सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा कोविड से अनाथ बच्चों की मदद के लिए घोषित योजना का ब्योरा
नई दिल्ली, 01 मई। कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से देश उबरने की कोशिश कर रहा है, इस बीच संभावित तीसरी लहर को लेकर लोगों में डर बैठ गया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के कारण अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों की मदद के लिए ही में घोषित योजना के कार्यान्वयन को लेकर केंद्र सरकार से ब्योरा मांगा है। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को पीएम केयर्स फंड से 10-10 लाख रुपए आर्थिक मदद देने की घोषणा की थी।
इस सिलसिल में मंगवालर को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) कोविड से अनाथ हुए बच्चों का आंकड़ा पेश किया। एनसीपीसीआर ने बताया कि COVID-19 महामारी ने 1742 बच्चों को अनाथ कर दिया है। वहीं 7464 बच्चों ने महामारी के दौरान माता-पिता में से एक को खो दिया है। अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सरकार ने महामारी के कारण अनाथ बच्चों को लाभान्वित करने के लिए 29 मई को एक योजना की घोषणा की है।
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उन्होंने कहा कि वे अभी तक नहीं जानते हैं कि कितने बच्चों को इस योजना के तहत लाभ मिलेगा, लेकिन जिन बच्चों ने अपने माता-पिता, दत्तक माता-पिता आदि खोया है उन्हें आर्थिक मदद दी जाएगी। जस्टिस एल नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने केंद्र के वकील से पीएम केयर्स फंड के तहत किए गए पैकेज की घोषणा के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि लाभार्थियों की पहचान सहित योजना का विवरण अदालत के समक्ष दायर किया जाएगा। बता दें कि बच्चों को मिलने वाली 10 लाख रुपए की मदद उनके 18 वर्ष की आयु में पहुंचने तक वजीफे के रूप में दी जाएगी।