'PM की बैठक छोड़ना ममता बनर्जी का तानाशाही रवैया है', शाह से लेकर हर्षवर्धन तक ने साधा दीदी पर निशाना
'PM की बैठक छोड़ना ममता बनर्जी का तानाशाही रवैया है', शाह से लेकर हर्षवर्धन तक ने साधा दीदी पर निशाना
नई दिल्ली, 29 मई: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-2021 जीतने के बाद भी ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बीजेपी के साथ नाराजगी खत्म नहीं हुई है। शुक्रवार (28 मई) को सरकारी सूत्रों ने कहा है कि चक्रवात यास से हुए नुकसान का लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ समीक्षा बैठक में सीएम ममता बनर्जी लगभग 30 मिनट की देरी से पहुंची। बात यहीं खत्म नहीं हुई, बैठक में पहुंचते ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चक्रवात यास से हुए नुकसानों की रिपोर्ट पीएम मोदी को देकर फौरन चली गईं। बैठक छोड़ने की वजह में सीएम ममता ने कहा कि उनकी एक और बैठक है। इस पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं ने ममता बनर्जी की तीखी आलोचना की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन समेत कई नेताओं ने सीएम ममता पर निशाना साधा है। आइए जानें किसने क्या कहा?
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- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट कर कहा, '' सुश्री ममता बनर्जी जी का असहयोगात्मक और तानाशाही रवैया लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान है। पीएम नरेंद्र मोदी जी की बैठक में उनका ना जाना ओछी राजनीति का परिचायक है।'' एक अन्य ट्वीट में हर्षवर्धन ने कहा, ''ममता बनर्जी जी यह भूल रही हैं कि उन्होंने एक संस्था के रूप में संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली है। मुख्यमंत्री का पद संवैधानिक पद है। बंगाल की जनता का दर्द जानने पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी के साथ उनका व्यवहार भारतीय लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।''
- गृह मंत्री अमित शाह ने अपने ट्वीट में कहा, ''ममता बनर्जी का आचरण दुर्भाग्यपूर्ण है। यास से प्रभावित लोगों की मदद करना इस वक्त की मांग है। लेकिन बड़े दुख की बात है कि दीदी ने अहंकार को जनकल्याण से ऊपर रखा है। उनका तुच्छ व्यवहार ऐसा ही दर्शाता है।''
-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ''पश्चिम बंगाल का आज का घटनाक्रम स्तब्ध करने वाला है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री व्यक्ति नहीं, संस्था हैं। दोनों जन सेवा का संकल्प और संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेकर दायित्व ग्रहण करते हैं। आपदा काल में बंगाल की जनता को सहायता देने के भाव से आए हुए प्रधानमंत्री के साथ इस प्रकार का व्यवहार पीड़ादायक है। जन सेवा के संकल्प और संवैधानिक कर्तव्य से ऊपर राजनैतिक मतभेदों को रखने का यह एक दुर्भाग्यपूर्ण उदहारण है, जो भारतीय संघीय व्यवस्था की मूल भावना को भी आहत करने वाला है।''
- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ''पश्चिम बंगाल में हुआ आज का घटनाक्रम निंदनीय है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री एक संस्थान है, जो संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेकर अपने दायित्वों का पालन करते है। प्रधानमंत्री जी बंगाल की जनता की सहायता के लिए राज्य के दौरे पर हैं, और यह आपदा की घड़ी है, हम सभी को मिलकर इसका सामना करना है। संवैधानिक कर्तव्यों के ऊपर राजनीतिक मतभेद लाना दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे भारतीय संघीय व्यवस्था की मूल भावना आहत हुई है।''
-रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ''प्राकृतिक आपदा के समय जब संपूर्ण देश को एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है, ऐसे में बंगाल की मुख्यमंत्री का व्यवहार बहुत ही अनुचित है। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री संवैधानिक पद हैं, ये राजनैतिक विरोध के लिये नही, बल्कि मिलकर देश और समाज की सेवा करने के लिए हैं।''
-बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा,''जब माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चक्रवात यास के मद्देनजर पश्चिम बंगाल के नागरिकों के साथ मजबूती से खड़े हैं तो ममता जी को भी लोगों के कल्याण के लिए अपना अहंकार अलग रखना चाहिए। पीएम की बैठक से उनकी अनुपस्थिति संवैधानिक लोकाचार और सहकारी संघवाद की संस्कृति की हत्या है।''
- उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ''माननीय पीएम नरेंद्र मोदी और पूरा देश बंगाल की जनता के साथ खड़ा है। ममता बनर्जी को भी क्षुद्र राजनीति से ऊपर उठना चाहिए, अपने अहंकार को त्यागना चाहिए और बंगाल के लोगों को राहत देने के लिए राष्ट्र के साथ काम करना चाहिए।''
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-मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ''मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री हैं। पूरा देश उनका अनुसरण करता है। वह लोगों के कल्याण के लिए पश्चिम बंगाल में चक्रवात से प्रभावित लोगों का हालचाल जानने गए। ऐसे में सीएम का आचरण बंगाल की जनता का अपमान है।''