Sammed Shikharji : जैन मुनि के निधन से खलबली, झारखंड सरकार के फैसले पर केंद्र सरकार की रोक, CM क्या बोले ?
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पत्र लिखा है। उन्होंने गिरिडीह जिले के तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखरजी स्थल से संबंधित उचित निर्णय लेने की अपील की है। केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है।
Sammed Shikharji : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने झारखंड सरकार को कार्यालय ज्ञापन जारी किया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र जैन धर्म का विश्व का सबसे पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थान है। इसकी पवित्रता और संरक्षण के प्रति सरकार प्रतिबद्ध है। ANI की रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने झारखंड सरकार को एक कार्यालय ज्ञापन जारी कर कहा गया है कि सरकार जैन समुदाय के साथ-साथ राष्ट्र के लिए भी गिरिडीह जिले के सम्मेद शिखरजी की पवित्रता और महत्व को पहचानती है।
पारसनाथ पहाड़ी में बदलाव पर रोक
केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का लेटर मिलने के बाद पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखरजी के संबंध में कहा कि सरकार शिखरजी की पवित्रता और महत्व बरकरार रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है। बता दें कि जैन धर्मावलंबियों ने पवित्र तीर्थ- सम्मेद शिखरजी को "टूरिस्ट प्लेस" पुकारने के फैसले की कड़ी आलोचना की। अब सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए झारखंड के मुख्य तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी के आसपास सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने झारखंड सरकार के इको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में नामित करने और पारसनाथ पहाड़ी में किसी भी बदलाव पर रोक लगाने का फैसला लिया है।
प्रतिबंधित गतिविधियों के खिलाफ सख्ती
दरअसल, जैन समुदाय को डर है कि इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में नामित करने से "इसकी पवित्रता को ठेस पहुंच सकती है।" इस पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार ने हेमंत सोरेन की सरकार को शराब के सेवन या "धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों को दूषित करने" या पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाने जैसी प्रतिबंधित गतिविधियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने को कहा है।
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प्रबंधन बोर्ड बनाएगी सरकार, जैन समाज के लोग भी होंगे
इससे पहले आज, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र को 2019 की अधिसूचना पर "उचित निर्णय" लेने के लिए लिखा। उन्होंने लिखा है कि राज्य की 2021 की पर्यटन नीति का जैन समुदाय द्वारा विरोध किया जा रहा है। इसका मकसद एक प्रबंधन बोर्ड बनाना है, जिससे धर्मस्थल का बेहतर प्रबंधन किया जा सके। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा, राज्य के पर्यटन सचिव के नेतृत्व में प्रबंधन बोर्ड में छह गैर-सरकारी सदस्य होंगे। इन्हें जैन समुदाय से ही चुना जा रहा है। सीएम ने केंद्र सरकार को बताया, जैन समुदाय पारसनाथ हिल्स, जहां मंदिर स्थित है, उसे "पर्यावरण पर्यटन" क्षेत्र घोषित करने का विरोध कर रहा है।
केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने क्या कहा ?
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री ने आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करने की अपील की है। इसी के बमुश्किल दो घंटे बाद, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक ज्ञापन जारी किया। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिक रूप से हानिकारक गतिविधियों को तुरंत "रोक" दिया जाए। केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने भी कहा, "किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए कुछ भी नहीं किया जाएगा।" उन्होंने जोर देकर कहा कि ईको टूरिज्म का मतलब उस क्षेत्र में कोई स्थायी संरचना, रेस्तरां और ऐसी चीजों का निर्माण करना नहीं है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री का ट्वीट, एक्शन पर विस्तृत बयान
केंद्र सरकार के मेमो में यह भी कहा गया है कि प्रबंधन बोर्ड में कम से कम दो सदस्य जैन समुदाय से होने चाहिए। बता दें कि सम्मेद शिखर पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य और तोपचांची वन्यजीव अभयारण्य के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र में आता है। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (@byadavbjp) ने ट्वीट किया, निषिद्ध गतिविधियों की एक सूची है जो नामित पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र में और उसके आसपास नहीं हो सकती है। प्रतिबंधों का अक्षरशः पालन किया जाएगा।
सरकार का फैसला "प्रशासनिक सुविधा" के लिए
झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस की गठबंधन वाली राज्य सरकार यह तर्क देती रही है कि मूल अधिसूचनाएं भाजपा सरकारों ने जारी की। अब केंद्र को कार्रवाई करने की जरूरत है। 2019 में मुख्यमंत्री रहे बीजेपी नेता रघुबर दास ने इस मामले में कहा, अब गलत फैसलों को सुधारा जा सकता है। सम्मेद शिखरजी के संबंध में झारखंड के पर्यटन सचिव मनोज कुमार ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सम्मेद शिखरजी सहित 200 स्थानों को पर्यटन स्थल के रूप में नामित करने का कदम "प्रशासनिक सुविधा" के लिए था।
पर्यटन नहीं "जैन धार्मिक स्थल" करने को भी तैयार
पर्यटन सचिव मनोज कुमार ने जोर देकर कहा कि इन स्थानों को लंबे समय से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन स्थलों के रूप में पहचाना जाता है। दुनिया भर से तीर्थयात्रियों और आगंतुक यहां आते हैं। ऐसे में अधिसूचना में श्री सम्मेद शिखरजी के बेहतर प्रबंधन के लिए नियम बनाने के लिए जैन समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ एक प्राधिकरण स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वर्गीकरण में संशोधन करने और सम्मेद शिखरजी के लिए "जैन धार्मिक स्थल" के रूप में शामिल करने के लिए भी तैयार है।
फैसले के बचाव में झारखंड सरकार की दलीलें
पर्यटन सचिव का कहना है कि पारसनाथ हिल्स किसी अन्य सामान्य पर्यटन स्थल की तरह नहीं है। यह वन्यजीव अभयारण्य के अधिकार क्षेत्र में आता है। यहां तक कि छोटे निर्माण के लिए भी वन्यजीव अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है। ऐसे में झारखंड सरकार की पहल पर प्रबंधन बोर्ड के हवाले से जैन समुदाय को डर है कि होटल, बार और रेस्तरां बनने पर "उस जगह की पवित्रता नष्ट" हो जाएगी। राजधानी रांची में जैन समुदाय के नेता पदम कुमार छाबड़ा ने कहा, "अधिसूचना में 'जैन धार्मिक स्थल' को शामिल करने का सरकार का प्रस्ताव सिर्फ दिखावा है। हम एक अल्पसंख्यक समुदाय हैं, जो अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। हम मांग करते हैं कि अधिसूचना को रद्द किया जाए।"
जैन मुनी के निधन से आक्रोश
झारखंड सरकार के फैसले का रांची के अलावा मुंबई में भी प्रोटेस्ट हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे महाराष्ट्र में भूख हड़ताल करेंगे। श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने से आक्रोशित जैन संत मुनि सुगय्या सागर का मंगलवार को राजस्थान के जयपुर में निधन हो गया था। उन्होंने सरकार के फैसले के विरोध में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की थी। इसके बाद जैन मुनि आचार्य सुनील सागर महाराज ने कहा कि तीर्थों की रक्षा के लिए जैन मुनि ने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने कहा कि सरकार और समाज के बीच संवाद की कमी है।
अल्पसंख्यक आयोग की सिफारिश पर भी नजरें
रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि भारत में जैन छोटा समुदाय के साथ-साथ अल्पसंख्यक भी है। भारत की आबादी का लगभग 1 प्रतिशत - लेकिन व्यापार में प्रभावशाली रहे जैन समुदाय की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश की वित्तीय राजधानी माने जाने वाले मुंबई शहर की आबादी में लगभग 5 प्रतिशत जैन रहते हैं। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने इस मुद्दे पर आगामी 17 जनवरी को सुनवाई निर्धारित की है। यही आयोग सरकारों को सिफारिशें करता है।
क्यों महत्वपूर्ण है Sammed Shikharji
बता दें कि सम्मेद शिखरजी झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 160 किलोमीटर दूर है। राज्य की सबसे ऊंची चोटी गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों में स्थित है। तीर्थस्थल जैन धर्मावलंबियों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदाय जैन धर्म में शामिल हैं। आस्था के मुताबिक 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों ने इसी स्थान पर 'मोक्ष' सिद्धि प्राप्त की थी।