सर्वे: नोटंबदी, GST, नौकरी और महंगाई के मुद्दे पर विफल रही मोदी सरकार
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की सरकार नोटबंदी और वस्तु और सेवा कर (GST) पर दावा करती है कि इन फैसलों से देश की आर्थिक स्थिति को नई उड़ान मिली। हालांकि एक सर्वे में सामने आया है कि इन फैसलों को देश के कई लोगों फेल माना है। हिन्दी समाचार चैनल आज तक की ओर से किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है। 30 दिसंबर 2017 से 9 जनवरी 2018 तक किए गए सर्वे में कई जरूरी बातें सामने आई हैं। लोगों का मानना है कि बेरोजगारी देश के सबसे बड़ा मुद्दा है। बेरोजगारी के लिए 29 फीसदी लोगों ने वोट किया। वहीं इसके बाद महंगाई और भ्रष्टाचार के लिए क्रमशः 23 और 17 फीसदी लोगों ने वोट किया। 6-6 फीसदी लोगों ने महिलाओं की सुरक्षा और किसानों की हालत को बड़ा मुद्दा बताया है।
जरूरी सामानों की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई
सर्वे में देश की अर्थव्यवस्था पर भी सवाल किए गए हैं। सर्वे के अनुसार 56 फीसदी लोगों का मानना है कि पूर्ववर्ती सरकार से बेहतर काम, मौजूदा सरकार ने किया है। हाालंकि 16 फीसदी लोगों का मानना है कि हालात यूपीए सरकार जैसे ही हैं। 21 फीसदी लोगों का मानना है कि UPA से ज्यादा खराब हाल अर्थव्यवस्था का अभी है। 6 फीसदी लोगों ने इस सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया। 23 फीसदी लोगों ने महंगाई को बड़ा मुद्दा माना है। वहीं 69 फीसदी लोगों का कहना है कि मोदी सरकार के दौरान जरूरी सामानों की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है। इसके साथ ही 21 फीसदी लोगों ने कहा है कि कीमतों की हालत पुरानी ही हैं तो 8 फीसदी ने कहा कि कीमतें कम हुई हैं।
GST से बढ़ी महंगाई
वस्तु एवं सेवा कर (GST) पर 49 फीसदी लोगों ने कहा कि इसके बाद ही महंगाई और बढ़ीं। 15 फीसदी का कहना है कि कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ। 32 फीसदी ने कहाकि GST लागू होने से कीमते कम हुईं। 17 फीसदी लोगों का मानना है कि GST से फायदा हुआ 38 फीसदी लोगों ने कहा कि GST से देश को नुकसान हुआ है। 37 फीसदी लोगों का मानना है कि हालात में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वहीं इस सवाल के जवाब में 7 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिय़ा। नौकरी के मुद्दे पर 30 फीसदी लोगों ने सरकार ने नौकरी लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए। 53फीसदी लोगों ने कहा कि केंद्र ने उचित कदम नहीं उठाए। 17 फीसदी लोगों ने जरूरी कदम उठाने के सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया।
73 फीसदी ने माना नोटबंदी से नुकसान हुआ
नौकरी पैदा करने के सवाल पर 58 फीसदी ने नहीं जवाब दिया तो 13 फीसदी ने कहा कि हां,नौकरियां आईं। 27 फीसदी का मानना है कि हालात UPA सरकार सरीखी ही हैं। नोटबंदी के सवाल पर 73 फीसदी ने माना कि इस फैसले से नुकसान हुआ है। वहीं 22 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें लाभ हुआ। 5 फीसदी लोगों ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।