कृषि कानूनों पर रोक से लेकर किसान संगठनों को नोटिस तक, जानिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
नई दिल्ली। नए कृषि कानून को लेकर लगभग दो महीनों से जारी किसान आंदोलन में आज बड़ा फैसाला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कानूनों पर रोक लगाई, साथ ही एक कमेटी का गठन कर दिया है जो कि सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और सर्वोच्च अदालत को रिपोर्ट सौंपेगी। इससे पहले कोर्ट ने समिति के पास न जाने की बात पर किसानों को फटकार लगाई है और कहा कि हम समस्या का हल चाहते हैं, मगर आप अनिश्चितकालीन आंदोलन करना चाहते हैं तो आप कर सकते हैं।
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वहीं दूसरी तरफ किसान संगठनों को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 26 जनवरी पर किसान संगठनों की तरफ से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर जारी किया गया है। दरअसल दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित किसानों की ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने किसान संगठनों को नोटिस भेजा है।
जानिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि हमारे धैर्य को लेकर हमें लेक्चर न दिया जाए। हमने आपको काफी वक्त दिया ताकि समस्या का समाधान हो। कृषि कानून के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं वह कानून के अमल पर तब तक रोक लगा सकती है जब तक कि कमिटी के सामने दोनों पक्षों की बातचीत चलेगी ताकि बातचीत के लिए सहूलियत वाले वातावरण हों।
- सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से कहा है कि वह वैकल्पिक जगह पर प्रदर्शन के बारे में सोचें ताकि लोगों को वहां परेशानी न हो।
- CJI ने किसानों की ओर से पेश वकील को कहा कि आप कोर्ट को सपोर्ट करें। कोर्ट ने कहा कि ये कोई राजनीति नही है। हम समस्या का समाधान चाहते है। हम जमीनी हकीकत जानने के लिए कमिटी का गठन चाहते हैं।
- चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल से कहा है कि वो प्रदर्शन में किसी भी बैन संगठन के शामिल होने को लेकर कल अदालत के सामने हलफनामा दायर करें।
- अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में कहा कि खालिस्तानी प्रदर्शन में घुसपैठ कर चुके हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने जिन चार लोगों को इस कमेटी के लिए चुना है, वो हैं- भूपेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी और अनिल शेतकारी
- किसानों की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों का कहना है कि कई व्यक्ति चर्चा के लिए आए थे, लेकिन इस बातचीत के जो मुख्य व्यक्ति हैं, प्रधानमंत्री नहीं आए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को नहीं कह सकते कि आप मीटिंग में जाओ। वह इस केस में कोई पार्टी नहीं हैं।
- सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील पीएस नरसिम्हा ने कहा कि कुछ प्रतिबंधित संगठन भी आंदोलन का हिस्सा हैं और शह दे रहे हैं। इस पर जजों ने एटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या आपको भी ऐसा लगता है? इस पर एटॉर्नीा जनरल ने कहा कि वे पता करके बताएंगे। फिर जजों ने कहा कि वे कल यानी बुधवार को इस बारे में बताएं।
- धरना प्रदर्शन खत्म करने को लेकर किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि किसान कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे देश को शर्मसार होना पड़े। 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर मार्च निकालने के सवाल पर दुष्यंत दवे ने यह बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा था कि किसानों को धरना प्रदर्शन जारी रखने के लिए रामलीला जाने की अनुमति दी जाए।
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