सबरीमला: मंदिर में प्रवेश की महिलाओं की एक और कोशिश नाकाम
एसजेआर कुमार ने यह भी कहा, "तमिलनाडु से आईं ये सब महिलाएं माओवादी हैं जो शांतिप्रिय केरल में क़ानून-व्यवस्था बिगाड़ना चाहती हैं. इसीलिए हमने राज्यपाल से हस्तक्षेप की अपील की है."
नवंबर में जब सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी तो कर्मा समिति के कार्यकर्ताओं ने ही उन्हें देर तक कोच्चि एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया था.
श्रद्धालु महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अब तक के सबसे बड़े समूह ने रविवार को केरल के सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उनका रास्ता रोक दिया.
मंदिर में प्रवेश की कोशिश करने वाली ये 11 महिलाएं 50 से कम उम्र की हैं और उनका संबंध दक्षिण भारत के अलग-अलग प्रदेशों से है.
इन महिलाओं को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें लगभग खदेड़ दिया जिसकी वजह से उन्हें पम्बा बेस कैम्प के पुलिस कंट्रोल रूम की ओर भागकर शरण लेनी पड़ी.
सुप्रीम कोर्ट दे चुका है प्रवेश की इजाज़त
चेन्नई स्थित मैनिती संस्था के बैनर तले ये महिलाएं पम्बा पहुंची थीं. मैनिती से जुड़ी सेलवी ने बीबीसी को बताया, "हमें वापस तमिलनाडु ले जाया जा रहा है. हमारे साथ पुलिस की तीन जीप और एक निगरानी वाहन है. अगर पुलिस सुरक्षा मुहैया नहीं करा सकती और श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा का कोई इंतज़ाम नहीं है तो हमें लौटना ही पड़ेगा."
इन महिलाओं में से छह श्रद्धालु और पांच एक्टिविस्ट हैं. वे स्वामी अयप्पा के दर्शन के लिए सबरीमला मंदिर में प्रवेश करना चाहती थीं.
28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला की 150 साल पुरानी वो परंपरा ख़त्म कर दी गई जिसमें 10 से 50 साल की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित था. लेकिन कई धार्मिक समूह और कुछ राजनीतिक पार्टियां देश के सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले को नहीं स्वीकार रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से मंदिर में प्रवेश की कोशिश करने वाला यह महिलाओं का सबसे बड़ा समूह था.
राजनीतिक पार्टियों का रुख़
अक्टूबर से ही महिलाएं मंदिर में प्रवेश की कोशिशें कर चुकी हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का विरोध कर रहे श्रद्धालुओं का एक वर्ग उनका रास्ता रोकता रहा है. इसमें भारतीय जनता पार्टी से लेकर कई संस्थाओं के कार्यकर्ताओं के शामिल होने के आरोप भी लगे हैं.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना कर चुके हैं. अक्टूबर में केरल के कन्नूर में ज़िला भाजपा कार्यालय के उद्घाटन के समय उन्होंने कहा था कि देश की अदालतों को व्यावहारिक होना चाहिए और वैसे ही फ़ैसले देने चाहिए, जिन्हें अमल में लाया जा सके.
उन्होंने कहा था कि भाजपा अयप्पा भक्तों के साथ खड़ी है.
https://twitter.com/AmitShah/status/1056133606186409990
रविवार को मंदिर में प्रवेश की कोशिश करने वाली महिलाओं को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी लेकिन महिलाओं को मंदिर की 6.1 किलोमीटर की चढ़ाई से पहले ही रोक लिया गया.
पम्बा में क़रीब 30-40 प्रदर्शनकारियों ने स्वामी अयप्पा की भक्ति में नारे लगाते हुए उन्हें रोक लिया.
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'ये सब महिलाएं माओवादी हैं'
सेलवी ने कहा, "केरल पुलिस हमें बचा रही है लेकिन वह हमारे अधिकारों की रक्षा नहीं कर पा रही. ऐसा वह जान-बूझकर कर रही है. अगर वह चाह तो वह हम सबको सुरक्षा दे सकती है."
इन महिलाओं ने इदुक्की-कम्बामेडु रास्ते से होकर तड़के साढ़े तीन बजे केरल में प्रवेश किया था. पम्बा तक पहुंचने के दौरान भी इन महिलाओं को काफी विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था.
सबरीमला कर्मा समिति के संयोजक एसजेआर कुमार कहते हैं, "उन्हें सिर्फ हमारे संगठन के कार्यकर्ताओं ने ही नहीं रोका. बाकी श्रद्धालु भी कर्मा समिति के विचारों से सहमत थे और उन्होंने हमारे साथ मिलकर उन महिलाओं को वापस भेजा."
सबरीमला कर्मा समिति भाजपा से जुड़े संगठनों का एक साझा संगठन है.
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एसजेआर कुमार ने यह भी कहा, "तमिलनाडु से आईं ये सब महिलाएं माओवादी हैं जो शांतिप्रिय केरल में क़ानून-व्यवस्था बिगाड़ना चाहती हैं. इसीलिए हमने राज्यपाल से हस्तक्षेप की अपील की है."
नवंबर में जब सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी तो कर्मा समिति के कार्यकर्ताओं ने ही उन्हें देर तक कोच्चि एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया था. तृप्ति देसाई ने ही महाराष्ट्र के अहमदनगर में शनि शिग्णापुर मंदिर में प्रवेश करके महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध की परंपरा तोड़ी थी.
रविवार से पहले भी छह से ज़्यादा महिलाएं भारी पुलिस सुरक्षा के साथ सबरीमला मंदिर में प्रवेश की नाकाम कोशिश कर चुकी हैं. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें भी प्रवेश नहीं करने दिया था.