रामनाथ कोविंद ने IAS की नौकरी छोड़ी, मोरारजी देसाई के रहे निजी सचिव
भाजपा के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के बारे में अहम बात जिस बारे में कम ही लोगों को पता है।
लखनऊ। देस के अगले राष्ट्रपति के लिए भाजपा ने अपने उम्मीदवार का नाम आगे कर दिया है। यूपी के कानपुर से बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले रामनाथ कोविंद को पार्टी ने अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर आगे किया है। रामनाथ कोविंद के बारे में यूं तो कम ही लोग जानते हैं, लेकिन उनके व्यक्तिगत जीवन की उपलब्धियां काफी उच्च स्तर की है, जिसके बारे में लोगों का जानना काफी अहम है।
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कानपुर के बेहद गरीब परिवार में हुआ जन्म
रामनाथ का जन्म कानपुर देहात के डेरापुर तहसील के झींझक कस्बे के बहुत ही छोटे से गांव परौख में हुआ था, लेकिन अपनी इस पारिवारिक पृष्ठभूमि को रामनाथ ने उनके जीवन में कभी बाधा नहीं बनने दिया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यहां के एक सरकारी स्कूल से पूरी की थी, जिसके बाद उन्होंन कानपुर के बीएनएसडी शिक्षा निकेतन से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की, जिसके बाद उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के लिए कानपुर के डीएवी कॉलेज में दाखिला लिया। यहां से उन्होंने कानून की शिक्षा पूरी की। शुरुआत से ही रामनाथ पढ़ाई में बेहद होनहार थे।
तीन बार दी यूपीएससी की परीक्षा
रामनाथ ने समाज में बड़े बदलाव की इच्छा से सिविल सेवा की तैयारी शुरु की और कड़ी तैयारी के बाद उन्होंने इस परीक्षा में हिस्सा लिया था, हालांकि उन्हें इस परीक्षा में सफलता हासिल नहीं हो सकी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक बार फिर से पूरी तैयारी में जुट गए, लगातार दूसरी बार भी उन्हें इस परीक्षा में विफलता मिली, लेकिन लगातार मिलने वाली असफलता के बाद भी वह निराश नहीं हुए और उन्होंने तीसरी बार इस परीक्षा में हिस्सा लिया और इस बार उन्हें इस परीक्षआ में सफलता मिली। हालांकि उन्हें इस बार बेहतर रैंक नहीं मिली जिसके चलते उन्होंने नौकरी ठुकरा दी और दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत करने का फैसला लिया।
पूर्व प्रधानमंत्री के रहे निजी सचिव
दिल्ली में हाई कोर्ट में प्रैक्टिस के दौरान उन्होंने राजनीति में जाने का फैसला लिया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जूनियर काउंसलर की भूमिका निभाई। केंद्र में मोरारजी देसाई की सरकार में उन्हें 1977 में पीएम देसाई का निजी सचिव बनाया गया। इसके बाद आखिरकार रामनाथ कोविंद ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और घाटमपुर से 1990 में चुनाव लड़ा, हालांकि उन्हें यहां से हार का सामना करना पड़ा, एक बार फिर से 2007 में उन्होंने यूपी के भोगनीपुर से चुनाव लड़ा लेकिन फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
पार्टी ने दिए कई अहम पद
रामकोविंद की काबिलियत को देखते हुए भाजपा ने उन्हें कई अहम पद दिए, उन्हें ना सिर्फ यूपी भाजपा ईकाई का महामंत्री बनाया गया बल्कि 1994 व 2000 में उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भी भेजा। इसके अलावा वह अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जिसके बाद उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया। बहरहाल अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या तमाम विपक्षी दल रामनाथ कोविंद के नाम पर अपनी सहमति देते हैं या नहीं।