लोकसभा चुनाव 2019: भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: हरियाणा की भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के धरमबीर हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में धरमबीर ने आईएनएलडी के बहादुर सिंह को 129,394 वोट से हराया था। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी धरमबीर को करीब 4 लाख वोट मिले, जबकि आईएनएलडी के प्रत्याशी बहादुर सिंह को 2 लाख 75 हजार वोट मिले। भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र की कुल आबादी 2,278,655 है,जिनमें 80 फीसदी लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जबकि 20 फीसदी लोग शहरी क्षेत्र में। यहां पर किसानों की आबादी काफी अधिक है। ज्यादातर परिवारों का गुजर-बसर कृषि से होने वाली आमदनी पर ही होता है। भिवानी ने देश को कई बड़े खिलाड़ी दिये हैं। ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल कुमार, विजेंदर कुमार, जीतेंदर कुमार भिवानी की मिट्टी से ही निकले हैं। इसके अलावा रेसलर गीता फोगाट और बबिता कुमारी फोगाट भी भिवानी से हैं।
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट का इतिहास
हरियाणा की भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट साल 2009 में अस्तित्व में आयी। इससे पहले भिवानी अलग और महेंद्रगढ़ अलग लोकसभा सीट थी। भिवानी में भारतीय जनता पार्टी कभी नहीं जीती। यहां पर हरियाणा विकास पार्टी, कांग्रेस और आईएनएलडी के प्रत्याशी जीतते आये। वहीं महेंद्रगढ़ में साल 2009 से पहले कांग्रेस ने आठ बार यहां से जीत दर्ज की, जबकि भाजपा दो बार यहां सफल हुई। साल 2009 में कांग्रेस की श्रुति चौधरी यहां से सांसद बनीं। 2014 के चुनाव में श्रुति 26.02 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे नंबर पर रहीं। जबकि आईएनएलडी के बहादुर सिंह का वोट प्रतिशत 26.70 प्रतिशत था। धरमबीर 39 प्रतिशत वोट शेयर के साथ अव्वल रहे।
धरमबीर सिंह का लोकसभा में प्रदर्शन
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से सांसद धरमबीर ने दिसंबर 2018 तक कुल 14 डिबेट में हिस्सा लिया। जबकि राज्य का औसत 58.5 और राष्ट्रीय औसत 63.8 था। उन्होंने एक भी प्राइवेट मेंबर बिल भले ही नहीं पेश किया लेकिन वे प्रश्न पूछने के मामले में आगे रहे। उन्होंने कुल 204 प्रश्न किये। जबकि राज्य का औसत 250 था। और इन सबके बीच उन्होंने 94 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की, जोकि राष्ट्रीय औसत से 9 प्रतिशत अधिक है।
साल 2019 में होने वाले आगामी चुनाव की बात करें तो भले ही यह भाजपा का गढ़ है, लेकिन कांग्रेस और आईएनएलडी दोनों ही थोड़ी सी कोशिश के साथ आगे आ सकती हैं। खैर परिणाम वही होगा, जो यहां कि किसान चाहेंगे।