जेल से रिहा होने के बाद राजीव गांधी हत्याकांड का दोषी पेरारीवलन बोला- मैं अब आजाद हूं, मुझे सांस लेने दो
राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारीवलन को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 मई) को रिहा कर दिया।
राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारीवलन को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 मई) को रिहा कर दिया। उन्होंने राहत की सांस लेते हुए कहा कि मैं अब आजाद हूं, मुझे सांस लेने दो। पेरारीवलन 31 साल से जेल में कैद था। वह सिर्फ 19 साल का था जब उसे दोषी ठहराया गया था। जेल से रिहा होने के बाद पेरारिवलन ने कहा कि आखिरकार न्याय की जीत हुई। मेरी मां को राहत मिली है।
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लिट्टे के सदस्य के लिए बैट्री खरीदने का आरोप
परिवार, दोस्तों और मीडिया के बिना मैं यहां नहीं होता। आप सभी ने एक आम आदमी के लिए बात की। उन्होंने कहा कि यह एक आम आदमी की लड़ाई थी जिसे फंसाया गया था। पेरारीवलन पर लिट्टे के सदस्य श्रीवरसन के लिए बैट्री खरीदने का आरोप लगाया गया था, जो राजीव गांधी की हत्या का मास्टरमाइंड था। जिस बम से पूर्व प्रधानमंत्री की मौत हुई थी, उसमें बैटरियों का इस्तेमाल किया गया था।
2014 में आजीवन कारावास में बदली थी सजा
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को हुई थी। इस केस में 11 जून 1991 को पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया था। जांच में पता चला कि विस्फोट के लिए उसने ही मास्टरमाइंड शिवरासन को दो 9 वोल्ट की बैटरी खरीदकर दी थी। केस की सुनवाई पूरी होने के बाद टाडा अदालत ने 1998 में उसे मौत की सजा सुनाई और सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे बरकरार रखा, लेकिन 2014 में इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। फिर जयललिता और ए. के. पलानीसामी सरकार ने सभी दोषियों की रिहाई की सिफारिश की थी।
नियम नहीं तोड़ने की वजह से मिली जमानत
9 मार्च को सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पेरारिवलन ने पैरोल के दौरान कोई नियम नहीं तोड़ा, इस वजह से उसे जमानत दी जाती है। इसके बाद सजा माफ करने पर बहस हुई। जिस पर भारत सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के एम नटराज ने कहा कि केंद्रीय कानून के तहत दोषी ठहराए गए शख्स की माफी, दया याचिका पर केवल राष्ट्रपति फैसला ले सकते हैं। इसमें राज्यपाल को कोई अधिकार नहीं है। इस पर खंडपीठ ने उनसे कहा तो अब तक राज्यपालों ने जितने लोगों को माफी दी है, क्या वो सब फैसले अमान्य हैं?