एसपीजी थी राहुल संग, यानी सरकार को पता था ठिकाना
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) राहुल गांधी वापस आ गए हैं। सरकार को पता था कि वे किधऱ हैं। आखिर उनके साथ एसपीजी तो थी। 56 दिनों के अज्ञातवास, साधना, आत्मचिंतन या आत्मनिर्वासन जो भी कहिए, समाप्त हो गया है। अब देश देखेगा कि राहुल गांधी किस तरह से काम करते हैं। उनमें क्या बदलाव आता है।
हालांकि जानकारों का कहना है कि कहने वाले कह रहे है कि पार्टी के चेहरे और रीति नीति में बदलाव को लेकर उनका अपनी माता जी सोनिया गांधी से मतभेद हो गया था और वे गुस्से में चले गए थे। कुछ कहते हैं कि वो किसी साधना में गए थे। किसी ने कहा कि वे उत्तराखंड में हैं। किसी ने थाईलैण्ड में विपश्यना तक की बात की। पता नही सच क्या है।
अब राहुल के निशाने पर सोनिया समर्थक नेता
आएगा सच सामने
यह सच वो बताते हैं या नहीं इसके बारे में भी कुछ कहना कठिन है। न भी बतायेंगे तो कुछ दिनों में सब कुछ सामने आ ही जाएगा। एसपीजी सुरक्षा होने के कारण वैसे भी सरकार को यह तो पता होगा कि वे कहां थे। एसपीजी के अधिकारियों को भी पता है। इसलिए भेद तो खुल ही जाएगा। लेकिन इससे ज्यादा अभिरुचि देश की इसमें होगी कि इतने दिनों करीब दो महीनों तक वे क्या करते रहे तथा आगे उनकी राजनीति किस तरह की होती है।
सशक्त विपक्ष
वरिष्ठ चिंतक अवधेश कुमार कहते हैं कि देश में विपक्ष का सशक्त, सकारात्मक और संतुलित होना आवश्यक है। कांग्रेस पहले सत्तारुढ़ थी। आज वह लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। राहुल उसके नेता हैं। वे पार्टी के भविष्य की उम्मीद हैं। अगर उम्मीद ही अज्ञातवास में चला जाए तो फिर पार्टी की क्या स्थिति होगी।
बजट सत्र
राहुल के बजट सत्र के पहले भाग से उनके गायब रहने को किसी ने भी अच्छे भाव से नहीं लिया। वह समय आत्मचिंतन का हो भी नहीं सकता था। इसलिए उनके जाने का कारण दूसरा था।
कहने वाले कह रहे है कि पार्टी के चेहरे और रीति नीति में बदलाव को लेकर उनका अपनी माता जी सोनिया गांधी से मतभेद हो गया था और वे गुस्से में चले गए थे। कुछ कहते हैं कि वो किसी साधना में गए थे। किसी ने कहा कि वे उत्तराखंड में हैं। किसी ने थाईलैण्ड में विपश्यना तक की बात की। पता नही सच क्या है।