कैबिनेट से इस्तीफे के बाद नवजोत सिंह सिद्धू के घर सन्नाटा
नई दिल्ली- पंजाब में अमरिंदर सिंह सरकार से इस्तीफा देने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं। चंडीगढ़ में सरकारी बंगला खाली करने के बाद वे अमृतसर आ चुके हैं, लेकिन उनके घर पर सन्नाटा पसरा हुआ है। आलम ये है कि कोई कांग्रेसी उनसे मिलने तक को तैयार नहीं है और जो गिने-चुने लोग आ भी जा रहे हैं तो सिद्धू ही उससे मिलने से मना कर दे रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि वे खुद कांग्रेस से दूर जाने की ठान चुके हैं या फिर उनके करीब जाकर कोई कांग्रेसी अमरिंदर से दूर होने का खतरा मोल लेने को तैयार नहीं है।
सिद्धू के घर सन्नाटा
रविवार को जब सिद्धू ने चंडीगढ़ का शानदार सरकारी बंगला खाली किया तो कयास लगाए जाने लगे कि अमृतसर पहुंचकर वह अपने पुराने तेवर में वापस लौट आएंगे। क्योंकि, पिछले डेढ़ महीने की उनकी चुप्पी उनके समर्थकों को ही नहीं विरोधियों को भी खल रही है। लेकिन, उनके अमृतसर पहुंचने के बाद भी उनके घर पर गहरा सन्नाटा ही पसरा हुआ है। उम्मीद थी कि अमृतसर में उनके घर पर मिलने वालों का तांता लग जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शहर में उनकी मौजूदगी के बावजूद सोमवार को कोई बड़ा कांग्रेस नेता उनके घर पर शिष्टाचार मुलाकात तक के लिए नहीं पहुंचा। यहां तक कि स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने भी उनसे दूरी बना ली। अलबत्ता सिद्धू के चुनाव क्षेत्र से कुछ पार्षद जरूर आए थे, लेकिन सिद्धू खुद ही उनसे नहीं मिले।
दो दिन बाद क्या बोंलेगे सिद्धू?
सिद्धू तो खुद सामने भी नहीं आ रहे हैं, लेकिन उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने उनके समर्थकों को जरूर भरोसा दिया है कि उनके पति दो दिन बाद समर्थकों से जरूर मिलेंगे। सोमवार को थोड़ी देर के लिए सिद्धू के बंगले में उनके विधानसभा क्षेत्र का दफ्तर खोला गया था, जिसमें कुछ देर के लिए नवजोत कौर आकर बैठी थीं। इस दौरान उनके निर्वाचन क्षेत्र के कुछ पार्षद और लुधियाना से आए उनके कुछ समर्थक मिलने पहुंच गए। तब कौर ने उन सबको भरोसा दिया कि दो दिन बाद खुद नवजोत सिंह सिद्धू उन सबसे मिलेंगे। कह जा रहा है कि इस दौरान समर्थकों ने सिद्धू के फैसले की तारीफ भी की। बहरहाल इसी वक्त कुछ पत्रकारों ने भी बातचीत के लिए अंदर संदेश भेजा था, लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया। मीडिया वालों के लिए घर के मेनगेट को बंद रखा गया था। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या दो दिन बाद जब वे अपने समर्थकों से मिलेंगे तो अपनी चुप्पी भी तोड़ेंगे?
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कांग्रेसियों ने क्यों बनाई सिद्धू से दूरी?
कहा जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू की कांग्रेस में एंट्री कांग्रेस के एक वर्ग को कभी सुहाई ही नहीं। लेकिन, जब उन्होंने नगर निगम चुनाव में कुछ कांग्रेसियों का पत्ता काटकर अपने करीबियों को टिकट दिलवा दिया तो पार्टी में उनके विरोधियों की तादाद बढ़नी शुरू हो गई। बताया जा रहा है कि मंत्रियों की बात तो दूर शहर के विधायक भी उनको फोन तक करने से परहेज कर रहे हैं। खबरें कि कांग्रेस भवन में जिला कांग्रेस की अध्यक्ष जतिंदर सोनिया ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था,जिसमें मेयर कर्मजीत सिंह रिंटू और नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन दिनेश बस्सी मौजूद रहे, लेकिन किसी ने उनका नाम तक लेना मुनासिब नहीं समझा। इस सबकी वजह सिर्फ ये बताई जा रही है कि सिद्धू के नजदीक जाकर कोई मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की नाराजगी मोल लेने के लिए तैयार नहीं है।
नया सियासी पत्ता खोलेंगे?
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने कई ऐक्शन से साबित किया है कि पंजाब कांग्रेस में उनके बिना पत्ता नहीं हिल सकता। यहां तक कि कई ऐसे उदाहरण हैं कि उनके सामने राहुल गांधी की भी मर्जी नहीं चल पाई है। राहुल ने कम से कम दो मौकों पर कैप्टन के समानांतर लीडरशिप तैयार करने की कोशिश की थी, लेकिन दोनों बार उन्हें सीएम के सामने घुटने टेकने पड़ गए। विधानसभा चुनाव के दौरान प्रताप सिंह बाजवा को कमान सौंपने पर भी अमरिंदर नाराज हुए थे और आखिरकार राहुल को पीछे हटना पड़ गया। इसी तरह अमरिंदर की इच्छा के विपरीत राहुल ने सिद्धू की पार्टी में एंट्री तो करा ली, लेकिन जब सिद्धू ने अपनी दिक्कत राहुल को बताई तो वे उनकी कोई मदद नहीं कर पाए।
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