लोकसभा चुनाव 2019: सरगुजा लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ की सरगुजा लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद कमलभान सिंह हैं। उन्होंने 2014 के चुनाव में अपने निकतम प्रतिद्वंद्वी रामदेव टिर्की को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया था। बीजेपी उम्मीदवार कमलभान को 49 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान इस लोकसभा सीट पर 12 लाख 98 हज़ार के करीब मतदाता थे। इनमें महिला मतदाताओं की संख्या अधिक थी। 6 लाख 65 हज़ार 245 महिला मतदाता थीं। हालांकि मतदान करने में पुरुष वोटर आगे रहे। पुरुष मतदाताओं 3 लाख 87 हज़ार से ज्यादा की संख्या में वोट डाले, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या रही 3 लाख 82 हज़ार 801।
इस लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 59 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। पिछले तीन चुनावों से बीजेपी यहां उम्मीदवार बदल-बदल कर जीत हासिल करती रही है। 2004 में नंद कुमार साय और 2009 में मुरारीलाल सिंह ने इस सीट से बीजेपी के लिए स्कोर किया था। 1977 और 1989 को छोड़ दें तो कांग्रेस ने 1996 तक इस सीट को अपने पास रखा है। मगर, उसके बाद से केवल 1999 में ही कांग्रेस जीत दर्ज कर सकी है, जब खेलसाय सिंह सांसद चुने गये थे।
रामायण काल से संबंध के कारण सरगुजा का अलग महत्व है। कहा जाता है कि 14 साल के वनवास के दौरान भगवान राम सरगुजा आए थे और यहां के जंगलों में अपना निर्वासन काटा था। रामायण से जुड़े कई क्षेत्र हैं जिन्हें राम, लक्ष्मण और देवी सीता के नाम से जाना जाता है। इनमें रामगढ़, सीता भेंगरा और लक्ष्मणगढ़ शामिल हैं। पौराणिक महत्व की सरगुजा लोकसभा सीट का राजनीतिक महत्व भी कम नहीं है।
कमलभान सिंह मराबी का लोकसभा में प्रदर्शन
कमलभान सिंह मराबी ने अपने सांसद निधि का पूरा उपयोग किया है। दिसम्बर 2018 तक 25 करोड़ में से केवल ढाई करोड़ की राशि बची हुई थी। संसद में कमलभान की सक्रियता बहुत ज्यादा नहीं रही। 8 बार उन्होंने बहस में हिस्सा लिया। 34 सवाल उन्होंने संसद में पूछे। कोल एंड स्टील और रेलवे की कमेटियों के वे सदस्य भी रहे हैं। संसद में कमलभा की उपस्थिति 76 फीसदी रिकॉर्ड की गयी है। दूसरे सांसदों की उपस्थिति की तुलना में यह बहुत कम है। राज्य के सांसदों की उपस्थिति का औसत 84 फीसदी है।
सरगुजा लोकसभा सीट पर 8 विधानसभा क्षेत्र हैं। प्रेम नगर, भटगांव, प्रतापपुर, रामानुजगंज, सामरी, लुन्ड्रा, अम्बिकापुर और सीतापुर। इस लोकसभा सीट की खासियत ये है कि 8 में से 5 सीटें एसटी यानी आदिवासियों के लिए सुरक्षित है। इन सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। माना जा सकता है कि 2019 में रामायणकालीन स्मृतियों से जुड़े सरगुजा में राजनीतिक महाभारत भीषण होने वाला है। विधानसभा चुनावों में जीत के बाद से कांग्रेस का उत्साह चरम पर है तो बीजेपी सरगुजा सीट पर लगातार जीतने के कारण इसे स्वाभाविक रूप से अपना समझती है। देखना ये होगा कि मतदाताओं ने जो बीजेपी से हटकर अपना रुख कांग्रेस की ओर दिखाया है वह केवल विधानसभा के लिए था या कि लोकसभा चुना|