45 साल बाद देश में लगे आपातकाल की संवैधानिक वैद्यता की जांच करेगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। देश में आज से 45 साल पहले आपात काल लगाया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी, जिसकी आजतक आलोचना की जाती है। विपक्ष इंदिरा गांधी के इस फैसले पर हमेशा सवाल खड़ा करता है और इसके बहाने कांग्रेस के काल को दमनकारी काल करार देता है। आपातकाल के 45 साल बीत जाने के बाद इसकी वैद्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसका परीक्षण करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने 45 साल पुराने आपातकाल मामले पर विचार करने की सहमति दे दी है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने और 25 करोड़ रुपए का मुआवजा दिए जाने को लेकर याचिका दायर की गई थी। वीरा सरीन नाम की महिला ने कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। वीरा ने आपातकाल के दौरान उनकी संपत्ति को जब्त किए जने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मुआवजे की मांग की है।
वरिष्ट वकील हरीष साल्वे वीरा सरीन की ओर से कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं। कोर्ट में सुनवाई के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि हमे एक बार फिर से इतिहास में झांकने की जरूरत है और यह देखना होगा कि क्या उस वक्त जो किया गया वह सही था या नहीं। साथ ही साल्वे ने कहा कि अगर इतिहास को सही नहीं किया गया तो यह खुद को दोहराता रहेगा। लिहाजा इस मामले पर गौर करने की जरूरत है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली बेंच कर रही है। इस बेंच में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, ऋषिकेश राय भी शामिल हैं।