पुलवामा हमला: कई माह से घाटी में इकट्ठा हो रहा था आरडीएक्स, 80 किलो विस्फोटक के प्रयोग की आशंका
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पुलवामा। गुरुवार को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीदों की संख्या 40 तक पहुंच गई है। हमले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पुलवामा पहुंच चुकी है। शुरुआती जांच में जो बात सामने आई है उसके मुताबिक हमले के लिए आईईडी नहीं बल्कि आरडीएक्स का प्रयोग हुआ था। बताया जा रहा है कि हमलावर आदिल अहमद डार ने आरडीएक्स की मदद से इस आत्मघाती हमले को अंजाम दिया था। पहले इस बात की खबरें थीं कि हमले के लिए करीब 350 किलोग्राम विस्फोटक का प्रयोग किया गया है। यह भी पढ़ें-पुलवामा हमला: अमेरिका ने कहा भारत का हर फैसला हमें मंजूर, आत्मरक्षा का पूरा अधिकार
11 वर्ष बाद हमले में आरडीएक्स का प्रयोग
हमले के लिए बताया जा रहा है कि आरडीएक्स का प्रयोग किया गया था। अगर यह बात सही साबित होती है तो आरडीएक्स के इतने बड़े पैमाने पर प्रयोग की घटना करीब 11 वर्ष बाद हुई है। आखिरी बार साल 2008 में असम में आतंकी हमलों के लिए आरडीएक्स का प्रयोग हुआ था। पुलवामा हमला जिस बड़े स्तर पर अंजाम दिया गया है उससे माना जा रहा है छोटी-छोटी मात्रा में कई माह से आरडीएक्स को जम्मू कश्मीर में इकट्ठा किया जा रहा था। सीआरपीएफ सूत्रों के मुताबिक हमले के लिए करीब 80 किलोग्राम आरडीएक्स का प्रयोग किए जाने की संभावना है। वहीं एनआईए के अधिकारी हालांकि इससे कम मात्रा के प्रयोग की बात कह रहे हैं।
15 किलोमीटर तक जांच
एनआईए और सेंट्रल फॉरेन्सिक साइंस लैबोरेट्रीज (सीएफएसएल) की अलग-अलग टीमें ब्लास्ट वाली जगह पर पहुंच गई हैं। टीमों की ओर से जगह का सघनता से निरीक्षण किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो जम्मू श्रीनगर नेशनल हाइवे के 15 किलोमीटर तक के दायरे में जांच चल रही है यानी जांच की टीमें पंपोर से लेकर अवंतिपोरा तक हर बात परख रही हैं। इन दोनों ही जगहों पर सुरक्षाबलों को कई बार निशाना बनाया गया है। दो टीमों ने श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर लेथपोरा का दौरा किया है। यहां की फोटोग्राफ्स ली गई हैं और वीडियो भी बनाए गए हैं। इनका प्रयोग फॉरेन्सिक एग्जामिनिशेन में किया जाएगा।
एनएसजी टीम से भी बातचीत
नेशनल बॉम्ब डाटा सेंटर (एनबीडीसी) की टीम जो कि नेशनल सिक्योरिटी गार्ड यानी एनएसजी के तहत आती है, उसने भी घटनास्थल का दौरा किया है। इस टीम को हमले में प्रयोग आईईडी के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए यहां भेजा गया। बताया जा रहा है कि एनआईए की टीम ने उन कुछ सीआरपीएफ सदस्यों से बात की है जो कॉन्वॉय का हिस्सा थे जिसे हमले में निशाना बनाया गया था।
खंगाले जा रहे हैं फोन नंबर्स भी
इसके अलावा एजेंसियां कुछ संदिग्ध फोन कॉल्स की भी जांच कर रही हैं। जांचकर्ता इस बात का पता लगा रहे हैं कि कहीं सीमा के उस पर कुछ कॉल्स तो नहीं की गई थीं क्योंकि इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। सूत्रों की मानें तो आईईडी से लदी स्कॉर्पियों पर किसी का ध्यान कैसे नहीं गया। जांचकर्ताओं को इस बात पर शक है कि आईईडी को लेथपोरा में कार में इंस्टॉल किया गया था और शायद हमले के एक दिन पहले ही इसमें आईईडी का प्रयोग हुआ था।