खून की दलाली के बयान से कांग्रेस को हो सकते हैं पांच नुकसान
नई दिल्ली। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना से भरे माहौल में राहुल गांधी के बयान ने बीजेपी को बड़ा मुद्दा दे दिया है। अमित शाह ने राहुल के बयान को तुरंत लपकते हुए इसे जनता के बीच ले जाने का भी ऐलान कर दिया है।
राहुल के वार पर बीजेपी का पलटवार
यूपी में करीब एक महीने तक चली राहुल की किसान यात्रा का राजनीतिक लाभ मिलने पर भले ही संदेह हो लेकिन इस बयान का बीजेपी राजनीतिक फायदा उठाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी, इसमें कोई शक नहीं।
1. बीजेपी बनाएगी भावनात्मक मुद्दा
राहुल गांधी ने जिस तरह से भारतीय जवानों के खून की दलाली का आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मढ़ा है, बीजेपी ने इसे सेना और जवानों का अपमान करार दिया है। उन्होंने कहा कि दलाली शब्द कांग्रेस तक ही सीमित है। एक तरह बीजेपी अध्यक्ष ने इस मुद्दे को भावनात्क मुद्दा बनाते हुए कहा कि राहुल गांधी का बयान जताता है कि उनके लिए जवानों के खून का कोई मोल नहीं है। जिस समय देश में बड़ा खतरा मंडरा रहा हो, सेना के जवान आतंकियों और देश के दुश्मनों से लड़ रहे हों, ऐसे में ये बयान उनके मनोबल को गिराने वाला है।
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राहुल गांधी का ये बयान कांग्रेस पार्टी की मानसिकता को दर्शाता है। कुल मिलाकर बीजेपी अध्यक्ष ने साफ कर दिया अभी तक पार्टी सेना और सर्जिकल स्ट्राइक का मुद्दा जनता के बीच लेकर नहीं जाएगी। वह इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं करेगी, लेकिन अब संभव है कि वह पूरे मामले को भावनात्मक तौर पर सरकार के बीच लेकर जाएगी।
2. यूपी और पंजाब में हो सकता है नुकसान
राहुल गांधी ने जिस तरह से जवानों के 'खून की दलाली' का आरोप पीएम मोदी पर लगाया है। बीजेपी उन पर हमलावर हो गई है। इस बात की पूरी संभावना है कि पार्टी इसे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में मुद्दा भी बनाए। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस को उत्तर प्रदेश और पंजाब में गहरा झटका लग सकता है।
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जिस तरह से उरी बेस कैंप में आतंकियों के हमले के बाद हमारे जवान शहीद हुए उसके बाद पूरे देश में एक गुस्सा था। ऐसे वक्त में पीएम मोदी ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि वह इस आतंकी हमले के दोषियों को नहीं बख्शेंगे। उसके बाद भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर जिस तरह से सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया उसका असर पूरे देश में दिखाई दिया। लगभग हर वर्ग और हर पार्टी ने इस कार्रवाई का समर्थन किया। लेकिन अब भारतीय जवानों के खून की दलाली का आरोप लगाकर राहुल गांधी ने कहीं न कहीं बीजेपी को मौका दिया है कि वह इस मुद्दे को चुनावों में भुनाए।
3. किसान यात्रा पर फिर सकता है पानी
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की निगाहें यूपी पर खास तौर से लगी हुई हैं। इसीलिए रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लाया गया। उन्होंने यूपी की बिसात में कांग्रेस को बढ़त दिलाने के लिए कई बड़े फैसले लिए। शायद यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने ब्राह्मण चेहरे को देखते हुए शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बना दिया। राजबब्बर के हाथों में प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई। इतना ही नहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने करीब एक महीने तक यूपी में किसान यात्रा की। इस दौरान उन्होंने 3500 किमी. की यात्रा की।
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राहुल गांधी ने इस दौरान कांग्रेस को मजबूती के लिए किसानों का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री मोदी के विदेश दौरों को लेकर घेरा। साथ ही महंगाई को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस पूरी यात्रा से ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस पार्टी को इससे मदद मिलेगी, लेकिन किसान यात्रा के आखिरी चरण में राहुल गांधी ने दिल्ली में रैली की। जहां प्रधानमंत्री मोदी पर जवानों के खून की दलाली का आरोप लगा दिया। राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के तेवर से साफ है कि वो इस मुद्दे को चुनावों में ले जाएंगे। ऐसी सूरत में राहुल की किसान यात्रा का राजनीतिक लाभ मिलने पर भले ही संदेह हो लेकिन इस बयान का बीजेपी राजनीतिक फायदा उठाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी।
4.राहुल को फिर पप्पू साबित करेगी बीजेपी
क्या राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर जो बयान दिया उसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ेगा? लगता तो कुछ ऐसा ही है क्योंकि राहुल गांधी ने खुद अपने बयान पर सफाई दी है। वहीं बीजेपी को लगे हाथ राहुल को घेरने का मौका मिल गया है।
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अमित शाह की बातों पर गौर करें तो साफ है कि वो इस मुद्दे को जनता के बीच लेकर जाएगी। ऐसे में बीजेपी तय है कि एक बार फिर से राहुल गांधी को पप्पू साबित करने की कोशिश करे। फिलहाल राहुल गांधी ने बैठे-बिठाए बीजेपी को यूपी में जवानों और सेना से जुड़ा ऐसा मुद्दा दिया जो उसके संजीवनी का काम आगामी चुनाव में कर सकती है।
5. पार्टी के अंदर उठ सकते हैं सवाल
राहुल गांधी के बयान को लेकर ऐसा नहीं है कि पहली विवाद गहराया हो। पहले भी कई ऐसे मौके आए हैं जब उनके बयानों से पार्टी की किरकिरी हुई है। इतना ही नहीं राहुल गांधी के बयानों पर पार्टी में सवाल उठाए गए। संभावना इस बात की है कि इस बार भी राहुल गांधी के पीएम मोदी को लेकर दिए गए बयान का विरोध हो सकता है।
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कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी के बयान पर सवाल खड़े कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यूपी समेत पांच राज्यों कि विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा। पार्टी में किसी भी तरह के विवाद से पार्टी की रणनीति पर असर हो सकता है।