स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हिंदू महिला के साथ मुस्लिम युवक की दूसरी शादी अमान्य- गुवाहाटी HC
गुवाहाटी, 14 सितम्बर। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हिंदू महिला के साथ मुस्लिम युवक की दूसरी शादी को लेकर बड़ा फैसला दिया है। उच्च न्यायालय ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत इस तरह की शादी को अमान्य बताया है।
विशेष विवाह अधिनियम 1954 की धारा 4 का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट की शर्तों में से एक यह भी है कि किसी पक्ष का जीवनसाथी जीवित नहीं है।
क्या
था
मामला?
कामरूप
(ग्रामीण)
में
अहमदनगर
कार्यालय
पर
जिला
मंडल
में
लाट
मंडल
के
पद
पर
कार्यरत
थे।
सहाबुद्दीन
अहमद
कार्यालय
जिला
मजिस्ट्रेट
कामरूप
(ग्रामीण)
में
लाट
मंडल
के
पद
पर
कार्यरत
थे।
उनका
2017
में
एक
सड़क
दुर्घटना
में
निधन
हो
गया
था
जिसके
बाद
उनकी
दूसरी
पत्नी
दीपमणि
कलिता
ने
पेंशन
और
अन्य
लाभ
न
मिलने
को
लेकर
अदालत
में
याचिका
दायल
की
है।
कलिता
12
साल
के
बच्चे
की
मां
हैं।
कोर्ट ने कहा कि इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ता और स्वर्गीय सहाबुद्दीन अहमद के बीच विवाह की तारीख को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत पंजीकृत किया गया था, उस दौरान उनकी पत्नी जीवित थी। ऐसे कोई दस्तावेज नहीं है जो यह बतातें हों कि याचिकाकर्ता के पति के पूर्व विवाह प्रतिवादी संख्या 6 (पहली पत्नी) के साथ विवाह को रद्द कर दिया गया हो।
सुप्रीम
कोर्ट
के
फैसला
का
हवाला
मोहम्मद
सलीम
अली
(मृत)
बनाम
शमसुद्दीन
(मृत)
मामले
में
सुप्रीम
कोर्ट
के
फैसले
का
हवाला
देते
हुए
अदालत
ने
कहा
ऐसा
प्रतीत
होता
है
कि
मुस्लिम
कानून
के
सिद्धांतों
के
तहत,
मूर्ति
पूजा
करने
वाले
के
साथ
मुस्लिम
व्यक्ति
का
विवाह
न
तो
वैध
है
न
ही
शून्य
विवाह,
बल्कि
केवल
अमान्य
है।"
केरल: बिशप का मुसलमानों पर विवादित बयान, कहा- 'लव जिहाद' प्रेम विवाह नहीं युद्ध की रणनीति
अदालत ने कहा कि मुल्ला (20वें संस्करण) द्वारा मुस्लिम कानून के सिद्धांतों की धारा 22 के अनुसार दो मुस्लिम में शादी के लिए दोनों का इस्लाम को मानना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता मुसलमान नहीं है इसलिए बिना मुस्लिम हुए शादी मुस्लिम कानून के तहत मान्य नहीं है। लेकिन वर्तमान केस में महिला ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की थी। ऐसे में एक्ट के प्रावधान 4 के तहत यह अमान्य है।
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