक पत्र के साथ उथमाकुमारन की मदद के लिए 10,000 रुपए का उपहार भेजा।

चीफ जस्टिस ने धन राशि को उपहार बताया

चीफ जस्टिस ने धन राशि को उपहार बताया

चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन ने दस हजार रुपयों के साथ के उथमाकुमारन को एक पत्र भी लिखा जिसमें उन्होंने इस धन राशि को उपहार बताया है। न्यायमूर्ति रामचंद्र मेनन ने पत्र में लिखा, 'कृपया इस पत्र के साथ संलग्र किए गए 10,000 रुपये की राशि का एक चेक भी प्राप्त करें, यह किसी सहानुभूति के कारण दिया गया कोई दान या योगदान नहीं है, लेकिन एक उपहार है। क्योंकि श्रम की गरिमा के प्रति आपकी अवधारणा और प्रतिबद्धता के कारण आप इस सम्मान और सराहना को पाने के हकदार हैं।'

यह भी पढ़ें: अनुमान से आधे हैं दिल्ली में कोरोना के केस, सीएम केजरीवाल ने बीजेपी, कांग्रेस और केंद्र सरकार को कहा धन्यवाद

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English summary
Tamil Nadu lawyer forced to make basket in lockdown Chief Justice of Chhattisgarh HC helps
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