लोकसभा चुनाव 2019: मुलायम के खिलाफ मैनपुरी में बगावत ने समाजवादी पार्टी की टेंशन बढ़ाई
नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव को समाजवादी पार्टी ने यादव परिवार के गढ़ मैनपुरी से टिकट दिया है। साल 2014 में मुलायम ने आजमगढ़ के साथ मैनपुरी से भी चुनाव लड़ा था। वो दोनों सीटों से लोकसभा चुनाव जीते थे। लेकिन उन्होंने मैनपुरी सीट से इस्तीफा दे दिया था और आजमगढ़ को अपना संसदीय क्षेत्र चुना। लोकसभा चुनाव 2019 बदली परिस्थतियों में हो रहा है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी में बसपा के साथ गठबंधन किया है। कभी ये दो पार्टियां सूबे में एक दूसरे की सबसे बड़ी राजनीतिक दुश्मन थी। मुलायम सिंह को टिकट मिलने के बाद मैनपुरी में बगावत शुरू हो चुकी है। इसने समाजवादी पार्टी के सामने अपने घर में ही इससे निपटने समस्या पैदा कर ली हैं।
मैनपुरी में मुलायम के खिलाफ बगावत!
रविवार को नई दिल्ली में चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तारीखों का ऐलान किया। वहीं एसपी के गढ़ मैनपुरी में इससे कुछ घंटे पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र उत्तम ने मैनपुरी में 51 सदस्यीय जिला कार्यकारिणी को भंग कर दिया। इसे यहां मुलायम सिंह यादव के खिलाफ विद्रोह के ठंडा करने के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि मुलायम ने अभी अपना चुनाव अभियान यहां से शुरू भी नहीं किया है। वैसे एसपी के लिए अपनी पार्टी के लोगों का विरोध प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है। साल 2016 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव से ही पार्टी में अंदरूनी कलह की वजह से ऐसी तस्वीरें अक्सर सामने आती रही हैं। लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मुलायम के संसदीय क्षेत्र में भी ये देखने को मिलेगा।
तेज प्रताप सिंह को टिकट ना मिलने से नाराजगी
मैनपुरी सीट से मौजूदा सांसद मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रसाद सिंह यादव हैं। वो अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं। तेज प्रताप को मैनपुरी से टिकट ना देने पर पार्टी का एक तबका नाराज है। पार्टी महासचिव राम गोपाल यादव का पुतला फूंकने की खबरें भी यहां से आई है। इन रिपोट्स में बताया गया है कि ये काम कथित तेज प्रताप यादव के समर्थकों ने किया। है। हालांकि तेज प्रताप ने कहा है कि उन्हें पास की किसी सीट से टिकट मिलने की उम्मीद है लेकिन वह अपने समर्थकों को सड़क पर उतरने से नहीं रोक सके। गौरतलब है कि साल 2014 में यूपी में भाजपा की लहर में सपा-बसपा और कांग्रेस का सफाया हो गया था। इसके बावजूद एसपी ने यादव बैल्ट (मैनपुरी, फिरोजाबाद, इटावा, बदायूं, कन्नौज और संभल) में बेहतर प्रदर्शन किया था। एसपी ने यहां की पांचों लोकसभा सीट जीती थी। इन पांचों सीटों पर यादव परिवार के सदस्य लड़े थे। लेकिन इस बार अपने ही गढ़ में यादव कुनबे की कलह सामने आ रही है
शिवपाल ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का किया ऐलान
पिछले तीन साल में यादव परिवार में कलह की वजह से पार्टी टूट चुकी है। मुलायम के करीबी और छोटे भाई शिवपाल यादव ने अखिलेश के खिलाफ बगावत कर ली है। उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया बनाकर उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इससे समाजवादी पार्टी को नुकसान हो सकता है। शिवपाल यादव राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ खुद फिरोजाबाद से लड़ रहे हैं । हालांकि नेताजी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने का उन्होंने वादा किया है। वो यादव परिवार के अन्य सदस्यों को आसानी से जीतने नहीं देंगा। बदायूं में धर्मेंद्र यादव और कन्नौज में डिंपल यादव के खिलाफ भी वो उम्मीदवार उतारंगे। अखिलेश और तेज प्रताप का नाम एसपी की अगली लिस्ट में सामने आ सकता है। यादव परिवार के गढ़ की एक और लोकसभा सीट इटावा में शिवपाल का उम्मीदवार होने से एसपी कैंडिडेट कमलेश कठेरिया को कड़ी चुनौती मिलेगी। फिरोजाबाद में शिवपाल को मुलायम के खास सहयोगी और सिरसागंज से विधायक हरिओम यादव का समर्थन मिलता दिख रहा है। एक पूर्व स्थानीय विधायक मोहम्मद अजीम भी उनके साथ हैं। ऐसे में अक्षय यादव के लिए चुनावी चक्रव्यूह तैयार है, जिनका बतौर सांसद पिछले पांच साल के दौरान कोई खास प्रभाव नहीं है।
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