SC ने जम्मू-कश्मीर के परिसीमन पर रोक से किया इनकार, केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब
नई दिल्ली, 13 मई: मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। इसके अलावा लद्दाख के अलग होने के बाद वहां पर दोबारा से परिसीमन की जरूरत थी, जिसका काम तेजी से चल रहा है। इस बीच ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और एक याचिका के जरिए परिसीमन पर रोक लगाने की मांग की गई। कोर्ट ने रोक लगाने से तो इनकार कर दिया, लेकिन परिसीमन को लेकर केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर शासन और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। इसके लिए सभी पक्षों को 6 हफ्ते का वक्त दिया गया।
जम्मू कश्मीर के रहने वाले हाजी अब्दुल गनी खान और डॉ मोहम्मद अयूब मट्टू की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने कहा कि वर्तमान याचिका में अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने को चुनौती नहीं दी गई है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वो भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करने का विरोध नहीं कर रहे हैं। परिसीमन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट 2019 की धारा 63 और संविधान के अनुच्छेद 81, 82,170, 330, 332 के खिलाफ है। याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 170 के तहत देश में अगला परिसीमन जब 2026 में होना है, तो अलग से जम्मू-कश्मीर में ये क्यों करवाया जा रहा है?
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन से होने वाले बदलाव और असर को जानिए
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि 2020 में जम्मू-कश्मीर के परिसीमन को लेकर अधिसूचना जारी की गई थी। ऐसे में याचिकाकर्ता अब कोर्ट के पास क्यों आ रहे हैं, आप दो साल तक कहां सो रहे थे? कोर्ट ने कहा कि वो इस पर रोक नहीं लगाएंगे, लेकिन इस मामले का निरीक्षण करेंगे। इसके बाद केंद्र सरकार, चुनाव आयोग आदि से जवाब मांगा गया। 6 हफ्ते में जवाब मिलने के बाद याचिककर्ता को जवाब दाखिल करना होगा। इसके लिए उसे दो हफ्ते का वक्त मिलेगा। मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त को रखी गई है।