प्रशांत भूषण के वो दो ट्वीट, जिनके लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन पर लगाया एक रुपए का जुर्माना
प्रशांत भूषण के वो दो ट्वीट, जिनके लिए पाए गए अवमानना के दोषी, लगा एक रुपए का जुर्माना
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अवमानना मामले में सीनियर वकील प्रशांत भूषण पर एक रुपए का जुर्माना लगाया है। प्रशांत भूषण को 15 सितंबर एक रुपया बतौर जुर्माना भर देने का आदेश दिया गया है। जुर्माना नहीं भरने पर उन्हें तीन महीने के लिए जेल जाना होगा। प्रशांत भूषण को ये सजा उनके दो ट्वीट को लेकर सुनाई गई है। ये ट्वीट उन्होंने मौजूदा चीफ जस्टिस और चार पूर्व मुख्य न्यायधीशों को लेकर किए थे।
क्या थे प्रशांत भूषण के दो ट्वीट
प्रशांत भूषण ने पहला ट्वीट 27 जून को किया था। इसमें उन्होंने लिखा, इतिहासकार भारत में बीते 6 सालों के इतिहास में देखेंगि कि कैसे बिना इमरजेंसी की घोषणा के देश में लोकतंत्र को खत्म किया गया। इसमें सुप्रीम कोर्ट का रोल भी अहम है, खासतौर से चार पूर्व चीफ जस्टिस की भूमिका में बहुत ज्यादा है।
प्रशांत भूषण ने दूसरा ट्वीट 29 जून को किया। इसमें उन्होंने एक महंगी मोटरसाइकिल पर बैठे चीफ जस्टिस बोबड़े की फोटो शेयर की। उन्होंने लिखा- मुख्य न्यायाधीस भाजपा नेता के बेटे की 50 लाख की बाइक के मजे ले रहे हैं। ना उन्होंने मास्क पहना है और ना ही हेलमेट। ये ऐसा वक्त में हो रहा है, जब कोर्ट बंद कर दिए गए हैं और लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से दूर किया जा रहा है।
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कोर्ट ने संज्ञान लेकर चलाया मामला
प्रशांत भूषण के किए इन ट्वीट पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए उन पर अवमानना का मामला चलाया था। मामले में अदालत ने उन्हें 14 अगस्त को अवमानना का दोषी पाया। इसके बाद 20 और 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की सजा पर सुनवाई टाल दी गई और उनको अपने उस बयान पर फिर से विचार करने को कहा, जिसमें उन्होंने मामले में माफी मांगने से इनकार कर दिया था। अदालत ने उनसे कहा कि वो मामले में माफी मांग ले। प्रशांत भूषण ने अदालत में कह दिया कि वो माफी नहीं मांगेगे।
माफी ना मांगने पर सुनाई सजा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अदालत की अवमानना मामले में सीनियर वकील प्रशांत भूषण पर एक रुपए का जुर्माना लगाया है। जुर्माना नहीं भरते तो उन्हें तीन महीने के लिए जेल महीने के लिए जेल भेज दिया जाएगा। साथ ही तीन साल तक के लिए वकालत करने पर भी रोक लग जाएगी। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने मामले में सजा सुनाते हुए कहा कि भूषण ने अपने बयान को पब्लिसिटी दिलाई उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया।